तोक्यो : प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपने स्वभाव के विपरीत एक खरी टिप्पणी करते हुए आज यहां जापनी निवेशकों को नसीहत दी कि जीवन में कभी कभी ‘पूरी के चक्कर में आदमी आधी भी गंवा देता है.’उन्होंने उद्यमियों की एक बठक में बात उस समय कही जब जापान के एक बड़े बैंक अधिकारी ने भारत के महानगरों में विदेशी बैंकों की शाखाएं खोलने के लिए नियमों को उदार बनाने की मांग करते हुए एक सवाल किया.
जापान के प्रमुख वाणिज्य एवं उद्योगमंडल केइदानरेन के सदस्यों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘ये मुश्किल तकनीकी सवाल हैं. इसके बारे में हमारा वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक फैसला करते हैं. मैं आपके सामने स्वीकार करना चाहता हूं कि सार्वजनिक जीवन में जब आप जितना उपर जाते हैं तो निचले स्तर के बारे आपकी जानकारी उतना ही कम होती जाती है.’’जापान के उद्योग जगत को प्रधानमंत्री ने भरोसा दिलाया कि उनकी समस्याओं के हल के लिए कदम उठाए जाएंगे. उन्होंने कहा कि निवेश के लिए अनुकूल माहौल उपलब्ध कराने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे.
उन्होंने कहा कि यह सिर्फ जापानी उद्योग के लिए ही नहीं, बल्कि भारत में जापान के बैंकिंग समुदाय की अधिक मौजूदगी सुनिश्चित करने के लिए भी किया जाएगा. प्रधानमंत्री ने कहा, ‘ यह प्रवृत्ति साफ है, सार्वजनिक जीवन में मैंने यह सीखा है कि कई बार पूरी के चक्कर में आदमी आधी भी गंवा देता है. हमें ऐसा नहीं होने देना चाहिए.’’
प्रधानमंत्री ने जापान के साथ नजदीकी सुरक्षा एवं रक्षा संबंधों की पैरवी की
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में ‘निरंतर व्याप्त खतरों’ के प्रति आगाह करते हुए कहा है कि जापान को भारत स्थिरता एवं शांति के अपने प्रयास में एक ‘स्वाभाविक और अपरिहार्य साङोदार’ के रुप में देखता है. सिंह ने आज हिंद और प्रशांत महासागरों के जुड़े हुए क्षेत्रों में समुद्री सुरक्षा की जरुरत पर भी जोर दिया ताकि क्षेत्रीय एवं वैश्विक सुरक्षा को मजबूत किया जा सके. उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि सभी समुद्री मुद्दों का निपटारा अंतरराष्ट्रीय कानून के मुताबिक होना चाहिए.
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हमारे बीच रक्षा एवं सुरक्षा संवाद, समुद्री अभ्यास एवं रक्षा प्रौद्योगिकी सहयोग बढ़ना चाहिए. हमें वैश्विक एवं क्षेत्रीय मंचों पर अधिक निकटता के साथ विचार विमर्श और सहयोग करना चाहिए.’’ जापानी प्रधानमंत्री शिंजो एबे के साथ होने वाली शिखर वार्ता की पूर्व संध्या पर सिंह ने कहा कि मतभेदों को दूर करने और विश्वास को बहाल करने के लिए क्षेत्रीय व्यवस्थाएं मजबूत की जानी चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘गहन क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण होना चाहिए तथा नौवहन की स्वतत्रंता और अंतरराष्ट्रीय काननू के मुताबिक बिना रोकटोक वैध व्यापार होना चाहिए ताकि समुद्री मुद्दों का शांतिपूर्ण समाधान निकाला जा सके.’’
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का बयान उस वक्त सामने आया है जब चीन दक्षिणी चीन सागर और पूर्वी चीन सागर में अपना प्रभुत्व दिखा रहा है. इसी को लेकर जापान तथा कुछ दूसरे देशों के साथ चीन का विवाद चल रहा है. सिंह ने कहा कि दोनों देशों को मिलकर अधिक उद्देश्यपूर्ण तरीके से काम करना चाहिए ताकि समुद्री क्षेत्रों की क्षमताओं का दोहन किया जा सके और समान समुद्री चुनौतियों मसलन डकैती का निवारण किया जा सके.
उन्होंने जापान-इंडिया एसोसिएशन, जापान इंडिया पार्लियामेंटरी फ्रेंडशिप लीग और इंटरनेशनल फ्रेंडशिप एक्सचेंज काउंसिल को संबोधित करते हुए कहा कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र बड़े पैमाने पर सामाजिक और आर्थिक बदलावों का गवाह बन रहा है और इन बदलावों की गति शायद ही पहले कभी मानव इतिहास में देखी गई हो. सिंह ने कहा कि इस क्षेत्र ने स्वतंत्रता, अवसर और समृद्धि को लेकर बीती आधी सदी के दौरान अप्रत्याशित उभार देखा गया है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र कई चुनौतियों, अनसुलझे मुद्दों और अनसुलझे सवालों का सामना कर रहा है. उन्होंने कहा कि अंतर-निर्भरता के बढ़ने के साथ ही ऐतिहासिक मतभेद कायम हैं. सिंह ने कहा, ‘‘समृद्धि ने विभिन्न देशों के बीच विषमताओं को पूरी तरह खत्म नहीं किया है और स्थिरता एवं सुरक्षा संबंधी खतरे बढ़ रहे हैं.’’