कोलकाता : पश्चिम बंगाल चुनाव 2021 के चौथे चरण की वोटिंग के एक दिन बाद प्रदेश की मुखिया और तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो ममता बनर्जी के खिलाफ चुनाव आयोग ने बेहद सख्त कार्रवाई की. ममता बनर्जी के प्रचार करने पर 24 घंटे का बैन लगाते हुए चुनाव आयोग ने उन्हें सख्त हिदायत दी कि आदर्श आचार संहिता लागू रहने के दौरान ऐसा कोई बयान न दें, जिससे लोग उत्तेजित हो जायें. आयोग के इस फैसले को तृणमूल कांग्रेस और ममता बनर्जी ने असंवैधानिक करार दिया है.
आयोग की कार्रवाई के तुरंत बाद पश्चिम बंगाल में सोमवार की रात 8 बजे से हाई-वोल्टेज ड्रामा शुरू हो गया. अल्पसंख्यक वोटों के बंटवारे पर तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी के बयान को आचार संहिता का उल्लंघन मानते हुए उनके ऊपर पर बैन लगा दिया. कहा कि वह 24 घंटे तक चुनाव प्रचार नहीं कर पायेंगी. ममता ने साथ ही कहा कि वह इस असंवैधानिक फैसले के खिलाफ 13 अप्रैल को कोलकाता में गांधी मूर्ति के पास दिन में 12 बजे धरना देंगी.
Election Commission of India imposes a ban of 24 hours on West Bengal Chief Minister Mamata Banerjee from campaigning in any manner from 8 pm of April 12 till 8 pm of April 13 pic.twitter.com/FFNL2KvVxv
— ANI (@ANI) April 12, 2021
चुनाव आयोग का फैसला आते ही सबसे पहले तृणमूल कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता एवं राज्यसभा के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने इसे असंवैधानिक फैसला बताया. उन्होंने फैसले को लोकतंत्र के लिए काला दिन करार दिया. इसके बाद टीवी चैनलों पर तृणमूल कांग्रेस के नेता और प्रवक्ता के बयान आने शुरू हो गये. तृणमूल कांग्रेस के एक प्रवक्ता ने कहा कि देश की एकमात्र महिला मुख्यमंत्री को परेशान किया जा रहा है. चुनाव आयोग भारतीय जनता पार्टी के एजेंट के रूप में काम कर रही है. लेकिन, कोई भी ताकत ममता बनर्जी को फिर से मुख्यमंत्री बनने से नहीं रोक पायेगी.
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चुनाव आयोग ने 7 अप्रैल को अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस (AITC) की राष्ट्रीय अध्यक्ष ममता बनर्जी को उनके जिस भाषण के लिए सजा दी है, उसका मूल पाठ इस प्रकार है-
‘…कन्याश्री, कन्याश्री, इसमें विश्वविद्यालय तक की पढ़ाई के लिए छात्रवृत्ति दी जाती है. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए शिक्षाश्री है. सामान्य वर्ग के लोगों के लिए स्वामी विवेकानंद स्कॉलरशिप चल रहा है. मेरे अल्पसंख्यक समाज के भाई-बहनों के लिए ऐक्यश्री योजना है. मैंने 2 करोड़ 35 लाख लोगों को इस योजना का लाभ दिया है. मैं अल्पसंख्यक भाई-बहनों से हाथ जोड़कर विनती करती हूं कि भाजपा से पैसे लेने वाले एक शैतान की बात सुनकर आपलोग अल्पसंख्यक वोटों का बंटवारा मत होने दीजिए. वह हमेशा सांप्रदायिक बयान देता है और हिंदू और मुस्लिमों को आपस में लड़वाता है. वह भाजपा और कम्युनिस्टों का साथी है. सीपीएम के कॉमरेड और भाजपा के लोग पैसे लेकर इधर-उधर घूम रहते हैं. भाजपा ने इन्हें अल्पसंख्यक वोटों का बंटवारा करने के लिए पैसे दिये हैं. आपलोगों से मेरी विनती है कि कृपया आपलोग ऐसा नहीं होने दें. हमेशा याद रखियेगा कि यदि भाजपा ने सरकार बना ली, तो आपलोग ही मुसीबत में पड़ोगे.
ममता बनर्जी यहीं नहीं रुकीं. उन्होंने हिंदुओं से कहा कि आपलोग भाजपा की बात सुनकर हिंदू-मुस्लिम का भेद न करें. देखिए, मैंने अल्पसंख्यक समुदाय के अपने भाई-बहनों से कहा है कि उनके बीच कुछ दुष्ट लोग हैं, मीरजाफर हैं, हमारी पार्टी में भी ऐसे लोग हैं. क्या हमारे बीच बहुत से मीरजाफर नहीं हैं? क्या हमारे बीच बहुत से गद्दार नहीं हैं? अब वे सभी भाजपा के साथ हैं.
To protest against the undemocratic and unconstitutional decision of the Election Commission of India, I will sit on dharna tomorrow at Gandhi Murti, Kolkata from 12 noon.
— Mamata Banerjee (@MamataOfficial) April 12, 2021
नंदीग्राम विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहीं तृणमूल कांग्रेस की उम्मीदवार ममता बनर्जी को उपरोक्त बयान के लिए 7 अप्रैल को चुनाव आयोग ने नोटिस दिया. ममता ने 9 अप्रैल को नोटिस का जवाब दिया. अपने जवाब में ममता ने कहा कि उन्होंने ऐसा कोई बयान नहीं दिया है, जिससे आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन होता हो. उनका भाषण पूरी तरह से उचित और संविधान के दायरे में था.
ममता बनर्जी ने चुनाव आयोग को भेजे नोटिस के जवाब में अपने भाषण के सिर्फ उस अंश का जिक्र किया है, जिसमें उन्होंने कहा कि भाजपा की बातें सुनकर लोग हिंदू और मुस्लिम आपस में मतभेद न करें. चुनाव आयोग ने कहा है कि ममता ने अपने भाषण के उस अंश पर कोई जवाब नहीं दिया है, जिसके बारे में आयोग ने स्पष्टीकरण मांगा था. यानी अल्पसंख्यक वोटों के बंटवारा और भाजपा की सरकार बन जाने पर अल्पसंख्यकों की मुसीबत बढ़ने की बात पर ममता ने कोई जवाब नहीं दिया.
आयोग ने 8 अप्रैल को सीएनन चैनल पर दिखाये गये ममता बनर्जी के एक भाषण के अंश पर भी उनसे सवाल पूछा था. इस भाषण में ममता बनर्जी लोगों से कह रही हैं कि यदि कोई हमारी मां-बहनों को मतदान केंद्र में जाने से रोकता है, तो आपलोग बाहर आयें और विद्रोह करें. ममता ने अपने भाषण में कहा था-
ममता बनर्जी बाहरी नहीं है. कौन बाहरी है? बंदूक के साथ घूम रहे वे गुंडे बाहरी हैं, जिन्हें तुम कहीं और से लेकर आये हो. क्या उन्होंने कोंटाई में ऐसा नहीं किया? पिता, पुत्र और चाचा में ईमानदारी से चुनाव नहीं जीत सकते, इसलिए उन्होंने कल रात में कोंटाई में हंगामा किया.
किसने उन्हें इतनी हिम्मत दी कि सेंट्रल पुलिस के जवान महिलाओं को धमका रहे हैं और उन्हें मतदान करने से रोक रहे हैं? मैंने 2019 में ऐसी चीजें देखी थी? 2016 में भी ऐसी ही चीजें देखी थी.
मैं जानती हूं कि ये लोग किसके इशारे पर पीटते हैं और कैसे पीटते हैं. ये आपकी जिम्मेदारी है कि आप अपने परिवार और लोगों की रक्षा करें. यदि मेरी माताओं-बहनों पर किसी ने एक बार भी आघात करे, तो करछुल, खुरपा और चाकू से उन पर हमला कर दें. मैं आपसे कह रही हूं, यह महिलाओं का अधिकार है. और यदि मेरी किसी मां-बहन को मतदान केंद्र में वोट देने से रोका जाता है, तो आपलोग बाहर निकलकर विद्रोह कर दीजिए.
आयोग ने 7 अप्रैल को ममता बनर्जी के कूचबिहार में दिये गये भाषण का भी संज्ञान लिया था. इस संबंध में तृणमूल सुप्रीमो को 8 अप्रैल को नोटिस दिया गया. अपने इस भाषण में ममता बनर्जी ने कहा था-
वे लोग असम से गुंडे बुलाकर आतंक मचाने की कोशिश करेंगे. मैं प्रशासन से कहूंगी कि वे नाका चेकिंग बढ़ायें और असम की सीमा को सील कर दें. मैं चुनाव आयोग से कहती हूं कि वे असम सीमा को सील करें. भूटान एक शांतिप्रिय देश है और हमारा मित्र राष्ट्र है. बावजूद इसके भूटान की सीमा भी सील कर दी जानी चाहिए.
ममता बनर्जी ने अपने इसी भाषण में कहा था कि याद रखिए, कूचबिहार और इसके आसपास के कई इलाके हैं, जो बांग्लादेश की सीमा से सटे हैं. उन सीमाओं को भी सील कर दिया जाना चाहिए, ताकि कोई बाहरी यहां आकर हंगामा न कर सके. और यदि सीएपीएफ के जवान समस्या खड़ी करें, तो मैं आप महिलाओं से कहती हूं कि समूह बनाकर उनका घेराव करें. इसी दौरान दूसरा समूह जाकर अपने मताधिकार का प्रयोग करे. अपना वोट बर्बाद मत होने दीजिए. यदि आप सिर्फ विरोध करने में रह जायेंगी और मतदान नहीं करेंगी, तो वे खुश होंगे. यही उनकी योजना है. यह भाजपा की योजना है.
और आपकी योजना यह होगी कि आपको यदि वोट देने के लिए गांव से बाहर निकलने से कोई रोके, तो आप डरिएगा मत. अपने गांव से बाहर आइए, दूसरी तरफ आप उनलोगों से बात कीजिए. आप उनसे बात करेंगे, तो उन्हें रोक पायेंगे. इस तरह से आपको उनका घेराव करने की जरूरत नहीं पड़ेगी.
इस नोटिस का 10 अप्रैल को ममता बनर्जी ने जवाब दिया. इसमें ममता ने कहा कि उन्होंने अपने भाषण में मतदाताओं खासकर महिलाओं से सिर्फ यह अपील की कि यदि कोई सुरक्षा बल का जवान उन्हें मतदान करने से रोकता है, तो वे अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए लोकतांत्रिक तरीके से उनका घेराव करके अपना विरोध प्रदर्शन करें.
आयोग ने उनके जवाब को आधा-अधूरा पाया. कहा कि ममता बनर्जी ने मुख्य सवाल का जवाब नहीं दिया और उन्हीं बातों का जवाब दिया, जो उनको सूट कर रहा है. आयोग उनके जवाब से संतुष्ट नहीं है और उन्हें चेतावनी देता है कि जब तक आदर्श आचार संहिता लागू है, तब तक वे जनता के बीच ऐसा कोई बयान फिर से न दें. इसके साथ ही आयोग ने ममता बनर्जी के 24 घंटे तक प्रचार करने पर रोक भी लगाने के आदेश दे दिये. चुनाव आयोग ने कहा कि ममता बनर्जी के ऐसे भड़काऊ बयानों से चुनाव के दौरान कानून-व्यवस्था की गंभीर समस्या उत्पन्न हो सकती है और चुनाव प्रक्रिया पर विपरीत असर डाल सकता है.
West Bengal CM Mamata Banerjee has in violation of provisions of Model Code of Conduct… made insinuating & provocative remarks laden with serious potential of breakdown of law & order & thereby adversely affecting the election process: ECI pic.twitter.com/xVlJE538dF
— ANI (@ANI) April 12, 2021
Posted By : Mithilesh Jha