भारत को मनाने के लिए हिलेरी ने की थी दिल्ली की यात्रा
वाशिंगटन : अमेरिका की तत्कालीन विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने जब मई 2012 में भारत की अचानक यात्रा की थी तो यह सोचा गया था कि शीर्ष अमेरिकी राजनयिक के नाते यह उनकी आखिरी यात्रा है. लेकिन अपनी पुस्तक ‘हार्ड च्वाइसेज’ में उन्होंने इस बात का खुलासा किया है कि उनकी यात्रा का एकमात्र उद्देश्य […]
वाशिंगटन : अमेरिका की तत्कालीन विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने जब मई 2012 में भारत की अचानक यात्रा की थी तो यह सोचा गया था कि शीर्ष अमेरिकी राजनयिक के नाते यह उनकी आखिरी यात्रा है. लेकिन अपनी पुस्तक ‘हार्ड च्वाइसेज’ में उन्होंने इस बात का खुलासा किया है कि उनकी यात्रा का एकमात्र उद्देश्य ईरानी तेल पर भारत को अपनी निर्भरता कम करने के लिए मनाना था.
उन्होंने आज से दुकानों में उपलब्ध हुई अपनी इस पुस्तक में कहा है कि उनकी यात्रा सफल रही थी. हिलेरी ने लिखा है कि उन्होंने इस मुद्दे पर व्यक्तिगत तौर पर भारतीय नेतृत्व को मनाने के लिए नई दिल्ली की यात्रा की थी क्योंकि यह एकमात्र बडा देश था जो अमेरिकी राह पर नहीं चलना चाहता था.
उन्होंने लिखा है कि ईरानी तेल पर अपनी निर्भरता घटाने के पश्चिमी देशों के अनुरोध को शुरु में सार्वजनिक रुप से ठुकरा दिया गया था. 66 वर्षीय नेता ने लिखा है कि हमारी निजी बातचीत में भारतीय नेता इस बात पर राजी हुए कि मध्य पूर्व महत्वपूर्ण है. वे इस बात से भली भांति वाकिफ थे कि 60 लाख भारतीय खाडी क्षेत्र में रहते हैं और काम करते हैं तथा यह मुद्दा राजनीतिक या आर्थिक अस्थिरता ला सकता है.
हिलेरी ने लिखा है, ‘‘मैंने ईरान को वार्ता की मेज पर वापस लाने को लेकर उस पर दबाव बनाने के लिए एक कूटनीतिक समाधान ढूंढने और सैन्य संघर्ष को टालने के लिए एक एकीकृत मोर्चा को सर्वश्रेष्ठ उपाय बताया. मैंने विकेंद्रीकृत उर्जा आपूर्ति के फायदों को रेखांकित किया और बाजार में उपलब्ध ईरान के विकल्पों के बारे में बात की.’’ गौरतलब है कि सउदी अरब के बाद ईरान भारत को कच्चे तेल की आपूर्ति करने वाला दूसरा बडा आपूर्तिकर्ता देश है. 2012 में भारत की तेल जरुरतों का 12 फीसदी ईरान से पूरा होता था.