तुर्की में बोलकर नहीं, सीटी बजाकर लोग करते हैं बात

स्पेन, मेक्सिको और यूनान में प्रचलित है बर्ल्ड लैंग्वेज नयी दिल्ली : अपनी बात कहने के लिए दुनिया भर में लोग तरह-तरह की भाषाओं और बोलियों का इस्तेमाल करते हैं. पशु, पक्षी और परिंदे भी अलग-अलग तरह की आवाजें निकाल कर आपस में संवाद करते हैं, लेकिन दुनिया का एक हिस्सा ऐसा है, जहां लोग […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 22, 2018 12:51 AM
स्पेन, मेक्सिको और यूनान में प्रचलित है बर्ल्ड लैंग्वेज
नयी दिल्ली : अपनी बात कहने के लिए दुनिया भर में लोग तरह-तरह की भाषाओं और बोलियों का इस्तेमाल करते हैं. पशु, पक्षी और परिंदे भी अलग-अलग तरह की आवाजें निकाल कर आपस में संवाद करते हैं, लेकिन दुनिया का एक हिस्सा ऐसा है, जहां लोग सीटी बजा कर अपनी बात कहते हैं.
संयुक्त राष्ट्र की सांस्कृतिक एजेंसी ने पिछले साल तुर्की के एक हिस्से में बोली जाने वाली ‘बर्ल्ड लैंग्वेज’ को अपनी धरोहर सूची में शामिल किया. इसके बाद पूरी दुनिया का ध्यान इस अनोखी भाषा की ओर आकर्षित हुआ. उत्तरी तुर्की के गिरेसुन प्रांत के गांवों में रहने वाले करीब दस हजार लोग इस बेहद खूबसूरत भाषा को जीवित रखे हुए हैं. यूनेस्को ने भाषा को सूची में शामिल करने पर बताया कि ऊंची-ऊंची दुर्गम पहाड़ियों वाले इन इलाकों में रहने वाले लोग अपनी बात को दूर तक पहुंचाने के लिए सीटी के जरिये संवाद करते हैं.
एक जमाने में ढोल बजा कर अपनी आवाज पहुंचाने का चलन हुआ करता था. लेकिन, आज संचार के आधुनिकतम माध्यमों के बीच काला सागर के तट पर बसे पर्वतीय इलाके में सीटी बजा कर छोटे-छोटे संदेश दूर तक पहुंचाने की बोली को बचाने की कोशिश हो रही है. विशेषज्ञों का कहना है कि दुनिया के कई हिस्सों में सीटी की भाषा बोलने का चलन रहा है. तुर्की के अलावा स्पेन, मेक्सिको और यूनान में भी यह बोली प्रचलित रही, लेकिन तुर्की की बर्ल्ड लैग्वेज सबसे समृद्ध है. इसमें चार सौ से ज्यादा शब्द और वाक्यांश हैं.
यूएन की सांस्कृतिक एजेंसी ने भाषा को धरोहर की सूची में किया शामिल
चरवाहों ने इस बोली को जिंदा रखा
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, 50 साल पहले तक आस-पास के कई इलाकों में परिंदों की तरह बोली जाने वाली इस बोली का खासा प्रचलन था. लेकिन, मोबाइल के बढ़ते प्रसार के कारण अब यह बहुत छोटे इलाके में सिमट कर रह गयी है. यहां भी मुख्यत: चरवाहों ने इस बोली को जिंदा रखा. हालांकि, अब आधुनिक संचार माध्यमों के बीच भी लोग इस बोली के जरिये बात करते दिखाई देते हैं.
इसलिए पैदा हुई थी इस भाषा की जरूरत
एक समय में पर्वतीय इलाकों में रहने वालों के लिए संवाद करना मुश्किल होता होगा. किसी काम से घर से निकले व्यक्ति को अगर किसी कारणवश देर हो जाये तो वह कैसे बताये कि वह सुरक्षित है, पहाड़ी के दूसरी तरफ रहने वालों को कोई संदेश देना हो तो क्या करें, कहीं कोई भटक गया हो तो अपनी मंजिल तक कैसे पहुंचे, कोई आपदा हो तो बचाव के लिए कैसे पुकारें? इन तमाम सवालों का एक आसान सा जवाब था, सीटी बजा कर बोली जाने वाली यह अनोखी भाषा.

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