कोलकाता : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बेहद दुलारे आइपीएस अधिकारी और विधाननगर के पूर्व पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया है. दिसंबर में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) की ओर से दायर याचिका पर मंगलवार को सुनवाई हुई.
सारधा घोटाला मामले में राजीव कुमार की भूमिका की जांच के लिए विधाननगर के पूर्व पुलिस कमिश्नर की सीबीआइ ने कस्टडी मांगी थी. सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआइ की इस याचिका पर सुनवाई 15 दिन के लिए टाल दी है. वर्ष 2013 में सारधा घोटाला की जांच के लिए बनी एसआइटी की निगरानी की जिम्मेदारी राजीव कुमार को दी गयी थी.
विधाननगर के तत्कालीन पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार पर सारधा घोटाला से जुड़े सबूतों को मिटाने का आरोप है. सारधा घोटाला मामले की जांच कर रही सीबीआइ ने देश की सर्वोच्च अदालत में 277 पेज का एक हलफनामा दायर किया है. इस हलफनामे में कोर्ट को बताया गया है कि एसआइटी चीफ के रूप में राजीव कुमार ने किस तरह से दोषियों को बचाने की कोशिश की.
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर सीबीआइ अधिकारी पता लगा रहे हैं कि सारधा समेत तमाम चिट फंड कंपनियों के धन और सुविधाओं का लाभ किन लोगों को मिला. इस मामले में राजीव कुमार सीबीआइ अधिकारियों के साथ जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं. इसलिए सीबीआइ ने कोर्ट को बताया है कि राजीव कुमार को हिरासत में लेकर पूछताछ करने की जरूरत है.
सीबीआइ का कहना है कि हिरासत में राजीव कुमार से पूछताछ के बाद कई बड़े लोगों के नाम सामने आ सकते हैं. शीर्ष अदालत के निर्देश पर ही फरवरी 2019 में राजीव कुमार को शिलांग में सीबीआइ के समक्ष पेश होना पड़ा था. हालांकि, राजीव कुमार ने उस वक्त सीबीआइ के अधिकांश सवालों के जवाब नहीं दिये. यही वजह है कि उनसे फिर से गहन पूछताछ करनी होगी.
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Posted By : Mithilesh Jha