बीरभूम, मुकेश तिवारी : बीरभूम जिले के प्रसिद्ध तारापीठ मंदिर के गर्भगृह का जीर्णोद्धार पूरा हो गया. चार दिन चले जीर्णोद्धार के बाद मां तारा की प्रतिमा को पास के शिव-मंदिर से लाकर फिर तारापीठ-मंदिर के गर्भगृह में यथास्थान पर विराजित कर दिया गया. इसके साथ ही मंदिर में विधिवत दर्शन-पूजन शुरू हो गया. तारापीठ मंदिर कमेटी ने गर्भगृह को स्वच्छ व मां तारा की प्रतिमा सुरक्षित रखने के लिए कई एहतियाती उपाय किये हैं. दर्शन-पूजन के लिए कुछ नये नियम बनाये गये हैं. अब गर्भगृह में सिंदूर, आलता या महावर खोल कर नहीं चढ़ेगा.
दर्शन-पूजन पर लगीं कई बंदिशें
तारापीठ में नारियल भी फोड़ कर चढ़ाने की अनुमति नहीं होगी. अब तक सिंदूर, महावर आदि खोल कर चढ़ाये जाते थे, जिससे देवी के वस्त्र व मंदिर की दीवारें खराब हो रही थीं. साथ ही नारियल फोड़ने से फर्श को क्षति पहुंच रही थी. इसलिए मंदिर के अधिकारियों ने कहा कि गर्भगृह के जीर्णोद्धार के बाद ये वस्तुएं अब भक्त गर्भगृह में नहीं ले जा पायेंगे. मालूम रहे कि तारापीठ मंदिर के गर्भगृह के नवीनीकरण व जीर्णोद्धार के कारण मंदिर इस हफ्ते की शुरुआत से बंद था. मां तारा की प्रतिमा को अस्थायी रूप से नजदीकी शिव-मंदिर में शिफ्ट कर दिया गया था. जीर्णोद्धार पूरा होने के बाद शुक्रवार सुबह मां की मूर्ति को फिर से गर्भगृह में स्थापित कर दिया गया.
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20 अगस्त से बंद था दर्शन
गत रविवार 20 अगस्त से तारापीठ मंदिर के गर्भगृह के जीर्णोद्धार के वास्ते वहां दर्शन बंद था. सोमवार से जीर्णोद्धार शुरू हुआ था. इस बीच, मां तारा की प्रतिमा को पास के शिव-मंदिर में ले जाया गया और वहां उनकी पूजा की जा रही थी. इस बीच, गर्भगृह वेदी पर दैनिक पूजा चल रही थी. गर्भगृह की फर्श, दीवारें सब नष्ट हो गये थे. उन्हें ठीक कर दिया गया है. इसके अलावा, जिस निकास-मार्ग से देवी के स्नान का जल बह कर निकलता था, उसे भी साफ कर दिया गया है. अब सेंट्रलाइज्ड एसी लगाने की तैयारी है. इसके लिए पाइपलाइनें बिछा दी गयी हैं. मंदिर कमेटी के
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मंदिर में सेंट्रलाइज्ड एसी लगाने की तैयारी शुरु
प्रतिनिधि ने बताया कि सितंबर में कौशिकी अमावस्या से पहले गर्भगृह में सेंट्रलाइज्ड एसी लग जायेगा. तारापीठ मंदिर कमेटी के अध्यक्ष तारामय मुखोपाध्याय ने बताया कि अब श्रद्धालु सिंदूरस आलता व नारियल लेकर गर्भगृह में नहीं जा पायेंगे. यदि विशेष परिस्थिति में कोई भक्त ये तीनों चीजें लेकर गर्भगृह में चला भी जाता है, तो ये चीजें वहां खोल कर नहीं चढ़ायी जायेंगी. इससे पहले तारापीठ मंदिर में जलदार नारियल को फोड़ने और आलता मिल जाने से फर्श व दीवारें खराब हो रही थीं. अब इन सामान को गर्भगृह में चढ़ाने पर प्रतिबंध है.
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