ब्रिक्स सम्मेलन के जरिये तीसरी दुनिया ने दिखायी ताकत

ब्रिक्स के छठे शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेकर आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वदेश लौट रहे हैं. ब्रिक्स देशों के सम्मेलन में भारत की बातों को प्रधानमंत्री ने पूरी मजबूती के साथ रखा और उनकी बातों को पूरा समर्थन भी मिला. आतंकवाद का मुद्दा भारत ने उठाया और सभी सदस्य देशों ने इसपर भारत के पक्ष […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 17, 2014 1:22 PM

ब्रिक्स के छठे शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेकर आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वदेश लौट रहे हैं. ब्रिक्स देशों के सम्मेलन में भारत की बातों को प्रधानमंत्री ने पूरी मजबूती के साथ रखा और उनकी बातों को पूरा समर्थन भी मिला. आतंकवाद का मुद्दा भारत ने उठाया और सभी सदस्य देशों ने इसपर भारत के पक्ष को समर्थन दिया कि आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं किया जायेगा.

ब्रिक्स सम्मेलन की एक बड़ी उपलब्धि यह रही कि सदस्य देशों ने गहन वार्ता के बाद ब्रिक्स बैंक की स्थापना को सहमति दी. यह बैंक दो साल के अंदर शुरू हो जायेगा. शुरुआती छह सालों के लिए भारत को इसकी अध्यक्षता करने का मौका मिला है. इस बैंक का मुख्यालय चीन के शंघाई में होगा. इस बैंक के जरिये सदस्य देशों को अल्पकालिक नकदी बदाव से निपटने में सहायता मिलेगी.

फोर्तालेजा घोषणापत्र की विशेषता

ब्रिक्स देश उभरते बाजारों के समक्ष बुनियादी ढांचागत विकास परियोजनाओं के लिए धन की तंगी को दूर करेंगे.

स्वस्थ विकास और आर्थिक वृद्धि के लिए बहुराष्ट्रीय कंपनियों के कारोबार पर कर लगाने की योजना

सभी सदस्य राष्ट्र कर प्रशासन से जुड़े मुद्दों पर सहयोग जारी रखेंगे. कर संबंधी मामलों में सूचनाओं का आदान-प्रदान होगा.

व्यापार अवसरों को बढ़ाने के लिए निर्यात ऋण व गारंटी एजेंसियों के बीच सहयोग को लेकर सदस्य देशों के बीच समझौता हुआ.

तीसरी दुनिया ने दिखायी ताकत

ब्रिक्स सम्मेलन में किये गये निर्णय तीसरी दुनिया को विश्व मानचित्र पर उभार रहे हैं. तीसरी दुनिया को उपेक्षा की नजर से देखने वाले विकसित देशों को अब यह समझना होगा कि तीसरी दुनिया में जिस तरह से विकास हो रहा है, वे कभी भी उनके लिए चुनौती बन सकते हैं. इनकी मजबूत होती अर्थव्यवस्था और एकजुटता काफी कुछ कहती है.

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