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ऑनलाइन सेवा शुरू होने से हावड़ा नगर निगम की आय में हुआ इजाफा

सेवा शुरू होने से लोगों को जहां लंबी लाइनों से राहत मिली है, वहीं निगम के राजस्व में भी बढ़ोतरी हुई है. बताया जा रहा है कि ऑनलाइन सेवा शुरू करने का मुख्य उद्देश्य निगम में दलाल राज और भ्रष्टाचार खत्म करना था.

शहरवासियों की सहूलियत के लिए हावड़ा नगर निगम की ओर से कई विभागों में ऑनलाइन सेवा शुरू की गयी है. यह सेवा शुरू होने से लोगों को जहां लंबी लाइनों से राहत मिली है, वहीं निगम के राजस्व में भी बढ़ोतरी हुई है. बताया जा रहा है कि ऑनलाइन सेवा शुरू करने का मुख्य उद्देश्य निगम में दलाल राज और भ्रष्टाचार खत्म करना था. निगम में ऑनलाइन प्रकिया पिछले एक साल से लागू हुई है.

आने वाले दिनों में बाकी बचे विभागों में भी यह प्रकिया शुरू कर दी जायेगी. जानकारी के अनुसार, पिछले साल मौजूदा प्रशासनिक बोर्ड ने निगम के कुछ विभागों में ऑनलाइन सेवाओं की शुरुआत की थी. बताया जा रहा है कि कुछ वर्षों की तुलना में पिछले एक वर्ष में तीन से चार गुना अधिक आय हुई है. निगम के अधिकारियों का कहना है कि ऑनलाइन सेवा शुरू होने से लाइसेंस विभाग में आय दोगुनी हुई है. संपत्ति कर संग्रह भी ढाई गुना अधिक बढ़ा है. यह लाभ देखते हुए बहुत जल्द बाकी बची सेवाओं को भी ऑनलाइन कर दिया जायेगा.

मालूम रहे कि तत्कालीन निगम आयुक्त बिजिन कृष्णा ने विभिन्न विभागों में ऑनलाइन सेवाएं शुरू करने की पहल की थी, लेकिन कुछ समस्या होने की वजह से यह सेवा शुरू नहीं हो सकी. वर्ष 2021 में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निर्देश पर नये प्रशासनिक बोर्ड का गठन हुआ और डॉ सुजय चक्रवर्ती इस बोर्ड के चेयरमैन बने. इसी बीच धवल जैन ने निगम आयुक्त का पद संभाला. इसके बाद ही लाइसेंस, संपत्ति कर, भवन डिजाइन स्वीकृति समेत कई विभागों में ऑनलाइन प्रकिया शुरू की गयी.

निगम के आय में वृद्धि होते देखकर वित्तीय वर्ष 2022-23 में प्रशासनिक बोर्ड ने 105 से अधिक जर्जर सड़कों की सूची तैयार की. वार्ड नंबर एक से 50 तक 39 करोड़ रुपये की लागत से करीब 70 किलोमीटर सड़कों की मरम्मत की गयी. हालांकि कुछ सड़कों का मरम्मत कार्य अभी बाकी है. इस बारे में पूछे जाने पर चेयरमैन डॉ सुजय चक्रवर्ती ने बताया कि निगम की आय में वृद्धि हुई है. जल निकासी, सड़क, प्रकाश व्यवस्था और पेयजल आपूर्ति में सुधार किया जा रहा है.

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जल-जमाव की समस्या से निजात दिलाने के लिए पिछले एक साल में 15 करोड़ रुपये खर्च किये जा चुके हैं. इस साल भी मॉनसून आने से पहले नालों और खालों को साफ करने की योजना है, ताकि जलजमाव न हो.

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