Adani Group: अदाणी समूह मामले पर तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा ने सोमवार को दुबारा प्रतिक्रिया देते हुए सरकार की आलोचना की है. केंद्रीय वित्त मंत्रालय से राज्यसभा में एक लिखित उत्तर का हवाला देते हुए कहा कि भारतीय नागरिकों स्वामित्व वाली शेल कंपनियों के बारे में डेटा नहीं है. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा है, “सरकार अदाणी के खिलाफ कार्रवाई कैसे कर सकती है? वित्त मंत्रालय को शेल फर्म की परिभाषा नहीं पता है! आरएस में लिखित जवाब कहता है कि कोई सुराग नहीं है… इसलिए कोई कार्रवाई नहीं.”
How can government take action againt Adani? Finance Ministry does not know definition of shell firm! Written answer in RS says no clue hence no action.@FinMinIndia @nsitharaman @SEBI_India @JohnBrittas pic.twitter.com/19t8oBJHEf
— Mahua Moitra (@MahuaMoitra) March 27, 2023
महुआ मोइत्रा और अन्य विपक्षी नेता सरकार पर लगातार हमले कर रहे हैं क्योंकि गौतम अदाणी के नेतृत्व वाले अदाणी समूह को संयुक्त राज्य अमेरिका स्थित लघु विक्रेता हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा ‘लेखांकन धोखाधड़ी’ और स्टॉक की कीमतों को बढ़ाने के लिए अपतटीय शेल कॉस का उपयोग करने के लिए जनवरी में बुलाया गया था. हिंडनबर्ग की रिपोर्ट ने अदाणी समूह के शेयरों को अच्छा खासा नुकसान पहुंचाया है.
साथ ही बता दें कि इस मामले में विपक्ष ने संयुक्त संसदीय समिति से जांच कराने की मांग की है, लेकिन सरकार ने जांच से इनकार कर दिया है. बजट सत्र के बाद इस महीने फिर से शुरू होने के बाद से दोनों सदनों में गतिरोध बना हुआ है. महुआ मोइत्रा इस विषय पर विपक्षी सांसदों में अधिक मुखर रही हैं. पिछले हफ्ते उन्होंने भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड, प्रवर्तन निदेशालय और आयकर विभाग को हिंडनबर्ग रिसर्च के अदाणी के अपतटीय फंडिंग के आरोपों की जांच करने के लिए बुलाया.
Also Read: Adani मामले पर संसद में नहीं थमा गतिरोध, JPC की मांग पर अडिग कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने सरकार को घेरायह ट्वीट ब्रिटिश प्रकाशन फाइनेंशियल टाइम्स के उस बयान के बाद किया गया था जिसमें कहा गया था कि भारत के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के आंकड़ों से संकेत मिलता है कि अदाणी से जुड़ी अपतटीय कंपनियों ने 2017 से 2022 तक अदाणी समूह में 2.6 बिलियन डॉलर का निवेश किया था. हिंडनबर्ग की अदाणी रिपोर्ट को भी कांग्रेस और राहुल गांधी द्वारा मुखर रूप से हरी झंडी दिखाई गई है, जिन्हें पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह राज्य गुजरात की एक अदालत द्वारा 2019 के ‘मोदी उपनाम’ मामले में आपराधिक मानहानि का दोषी ठहराए जाने के बाद लोकसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया था.