भारत में महिलाओं के खिलाफ हिंसा की खबरें भयभीत करने वालीं : अमेरिका

वाशिंगटन: अमेरिका ने कहा है कि भारत में यौन हिंसा और हत्याओं की खबरों से वह भयभीत है. साथ ही उसने ऐसी घटनाओं से प्रभावित लोगों को सुरक्षा देने के लिए काम करने वाले व्यक्तियों, सरकारी अधिकारियों और नागरिक समाज के समूहों की भूमिका की सराहना भी की. विदेश मंत्रालय की उप प्रवक्ता मेरी हार्फ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 4, 2014 11:07 AM

वाशिंगटन: अमेरिका ने कहा है कि भारत में यौन हिंसा और हत्याओं की खबरों से वह भयभीत है. साथ ही उसने ऐसी घटनाओं से प्रभावित लोगों को सुरक्षा देने के लिए काम करने वाले व्यक्तियों, सरकारी अधिकारियों और नागरिक समाज के समूहों की भूमिका की सराहना भी की.

विदेश मंत्रालय की उप प्रवक्ता मेरी हार्फ ने कल कहा, भारत में यौन उत्पीडनों और हत्याओं की घटनाओं के बारे में जान कर हम भयभीत हैं. इस मुश्किल समय में हमारी संवेदनाएं पीड़ित परिवारों के साथ है. हार्फ उत्तरप्रदेश के बदायूं जिले में पिछले सप्ताह दो किशोरियों के साथ हुए क्रूर सामूहिक बलात्कार और उनकी हत्या से जुडे सवालों पर अपनी प्रतिक्रिया दे रही थीं.

उन्होंने कहा, जैसा कि हमने कहा है, कानूनों और सोच में बदलाव कडी मेहनत का काम है. हालांकि ओबामा प्रशासन ने भारत में पीड़ितों की सुरक्षा के लिए काम करने वाले सरकारी अधिकारियों, नागरिक समाज समूहों की भूमिका की सराहना की.

उन्होंने कहा, हम भारत में उन व्यक्तियों, सरकारी अधिकारियों और नागरिक समाज समूहों की सराहना करते हैं, जो पीड़ितों की सुरक्षा के लिए, लैंगिक हिंसा रोकने के लिए और बहुत मुश्किल से बदल सकने वाली चीजों को बदलने की कोशिश में मदद करते हैं.

यूएसआइबीसी के पूर्व अध्यक्ष रोन सोमर्स ने कहा कि इस समय की सबसे बड़ी जरुरत यह है कि कानून और व्यवस्था को मजबूत किया जाये. खासकर महिलाओं की सुरक्षा के लिए और समाज के सभी वर्गों के लिए कानून निष्पक्ष ढंग से लागू करने के लिए.

उन्होंने कहा, बलात्कार के हालिया मामले की खबरें बहुत तेजी से आ रही हैं. यह त्रासदी पूरी मानवता पर एक अभिशाप है और यह हम सभी को सीधे तौर पर प्रभावित कर रही है. उन्होंने कहा, इस तरह का कृत्य भारत की छवि को वास्तव में बहुत नुकसान पहुंचाता है. मूलभूत सुरक्षा की बात आने पर वैश्विक निवेशक और यात्री :ऐसे स्थानों पर जाने में: बहुत झिझक महसूस करते हैं.

सोमर्स ने कहा, कानून और व्यवस्था को राज्य की जिम्मेदारी मानते हुए और यह भी जानते हुए कि घृणा अपराध ऐसी हिंसा है, जो किसी राष्ट्रीय सीमा को नहीं मानती, केवल केंद्र सरकार ही भारत में शांति स्थापित करने और यहां निर्दोषों की सुरक्षा करने के लिए एक मिसाल कायम कर सकती है और यह आज के समय में सबसे जरुरी है.

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