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बंगाल : पंचायत चुनाव में हिंसा पर केंद्र को रिपोर्ट सौंपने दिल्ली जायेंगे राज्यपाल सीवी आनंद बोस

पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव में हुई हिंसा पर राज्यपाल सीवी आनंद बोस केंद्र को एक रिपोर्ट सौंपेंगे. इसके लिए वह दिल्ली जा रहे हैं. अधिकारियों ने बताया है कि वह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी मुलाकात कर सकते हैं. चुनावी हिंसा में इस बार 37 लोगों की मौत हुई है, जो वर्ष 2018 से अधिक है.

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस पंचायत चुनाव में हुई हिंसा पर रिपोर्ट सौंपने के लिए दिल्ली जा रहे हैं. अधिकारियों ने यह जानकारी दी है. बंगाल में 8 जून 2023 को पंचायत चुनाव की तारीखों की घोषणा के बाद ही हिंसा शुरू हो गयी थी. हिंसा का यह दौर मतदान के दिन यानी 8 जुलाई 2023 तक चला. इस एक महीने में 37 लोगों की मौत हो गयी. चुनाव की पूर्व संध्या से लेकर चुनाव खत्म होने तक आधिकारिक तौर पर 10 लोगों की चुनावी हिंसा में मौत हो गयी.

राज्यपाल ने की थी हिंसा की निंदा

बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने चुनाव से पहले हो रही हिंसा के दौरान हिंसाग्रस्त इलाकों में जाकर स्थिति का आकलन किया. उन्होंने बार-बार कहा कि लोकतंत्र में जीत और हार का फैसला बैलेट पेपर से होना चाहिए, गोली-बंदूक से नहीं. लोकतंत्र में हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है. प्रदेश की सत्तारूढ़ पार्टी ने इसके लिए राज्यपाल सीवी आनंद बोस की जमकर आलोचना की. बहरहाल, खबर है कि राज्यपाल केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी मिल सकते हैं.

37 मौतों का जिम्मेदार कौन?

राज्य चुनाव आयोग द्वारा पंचायत चुनाव की तारीख घोषित होने के बाद से मतदान के दिन तक पश्चिम बंगाल में हिंसा का दौर जारी रहा. इस चुनाव ने राज्य भर में कई लोगों की जान ले ली और कई आजीविकाओं को नष्ट कर दिया है. सभी चुनावी पार्टी एक दूसरे को इस हिंसा का जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. अब सवाल यह है की आखिर इतने सारे मौतों का जिम्मेदार कौन है. मरने वालों की संख्या अब 37 तक पहुंच गयी है, जिससे सुचारु मतदान प्रक्रिया सुनिश्चित करने में राज्य चुनाव आयोग की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं.

8 जुलाई को 8 जिलों में 18 लोगों की मौत

बताया जा रहा है कि शनिवार (8 जुलाई 2023) को पश्चिम बंगाल के आठ जिलों में हुई हिंसक झड़प में कम से कम 18 लोगों की मौत हो गयी, क्योंकि 20 जिलों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में व्यापक हिंसा, मतपत्रों की लूट और धांधली हुई थी. केवल दो स्तरीय पंचायत वाले दो पहाड़ी जिलों दार्जिलिंग और कलिम्पोंग में मतदान शांतिपूर्ण रहा.

चुनावी हिंसा में 37 की मौत

शनिवार की हिंसा में मरने वालों की संख्या बढ़कर 37 हो गयी, जिससे मतदान के सुचारु संचालन को सुनिश्चित करने में विफलता पर राज्य चुनाव आयोग की भूमिका पर सवाल उठाया गया. चुनाव आयोग शुरू में अतिरिक्त बलों को तैनात करने के विचार का विरोध कर रहा था. यहां तक कि कलकत्ता उच्च न्यायालय ने भी इसकी खिंचाई की थी.

2018 में हुई थी 23 लोगों की मौत

विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे राज्य में, जहां बूथ स्तर पर हिंसा राजनीतिक संस्कृति में गहराई तक व्याप्त है, वहां चुनाव की निगरानी करने वाले अधिकारियों को अपनी जिम्मेदारी के प्रति अधिक सक्षम और गंभीर होना चाहिए था. बता दें कि वर्ष 2018 में संपन्न हुए पंचायत चुनावों में पूरे बंगाल में 23 लोगों की मौत हो गयी थी, जिनमें से 12 की जान मतदान के दिन गयी.

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