कोलकाताः पश्चिम बंगाल में शिक्षक नियुक्ति में कथित धांधली के खिलाफ 150 दिन से कोलकाता में भूख हड़ताल कर रहे हैं. इनमें से तीन-चार अभ्यर्थियों की तबीयत बिगड़ गयी है. इन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है. आंदोलनरत सभी अभ्यर्थियों ने पश्चिम बंगाल स्कूल सर्विस कमिशन (एसएससी) की परीक्षा वर्ष 2016 में दी थी और उसमें उत्तीर्ण हुए थे.
नौवीं से 12वीं तक की कक्षा के विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए हुई शिक्षक भर्ती परीक्षा में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए एसएससी अभ्यर्थी आंदोलन कर रहे हैं. मेरिट सूची में नाम होने के बावजूद जिन लोगों को इंटरव्यू में नहीं बुलाया गया, वे लगातार आंदोलन कर रहे हैं. इनमें से कुछ भूख हड़ताल पर बैठे हैं.
भूख हड़ताल कर रहे 20 अभ्यर्थियों में से कुछ की तबीयत बिगड़ गयी, तो उन्हें अस्पताल ले जाया गया. आंदोलनरत प्रतिम मंडल, सुदीप मंडल और प्रणब मंडल ने बताया कि जब तक सरकार उनकी मांगों पर गौर नहीं करती और कोई उचित फैसला नहीं लेती, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने वहां आकर आश्वासन दिया था कि मेरिट लिस्ट में आये सभी अभ्यर्थियों का रोजगार सुनिश्चित किया जायेगा. दो साल बाद भी मुख्यमंत्री ने उस वादे को नहीं निभाया. इनका कहना है कि लॉकडॉउन की अवहेलना करते हुए एसएमएस के जरिये अवैध तरीके से भर्ती की जा रही है. वे एसएससी की परीक्षा पास कर चुके हैं और उनका नाम इंटरव्यू वाली सूची में नहीं रखा गया है.
अभ्यर्थियों ने कहा कि नौकरी के लिए वे भटक रहे हैं. अभी वे कोरोना की स्थित में यहां बारिश में साल्टलेक के सेंट्रल पार्क में 148 दिनों से पड़े हुए हैं, लेकिन सरकार उनकी सुन नहीं रही है. नियुक्ति से वंचित शिक्षक अभ्यर्थियों का प्रदेश नेतृत्व पार्थ प्रतिम मंडल ने किया.
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उनका कहना है कि जब तक मुख्यमंत्री उन्हें न्याय नहीं देंगी या उनकी नियुक्ति के लिए ठोस कदम नहीं उठायेंगी, उनका आंदोलन जारी रहेगा. उनका यह आंदोलन राजनीति से प्रेरित नहीं है, बल्कि उनकी बिगड़ती आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए है. सरकार उन्हें उपवास रखकर इच्छामृत्यु के लिए विवश कर रही है.
Posted By: Mithilesh Jha