नासा की मंगल पर कॉलोनी बसाने की तैयारी पूरी, अब पानी भी मिला
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने मंगल ग्रह पर बसने वाली बस्तियों का डिजाइन फाइनल कर लिया है. इसके लिए नासा ने तीन फाइनलिस्टों की सूची बनायी है. अंतिम निर्णय मई के पहले हफ्ते में लिया जायेगा. नासा ने 2030 तक वहां मानव कॉलोनियां बसाने का लक्ष्य रखा है. अभी तक के तय डिजाइन के मुताबिक, […]
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने मंगल ग्रह पर बसने वाली बस्तियों का डिजाइन फाइनल कर लिया है. इसके लिए नासा ने तीन फाइनलिस्टों की सूची बनायी है. अंतिम निर्णय मई के पहले हफ्ते में लिया जायेगा.
नासा ने 2030 तक वहां मानव कॉलोनियां बसाने का लक्ष्य रखा है. अभी तक के तय डिजाइन के मुताबिक, इसे ऐसे तैयार किया है कि इसमें चार लोग एक साथ रहकर काम कर सकते हैं. इसके अंदर वे तमाम तकनीक होंगी जिनकी अंतरिक्ष यात्रियों को जरूरत होगी. जैसे धरती पर मौजूद स्टेशन से बात करने की तकनीक आदि.
नासा सिर्फ डिजाइन ही फाइनल नहीं कर रही है बल्कि मंगल ग्रह पर इंसान के पहुंचने के रास्ते में आने वाली पांच मुश्किलों की एक सूची भी बनायी है. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने इन मुश्किलों का अध्ययन करने के लिए अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र और लैब का इस्तेमाल किया है. नासा के मुताबिक ये पांच मुश्किलें हैं- विकिरण, अलगाव, धरती से दूरी, गुरुत्वकर्षण और बंद वातावरण.
जोरफियस
जोरफियस का निर्माण स्वचालित रोवर के माध्यम से मंगल की धरती पर कराया जायेगा. निर्माण में थ्री-डी प्रिंटिंग का इस्तेमाल होगा. कॉलोनी के इस मॉडल को नासा ने सर्वश्रेष्ठ माना है.
मार्स इन्क्यूबेटर
14 करोड़ मील है धरती से मंगल की दूरी
03 दिनों की यात्रा करनी पड़ती है चांद तक पहुंचने के लिए
03 साल का है मंगल तक का सफर
2030 तक मंगल पर लोगों को बसाने की योजना
मार्स इन्क्यूबेटर के नाम से बने इस घर में मंगल पर खुदाई करने की भी तकनीक मौजूद है. इस मॉडल में प्राकृतिक रोशनी का पूरा ध्यान रखा गया है.
मंगल ग्रह पर सतह से नीचे पानी है मौजूद
मंगल ग्रह पर सतह से नीचे पानी की सक्रिय मौजूदगी हो सकती है और यह शायद इस लाल ग्रह के चंद इलाकों में सतह से ऊपर बहने वाले पानी में अपना योगदान दे रहा हो. यह बात एक अध्ययन में सामने आयी है. बीते साल मंगल पर गहरी झील का पता लगा था.