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अमेरिका ने दी भारत को नयी टेंशन, पेट्रोल-डीजल के दामों से जुड़ा है मामला

नयी दिल्लीः अमेरिका ने भारत को एक नयी टेंशन दे दी है. 11वें ट्रेड विंड्स बिजनेस फोरम में भाग लेने के लिये भारत आए अमेरिकी कॉमर्स सेक्रटरी विल्बर रॉस ने कहा है कि हम भारत को ईरान के सस्ते तेल का आयात रोकने से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए रियायती दर पर अपना […]

नयी दिल्लीः अमेरिका ने भारत को एक नयी टेंशन दे दी है. 11वें ट्रेड विंड्स बिजनेस फोरम में भाग लेने के लिये भारत आए अमेरिकी कॉमर्स सेक्रटरी विल्बर रॉस ने कहा है कि हम भारत को ईरान के सस्ते तेल का आयात रोकने से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए रियायती दर पर अपना कच्चा तेल बेचने का भरोसा नहीं दे सकते. बता दें कि अमेरिकी प्रतिबंधों से छूट खत्म होने के बाद भारत ने इसी महीने ईरान से कच्चा तेल खरीदना बंद कर दिया है. अमेरिकी कॉमर्स सेक्रटरी ने कहा कि तेल पर मालिकाना हक निजी हाथों में है इसलिए सरकार दाम में छूट देने के लिए लोगों पर दबाव नहीं बना सकती. आपको बता दें कि अमेरिका द्वारा ईरान से तेल आयात करने वाले देशों पर प्रतिबंधों में छूट न देने के बाद, भारत को भी दो मई से ईरान से कच्चे तेल का आयात बंद करना पड़ा है.

ट्रंप प्रशासन ने प्रतिबंधों पर मिलने वाली छूट आगे न बढ़ाने का फैसला किया जिससे भारत जैसे देशों को अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना कर रहे ईरान से तेल का आयात बंद करना पड़ा. गौरतलब है कि ईरान और विश्व की छह शक्तियों के बीच हुए परमाणु समझौते को ट्रंप द्वारा रद्द करने के बाद बीते साल नवंबर में अमेरिका ने ईरानी तेल के निर्यात पर प्रतिबंध दोबारा लगा दिया था. वॉशिंगटन ने हालांकि इस प्रतिबंध से ईरानी तेल के आठ प्रमुख खरीदारों-भारत, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, ताइवान, तुर्की, इटली तथा ग्रीस को छह महीने तक की अवधि के लिए छूट दी थी, जो अब खत्म हो चुका है.

उम्मीद की जा रही थी कि भारत सरकार ईरानी तेल सप्लाई के लिए अमेरिकी सरकार पर दबाव बनाएगी. चीन के बाद ईरान से कच्चा तेल खरीदने वाला भारत दूसरा सबसे बड़ा देश है. 31 मार्च को खत्म हुए वित्त वर्ष (2018-19) में भारत ने ईरान से करीब 24 मिलियन टन कच्चा तेल खरीदा. ईरान ने भारत की तेल जरूरत के 10% से ज्यादा की आपूर्ति की. अब तेल सप्लाई की इस कमी को सऊदी अरब, कुवैत, यूएई और मेक्सिको जैसे देशों से पूरा किया जाएगा. 2018-19 में इराक और सऊदी अरब के बाद ईरान दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल निर्यातक देश है.

वादा तो नहीं मगर मिला भरोसा

आपको बता दें कि ईरान से कच्चा तेल मंगाना भारतीय रिफाइनरीज के लिए अब तक फायदे का सौदा रहा है. ईरान खरीदारों को भुगतान के लिए 60 दिन का समय देता है. ऐसी सुविधा अन्य तेल उत्पादक देशों जैसे सऊदी अरब, कुवैत, इराक, नाइजीरिया और अमेरिका के साथ उपलब्ध नहीं है. हालांकि अमेरिका ने भारत को भरोसा दिलाते हुए यह भी कहा है कि वह सऊदी अरब और यूएई जैसे देशों से बातचीत कर रहा है जिससे भारत को अमेरिकी प्रतिबंधों में छूट न बढ़ने के बावजूद तेल की आपूर्ति हो सके. इस बीच पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा है कि भारतीय रिफाइनरीज की जरूरत के मुताबिक तेल की आपूर्ति के लिए एक मजबूत योजना तैयार है.

सोमवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अमेरिकी ट्रेड सेक्रटरी विल्बर रॉस से मुलाकात की. इस दौरान हालिया घटनाक्रम के बाद तेल आपूर्ति पर गहरा असर पड़ने की भारत की चिंता पर भी चर्चा हुई. इसके बाद भारत में अमेरिकी राजदूत केनिथ जस्टर ने पत्रकारों से बातचीत में तेल आपूर्ति पर कोई असर न पड़ने का भरोसा दिया. रॉस और जस्टर ने कहा कि सऊदी अरब और यूएई जैसे देशों के साथ अमेरिका बातचीत कर रहा है. रॉस ने कहा कि अगर आपने हालिया आतंकी घटनाएं देखी हैं, तो आपको पता होगा कि ईरान एक समस्या है और हमें वह सब करना चाहिए जो आतंक के खिलाफ किया जा सकता है.

भारत-अमेरिका के बीच बातचीत में नहीं उठा जीएसपी मुद्दा
ट्रेड बिजनेस फोरम में वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु की उनके अमेरिकी समकक्ष विल्बर रॉस के साथ सोमवार को बैठक हुई. भारत की ई-वाणिज्य नीति, डेटा के स्थानीयकरण तथा अमेरिका द्वारा इस्पात एवं एल्यूमिनीयम उत्पादों पर ऊंचा शुल्क लगाये जाने जैसे मुद्दों पर बातचीत हुई. इसके अलावा दोनों नेताओं के बीच चिकित्सकीय उपकरण, निजी डेटा संरक्षण विधेयक, रिजर्व बैंक की सार्वजनिक ऋण रजिस्ट्री, भुगतान कंपनियों के लिये डेटा के स्थानीयकरण, वीजा संबंधी मुद्दे, अमेरिका की विमानन कंपनियों द्वारा हवाई अड्डों पर जमीनी सेवाओं का परिचालन, बौद्धिक संपदा अधिकार और विमान यात्री सुरक्षा प्रणाली जैसे मुद्दों को लेकर अमेरिका की आपत्ति को लेकर भी चर्चा हुई.

एक सूत्र ने बताया कि हालांकि बैठक में अमेरिका द्वारा भारतीय निर्यात को सामान्य तरजीही प्रणाली (जीएसपी) से मिलने वाली छूट के दायरे से बाहर रखने के फैसले पर चर्चा नहीं हुई. भारत ने इस बैठक में चुनिंदा इस्पात एवं एल्यूमिनीयम उत्पादों पर अमेरिका द्वारा ऊंचा शुल्क लगाये जाने का मुद्दा उठाया. इसके अलावा भारत ने स्थानीय आईटी पेशेवरों एवं कंपनियों के लिये वीजा के प्रावधान में ढील देने की भी अमेरिका से मांग की. इस बीच दोनों नेताओं के बीच हुई बैठक के बाद जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि दोनों पक्ष आपसी हित के समाधान की तलाश कर विभिन्न स्तर पर नियमित तौर पर बातचीत करते हुए लंबित व्यापारिक मुद्दों को सुलझाने पर सहमत हुए. उल्लेखनीय है कि दोनों देशों के बीच वर्तमान में शुल्क मुद्दों को लेकर विवाद उभरा है. अमेरिका ने भारतीय निर्यात को तरजीही व्यापार व्यवस्था से हटाने का फैसला किया है. जबकि भारत ने भी इसके जवाब में कुछ अमेरिकी सामानों पर शुल्क लगाने का प्रस्ताव किया है.

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