शिक्षक भर्ती घोटाले में सीबीआइ के हाथों गिरफ्तार तृणमूल कांग्रेस के विधायक जीवन कृष्ण साहा की सीबीआइ हिरासत की अवधि खत्म होने के बाद उन्हें मंगलवार को फिर से अलीपुर स्थित सीबीआइ की विशेष अदालत में पेश किया गया. इस दिन जहां विधायक की तरफ से जमानत की याचिका दायर की गयी. वहीं, सीबीआइ की तरफ से कहा गया कि विधायक के पास से कई कागजात और सबूत मिले हैं. जांच के लिए विधायक की सीबीआइ हिरासत की अवधि बढ़ायी जाये.
सीबीआइ की तरफ से विधायक को अगले पांच दिनों के लिए फिर से सीबीआइ हिरासत में भेजने का आवेदन किया गया. अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद आरोपी विधायक को 30 अप्रैल तक सीबीआइ हिरासत में भेजने का निर्देश दिया.
अदालत सूत्रों के मुताबिक बचाव पक्ष की तरफ से अदालत में कहा गया कि सीबीआइ ने जो कागजात कोर्ट में पेश किये हैं, उनसे पता चलता है कि विधायक से पूरी पूछताछ खत्म हो चुकी है. इस कारण उन्हें जमानत दी जाये. विधायक से पूछताछ की प्रक्रिया खत्म हो गयी है, इसलिए उन्हें जमानत पर रिहा किया जाये.
अदालत सूत्रों के मुताबिक, बचाव पक्ष द्वारा जमानत की याचिका का विरोध करते हुए सीबीआइ की तरफ से कहा गया कि, विधायक जीवन कृष्णा साहा के मोबाइल फोन, जिसे तालाब में फेंक दिया गया था, उसकी जांच में करीब 100 ऑडियो क्लिप मिले हैं. इसमें भ्रष्टाचार को लेकर विभिन्न प्रभावशाली लोगों से बातचीत से जुड़े सबूत मौजूद हैं. इस कारण विधायक की आवाज का नमूना लेने की अनुमति दी जाये, जिससे मोबाइल फोन में मिले ऑडियो फाइल की आवाज से मिलाया जा सके. अलीपुर में विशेष सीबीआइ अदालत ने पहले सीबीआइ की इस याचिका पर आपत्ति जतायी.
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इसके बाद सीबीआइ के वकील की तरफ से सुप्रीम कोर्ट का एक ऑर्डर का हवाला दिया गया. इसके बाद सशर्त अनुमति दे दी गयी. अदालत की तरफ से सीबीआइ के वकील को कहा गया कि सीबीआइ इसके लिए विधायक पर कोई दबाव नहीं बना सकती. इसके साथ जांच अधिकारी दो गवाहों की उपस्थिति में आवाज के नमूने एकत्रित कर सकते हैं. इसके बाद अदालत ने सीबीआइ के आवेदन को स्वीकार कर विधायक को 30 अप्रैल तक सीबीआइ हिरासत में भेजने का निर्देश दिया. सीबीआइ हिरासत अवधि खत्म होने के बाद आरोपी तृणमूल विधायक को विशेष अदालत में किया गया था पेश. बचाव पक्ष ने अदालत से की थी मुवक्किल को जमानत दिये जाने की अपील