12.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

एक बार फिर चीन का मंसूबा उजागर, अरुणाचल को बताया अपना हिस्सा

नयी दिल्ली : भारतीय भूमि को ललचाई नजरों से देखने वाला चीन, अभी भी अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आ रहा है. 1962 के युद्ध ने इस बात को साबित भी किया है कि चीन भारतीय भूमि पर कब्जा जमाना चाहता है. अपनी इस मंशा को पूरा करने के लिए वह भारत के अरुणाचल […]

नयी दिल्ली : भारतीय भूमि को ललचाई नजरों से देखने वाला चीन, अभी भी अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आ रहा है. 1962 के युद्ध ने इस बात को साबित भी किया है कि चीन भारतीय भूमि पर कब्जा जमाना चाहता है. अपनी इस मंशा को पूरा करने के लिए वह भारत के अरुणाचल प्रदेश को अपना हिस्सा बताने से भी बाज नहीं आता है.

चीन ने एक बार फिर अरुणाचल प्रदेश को अपना हिस्सा बताने की हिमाकत की है. चीनी सरकार ने अपनी सेना को लाखों ऐसे नक्शे बांटे हैं जिसमें अरुणाचल को चीन का हिस्सा दिखाया गया है. चीनी अखबार पीएलए डेली के अनुसार, जल्दी ही सेना की सभी प्रमुख यूनिट्स को यह नक्शे उपलब्ध करा दिये जायेंगे, हालांकि चीन के सरकारी मीडिया ने इस नक्शे को प्रकाशित नहीं किया है.

भारत-चीन के बीच क्या है सीमा युद्ध

भारत-चीन के बीच लंबी सीमारेखा है. यह सीमा रेखा नेपाल और भूटान के द्वारा तीन अनुभागों में फैली हुई है. यह सीमा हिमालय पर्वतों से लगी हुई है जो बर्मा एवं पाकिस्तान तक फैली है. इस सीमा पर कई विवादित क्षेत्र अवस्थित हैं. पश्चिमी छोर में अक्साई चिन क्षेत्र है. यह क्षेत्र चीनी स्वायत्त क्षेत्र झिंजियांग और तिब्बत के बीच स्थित है. पूर्वी सीमा पर बर्मा और भूटान के बीच भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश स्थित है. जब 1962 का युद्ध हुआ था, तो उस वक्त चीनी सैनिक इस इलाके में आ गये थे. उस युद्ध की अधिकतर लड़ाई ऊंचाई वाली जगह पर हुई थी.जिससे दोनों ही पक्षों को काफी परेशानी हुई थी, लेकिन उस वक्त भारत चीन के सामने कमजोर साबित हुआ था.

विस्तारवादी नीति का पोषक है चीन

अगर हम चीन के नजरिये पर ध्यान दें, तो पायेंगे कि उसकी नीति हमेशा से ही विस्तारवादी रही है. उसने भारत के साथ 1962 में युद्ध किया और जब भारत उसके सामने टिक नहीं पाया, तो उसने भारतीय भूमि पर कब्जा भी कर लिया. युद्ध के बाद भारत ने फॉरवर्ड नीति को त्याग दिया और वास्तविक नियंत्रण रेखा वास्तविक सीमाओं में परिर्वितत हो गयी. इस युद्ध में चीन ने भले ही भारतीय भूमि पर कब्जा कर लिया हो, लेकिन पूरे विश्व में उसकी विस्तारवादी नीति की चर्चा होने लगी और उसकी अंतरराष्ट्रीय छवि को नुकसान पहुंचा. अमेरिका हमेशा से ही चीन को शक दी दृष्टि से देखता था और इस घटना के बाद इस बात की पुष्टि भी हो गयी.

भारत ने पहले भी चीन के समक्ष जतायी है आपत्ति

चीन ने अपने सैनिकों के बीच जिस नक्शे का वितरण किया है, उसमें भारत से सटी सीमा के विवादित हिस्सों के अलावा दक्षिण व पूर्व चीन सागर के कई क्षेत्रों पर अपना दावा जताया है. इससे पहले भी चीन ने अरुणाचल प्रदेश को अपना हिस्सा बताते हुए नक्शा जारी किया था, जिसपर भारत की ओर से कड़ी आपत्ति दर्ज की गयी थी. भारत सरकार की ओर से विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने 28 जून को कहा था, अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न और अविभाज्य अंग है, इस तथ्य को भारत ने उच्चतम लेकर हर स्तर तक चीनी अधिकारियों को विभिन्न अवसरों पर अवगत कराया है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें