14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

रुस के संग रिश्‍ते होगें मजबूत जब मिल बैठेंगे मोदी-पुतिन

नयी दिल्ली:भारत और रुस के संबंध आरंभ से ही मधुर रहे हैं. भारत में नई सरकार के बनने के बाद दोनों देश संबंध को और प्रगाढ़ बनाने की चेष्‍टा में लगे हुए है. यदि हम भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रुस के राष्‍ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के व्यक्तित्व की ओर निगाह डाले तो दोनों ही […]

नयी दिल्ली:भारत और रुस के संबंध आरंभ से ही मधुर रहे हैं. भारत में नई सरकार के बनने के बाद दोनों देश संबंध को और प्रगाढ़ बनाने की चेष्‍टा में लगे हुए है. यदि हम भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रुस के राष्‍ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के व्यक्तित्व की ओर निगाह डाले तो दोनों ही नेताओं में काफी कुछ समानता देखने को मिलती है.

चाहे उनके काम काज की बात करें या उनकी राजनैतिक दक्षता की. दोनों दूरदर्शी हैं. वे भविष्‍य को देखते हुए अपने अपने कार्य को अंजाम तक पहुंचाते हैं. यदि हम भारत के आम चुनाव के पहले की बातों पर गौर करें तो मोदी को लोग भारत का पुतिन कहते थे. चुनाव में जबरदस्त जीत के बाद लोग यहां तक कहने लगे थे कि भारत को उसका पुतिन मिल गया है. जानकारों की माने तो अभी समय काफी अनुकूल है दोनों देशों के पुतिनों को साथ आकर विकास के पहिये को आगे बढ़ाना चाहिए.

मोदी और पुतिन के व्यक्तित्व में समानता

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रुस के राष्‍ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के व्यक्तित्व में काफी समानता देखने को मिलती है. दुनिया के ये दोनों ही नेता अपने कार्य को लेकर काफी सजग रहते हैं. यदि पुतिन की बात की जायेगा तो वे रुस के खुफिया एजेंसी के जुडे रह चुके हैं वहीं मोदी का संघ से काफी पुराना नाता है. दोनों ही नेता बोलने में कम और काम करने में ज्यादा विश्‍वास रखते हैं. वे क्षमा दान में विश्‍वास नहीं रखते हैं. हालांकि अभी राष्‍ट्रीय पटल पर मोदी ‘सबका साथ-सबका विकास’ पर विश्‍वास करते नजर आ रहे हैं. पुतिन के भी यदि प्रारंभिक दिनों की बात करें तो उन्होंने भी कुछ इसी तरह का मंत्र अपनाया था लेकिन बाद में उनकी आक्रमकता के सामने कोई टिक न सका.

राजनैतिक दक्षता
इन दोनों ही नेताओं में राजनैतिक दक्षता भी काफी समान है. मोदी के यदि गुजरात शासनकाल की बात करें तो उन्होंने विपक्ष को वहां लगभग समाप्त ही कर दिया जिसका फायदा यह हुआ कि उन्होंने वहां जीत की हैट्रिक बनाई और राष्‍ट्रीय पटल पर छा गये. इसी प्रकार पुतिन ने भी रुस में कुछ ऐसा ही किया. यदि हम रुस की राजनीति पर नजर डालें तो वहां भी पुतिन ने अपने प्रतिद्वंदियों को कुछ मोदी के ही अंदाज में साफ कर दिया और बाद में उन्हें पनपने तक नहीं दिया.

कार्य करने की शैली
नरेंद्र मोदी और पुतिन के कार्य करने की शैली भी एक है. दोनों ही अपने विश्‍वास पात्रों को नजदीक रखते हैं. यदि हम भारत में हाल की गतिविधियों पर ध्‍यान दें तो चुनाव के दौरान जो मोदी की नजर में हीरो बनकर उभरे उनपर उनका ध्‍यान कुछ ज्यादा रहा और वे अब अच्छे पद पर आसीन हैं. यदि हम अमित शाह की बात करें तो वर्तमान में वे बीजेपी के अध्‍यक्ष पद पर आसीन हैं. तो वहीं यदि रुस के संदर्भ में बात की जाये तो वहां के राजनीतिक पटल पर भी करीबियों को ध्‍यान में रखकर पुतिन राजनीति करते हैं. रुस के प्रधानमंत्री दमित्री मेदवेदेव पुतिन के काफी करीबी माने जाते हैं.

भविष्‍य पर नजर
मोदी और पुतिन दोनों ही नेता दूरदर्शी हैं. उनकी नजर भविष्‍य पर टिकी रहती है. ये भविष्‍य को देखते हुए अपने कार्य करते हैं. पुतिन ने जब रुस की कमान संभाली थी उस वक्त उनके सामने काफी चुनौतियां थी. लेकिन अपने दूरदर्शी नजरिये से उन्होंने रुस को बाहर निकाला. यदि हम मोदी की बात करें तो गुजरात को भी उनके दूरदर्शी होने का काफी फायदा मिला. जब उन्होंने गुजरात की कमान संभाली तो वहां की अर्थव्यव्स्था उनके सामने एक चुनौती थी. उन्होंने वहां उद्योग लगाकर,पर्यटन से,अच्छी सरकारी व्यवस्था देकर गुजरात को खुशहाल बना दिया. पूरे देश में गुजरात एक मॉडल बनकर उभरा.

भारत-रूस ऐतिहासिक मित्रता
रूस से 65 साल पहले भारत के गहरे रिश्ते की शुरुआत हुई. दोनों देशों में मित्रता, सहयोग का नया दौर आया. गुजरे 20-25 वर्षो में रूस ने भी अनेक उतार-चढ़ाव देखे हैं. फिलहाल ब्लादिमीर पुतिन, भारत के लिए खास महत्व रखते हैं. वर्ष 2000 में ही भारत से विशेष रिश्ते के लिए उन्होंने पहल की. रूस पहला देश था, जिसने 11 वीं शिखर वार्ता के दौरान, 2010 में भारत के साथ ‘स्ट्रेटिजिक पार्टनरशिप’ (रणनीतिक साझेदारी) की. भारत -रूस ने अपने रिश्ते को एक नया मुकाम दिया, ‘स्पेशल एंड प्रिविलेज्ड स्ट्रेटिजिक पार्टनरशिप’ (विशेष व खास रणनीतिक साझेदारी) दर्जा देकर. दुनिया के तमाम देशों से भारत के संबंध हैं, पर इस बीच भी यह खास रिश्ता, रूस-भारत के बीच ही है. यदि आज के संदर्भ में बात की जाये तो दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों में इस संबंध को आगे बढ़ाने की क्षमता है. हालांकि दोनों देशों के सामने अर्थव्यवस्था एक बड़ी चुनौती है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें