वाशिंगटन: इराक संकट पर अमेरिका लगातार नजर बनाये हुए है. इराक सेना डटकर इस्लामी चरमपंथियों से मुकाबला कर रही है अगर इराक इन चरमपंथियों से लोहा लेने में सेना कमतर साबित होता है, तो अमेरिका अपने सैनिक इराक उनकी मदद के लिए भेज सकता है. हालांकि अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने साफ किया कि लड़ाकू सैनिक इराक नहीं जायेंगे लेकिन ओबामा ने बगदाद को आश्वस्त किया जरूरत पड़ी, तो अमेरिका चुनिंदा सैन्य कार्रवाई शुरु करने से पीछे नहीं हटेगा. .
अपने शीर्ष राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के साथ बैठक के बाद ओबामा ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘अमेरिकी सैनिक इराक में लडाई के लिए वापस नहीं जाएंगे लेकिन हम इराक को आतंकवादियों से लडने में मदद करेंगे, जिसने इराकी लोगों, क्षेत्र के साथ ही अमेरिकी हितों को खतरे में डाला है.’’ उन्होंने कल कहा कि हजारों सैनिकों को भेजकर सामान्य तरीके से इस समस्या से निजात पाने की क्षमता हमारे पास नहीं है. आखिरकार, यह सब ऐसा है जिसका समाधान इराक के लोग ही करेंगे.
इराक ने सुरक्षा करार (दोनों देशों के बीच) के तहत अमेरिका से मदद करने और देश के दूसरे सबसे बडे शहर मोसूल पर कब्जा करने वाले तथा राजधानी की ओर आगे बढ रहे इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (आईएसआईएस) के आतंकियों पर हवाई हमला करने का अनुरोध किया है.