बर्दवान, मुकेश तिवारी : पश्चिम बंगाल के बर्दवान यूनिवर्सिटी में निजी कंपनी को भुगतान किये जाने की घटना को लेकर हंगामा मचा हुआ है. विश्वविद्यालय सूत्रों के मुताबिक कुल तीन करोड़ 24 लाख रुपये का भुगतान निजी कंपनी को किया गया है. सूत्रों के मुताबिक नये कुलपति कुछ महीने पहले ही बर्दवान विश्वविद्यालय में शामिल हुए हैं. लेकिन आरोप है कि इसके पूर्व ही कार्यकारिणी समिति की बैठक बुलाई गई और इस भारी भरकम बिल को पास कर दिया गया. मालूम हो कि विश्वविद्यालय की ओर से छात्रों के मार्कशीट कार्ड, एडमिट कार्ड, रिजल्ट से संबंधित विभिन्न मामलों की देखभाल के लिए बर्दवान विश्व विद्यालय द्वारा एक निजी संस्था को जिम्मेदारी दी गयी थी.
हालांकि, इतने बड़े कॉन्ट्रैक्ट के बाद भी कंपनी पर ठीक से काम न करने का आरोप विश्वविद्यालय ने लगाया है. इसलिए उक्त निजी कंपनी का पैसा विश्वविद्यालय ने रोक लिया था, बिल का भुगतान नहीं किया जा रहा था. लेकिन कुछ दिन पहले यूनिवर्सिटी की कार्यकारी परिषद की बैठक बुलाई गयी. आरोप है कि बैठक में दावा किया गया कि आचार्य व राज्यपाल ने स्वयं इस बिल के निपटान करने की अनुमति दी है. इसके बाद बैठक में कुल तीन करोड़ 24 लाख रुपये के बिल के सेटलमेंट को सर्वसम्मति से मंजूरी दी गयी. आरोप है कि विश्वविद्यालय के पास आचार्य द्वारा भुगतान की मंजूरी की बाबत कोई दस्तावेज नहीं है.
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इस घटना के सामने आने के बाद विश्वविद्यालय के छात्रों और प्रोफेसरों के एक समूह ने वित्तीय भ्रष्टाचार के आरोप लगाये हैं. हालांकि इस घटना के बारे में पूर्व कुलपति विश्वजीत घोष का दावा है कि छात्रों के परीक्षा परिणाम प्रकाशित करने के लिए संगठन के साथ जो समझौता हुआ था, वह पैसा देना उनका कर्तव्य है. उन्होंने है वे सही नहीं हैं.कहा कि अगर पैसा नहीं दिया गया तो छात्रों के लिए परेशानी हो जायेगी. हालांकि, मौजूदा कुलपति गौतम चंद्रा ने कहा कि उन्हें घटना के बारे में कुछ पता नही है. वे मामले की जांच करेंगे.
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एसएफआइ के जिला सचिव अनिर्वाण राय चौधरी का आरोप है कि केवल साढ़े तीन करोड़ रुपये ही नहीं, बल्कि लगभग 21 करोड़ रुपयों का हिसाब नहीं मिल रहा है. जिस निजी कंपनी ने सटीक कार्य नहीं किया उसे किस तरह से साढ़े तीन करोड़ रुपये का भुगतान किया गया. छात्र नेता ने पूर्व कुलपति, रजिस्ट्रार और वित्त अधिकारी के खिलाफ आरोप लगाये हैं. बर्दवान विश्वविद्यालय के कर्मचारी संगठन के महासचिव श्यामा प्रसाद बनर्जी ने कहा कि उक्त निजी संस्था के साथ बर्दवान विश्वविद्यालय का समझौता है. समझौते के तहत ही विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार और फाइनेंस विभाग ने बकाया रुपया उसे सौंपा है. इसमें क्या गलत है ? मुझे लगता है कि जो लोग यह आरोप लगा रहे वे सही नहीं है.