11.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

नंदीग्राम का महासंग्राम: ममता का नरम हिंदुत्व बनाम शुभेंदु का आक्रामक हिंदुत्व

नंदीग्राम में मुकाबला ममता बनर्जी के नरम हिंदुत्व बनाम शुभेंदु अधिकारी के आक्रामक हिंदुत्व के बीच हो गया है. लंबे अरसे तक भाजपा की धार्मिक राजनीति को नकारने वाली ममता बनर्जी खुद उसी रास्ते पर चल चुकीं हैं. तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी ‘नरम हिंदुत्व’ अपनाते हुए कह रही हैं कि वह हिंदू परिवार की बेटी हैं. चंडी पाठ भी कर रही हैं.

नंदीग्राम : जय श्री राम सुनते ही आग-बबूला हो जाने वाली ममता बनर्जी को बंगाल चुनाव 2021 से पहले गुस्सा नहीं आ रहा. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि प्रदेश की मुख्यमंत्री एवं तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी अपनी छवि बदलने में जुटी हैं. इसलिए जहां भी जाती हैं, रैलियों में चंडी पाठ करने लगती हैं. पहली बार उन्होंने पिछले दिनों खुद को हिंदू ब्राह्मण की बेटी बताया. इससे स्पष्ट हो गया कि नंदीग्राम में ममता बनर्जी शुभेंदु के साथ मुकाबले के लिए हिंदुत्व का सहारा ले रही हैं.

नंदीग्राम में मुकाबला ममता बनर्जी के नरम हिंदुत्व बनाम शुभेंदु अधिकारी के आक्रामक हिंदुत्व के बीच हो गया है. लंबे अरसे तक भाजपा की धार्मिक राजनीति को नकारने वाली ममता बनर्जी खुद उसी रास्ते पर चल चुकीं हैं. तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी ‘नरम हिंदुत्व’ अपनाते हुए कह रही हैं कि वह हिंदू परिवार की बेटी हैं. चंडी पाठ भी कर रही हैं.

चुनाव प्रचार के दौरान हादसे का शिकार होने और अस्पताल में भर्ती कराये जाने से पहले वह दो दिन में 12 मंदिरों में गयीं. नंदीग्राम पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में आया, जब भूमि अधिग्रहण के खिलाफ ममता बनर्जी के नेतृत्व में आंदोलन हुआ था. हालांकि, कहा जाता है कि पर्दे के पीछे मेदिनीपुर की राजनीति में गहरी बैठ रखने वाला अधिकारी परिवार था.

Also Read: नंदीग्राम का महासंग्राम: ममता बनर्जी-शुभेंदु अधिकारी में किसका पलड़ा कितना भारी, पढ़ें ग्राउंड रिपोर्ट

बहरहाल, आंदोलन के बाद यह क्षेत्र फिर खबरों में तब आया, जब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नंदीग्राम सीट से ही विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी. भारतीय जनता पार्टी ने उनके ही पुराने सिपाही शुभेंदु अधिकारी को यहां से टिकट देकर मुकाबले को रोमांचक बना दिया. ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस से मनमुटाव के बाद शुभेंदु भाजपा में शामिल हुए थे.

नामांकन दाखिल करने के बाद ममता बनर्जी नंदीग्राम में 12 मंदिरों में गयीं. इस दौरान उन्होंने सिर्फ एक मजार पर मत्था टेका. हादसे में घायल हो जाने के कारण अपनी यात्रा बीच में ही छोड़कर वह कोलकाता लौट गयीं. इसके बाद व्हील चेयर पर बैठकर ममता ने कई जिलों का दौरा किया, लेकिन नंदीग्राम आखिरी दौर में ही आयीं.

Also Read: Suvendu Adhikari: छात्र राजनीति से निकलकर पश्चिम बंगाल की सियासत में छा गये शुभेंदु अधिकारी

इस दौरान शुभेंदु अधिकारी ने ममता पर हमला बोलना बंद नहीं किया. उन्होंने कभी ममता को ‘मिलावटी हिंदू’ बताया, तो कभी ममता बेगम तक कह डाला. शुभेंदु ने कहा कि ममता बनर्जी तुष्टिकरण की राजनीति के पाप से अलग नहीं हो सकतीं.

भाजपा के हिंदुत्व से मुकाबले के लिए ममता ने किया चंडी पाठ

ममता बनर्जी के द्वारा मंदिरों का दौरा करने और रैलियों में चंडी पाठ और सरस्वती पूजा के श्लोकों के पाठ को भाजपा के आक्रामक हिंदुत्व का मुकाबला करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है. साथ ही उनके कथित मुस्लिम पक्षपात की आलोचना को भी रोकने के प्रयास के तौर पर इस कदम को देखा जा रहा है.

Also Read: Mamata Vs Suvendu: नंदीग्राम में ममता को 50 हजार वोटों से नहीं हराया, तो राजनीति छोड़ दूंगा, कोलकाता में बोले शुभेंदु अधिकारी

यहां बताना प्रासंगिक होगा कि नंदीग्राम में 30 प्रतिशत से अधिक मुस्लिम आबादी है, जो पिछले एक दशक में तृणमूल के साथ है. शुभेंदु अधिकारी की नजर शेष 70 फीसदी हिंदू मतों पर है. इससे हिंदू वोटों की लड़ाई तेज होती दिख रही है.

शुभेंदु को 70 फीसदी हिंदू वोटों पर भरोसा

शुभेंदु अधिकारी को अपनी चुनावी रैलियों में अक्सर यह कहते सुना गया कि उन्हें 70 प्रतिशत मतदाताओं पर पूरा विश्वास है और शेष 30 प्रतिशत को लेकर वह चिंतित नहीं हैं. हालांकि, तृणमूल के वरिष्ठ नेताओं का जोर है कि ममता द्वारा मंदिरों की यात्रा पार्टी की ‘समावेशी नीतियों’ का हिस्सा है. वहीं, प्रतिद्वंद्वी भाजपा का कहना है कि इसका मकसद भगवा पार्टी के हिंदू वोट बैंक में सेंध लगाना है, क्योंकि उन्होंने महसूस कर लिया है कि केवल मुस्लिम वोट जीत के लिए पर्याप्त नहीं हैं.

शुभेंदु अधिकारी ने मुख्यमंत्री द्वारा इतने मंदिरों की यात्रा करने की आवश्यकता पर सवाल खड़े किये. कहा, ‘उन्होंने एक विशिष्ट समुदाय की 30 प्रतिशत आबादी के कारण इस सीट से चुनाव लड़ने का फैसला किया. आप उन नेताओं को देखिए, जो नंदीग्राम में उनके साथ घूम रहे हैं और आप समझ जायेंगे कि असलियत क्या है.’

शुभेंदु विश्वासघाती, सारे आदर्श भूल गये – सौगत राय

उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल की 294 सदस्यीय विधानसभा में आठ चरणों में मतदान होगा. राज्य में 27 मार्च, एक अप्रैल, छह अप्रैल, दस अप्रैल, 17 अप्रैल, 22 अप्रैल, 26 अप्रैल और 29 अप्रैल को अलग-अलग क्षेत्रों में वोट डाले जायेंगे. मतगणना 2 मई को होगी और 4 मई को चुनाव की पूरी प्रक्रिया समाप्त हो जायेगी.

Posted By : Mithilesh Jha

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें