कांग्रेस नेता राहुल गांधी की लोकसभा की सदस्यता खारिज कर दी गयी है, इसी के प्रतिवाद में जहां कांग्रेस कार्यकर्ता प्रदर्शन कर रहे हैं, वहीं इस मसले पर देश की राजनीति गरमायी हुई है. तृणमूल सहित लगभग सभी भाजपा विरोधी दल राहुल गांधी की सदस्यता रद्द करने की निंदा कर रहे हैं. ऐसे में बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने अभिव्यक्ति की आजादी को लेकर रविवार को अहम टिप्पणी की है. उन्होंने कहा कि भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में अभिव्यक्ति की आजादी से किसी भी तरह का समझौता नहीं किया जा सकता है.
राज्यपाल के इस बयान को लेकर तरह-तरह के राजनीतिक कयास लगने शुरू हो गये हैं. रविवार को प्रेस क्लब में इंडियन जर्नलिस्टस एसोसिएशन के 100 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में राज्यपाल ने कहा कि ‘भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में बोलने की आजादी पर कोई समझौता नहीं होना चाहिए. राज्यपाल ने यह राय ऐसे समय में व्यक्त की, जब देशभर में राहुल गांधी की संसद की सदस्यता छीन जाने पर बहस छिड़ी हुई है.
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता क्या और क्यों, पर चर्चा हो रही है. हालांकि, राज्यपाल ने राजनीति पर सीधे तौर पर कोई टिप्पणी नहीं की. राजनीति के बारे में सवाल पूछे जाने पर वह मौन रहे. राज्यपाल के इस बयान के अलग-अलग मायने निकाले जा रहे हैं. राहुल गांधी के इस विवाद के बीच राजनैतिक दल अपने हिसाब से इस टिप्पणी की व्याख्या कर रहे हैं. राज्यपाल ने इंडियन जर्नलिस्टस एसोसिएशन के 100 साल पूरे होने पर सभी सदस्यों को बधाई दी और कहा कि मीडिया को समाज के हित के लिए निष्पक्ष पत्रकारिता करनी चाहिए.
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मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना गया है, इस हिसाब से पत्रकारों की भूमिका हर मायने में अहम है. कार्यक्रम में इंडियन जर्नलिस्टस एसोसिएशन की नयी कार्यकारिणी का गठन किया गया. इसमें पत्रकार केडी पार्थ को एसोसिएशन का अध्यक्ष, देवाशीष दास को महासचिव व देवजानी लाहा घोष को सचिव बनाया गया है. कार्यक्रम में इंडियन जर्नलिस्टस एसोसिएशन के पूर्व महासचिव शेखर सेनगुप्ता ने एसोसिएशन की वार्षिक रिपोर्ट पेश की. कार्यक्रम में एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष एस सबानायकन के साथ तमाम पत्रकार सदस्य मौजूद रहे.