ग्लोबल वार्मिंग को लेकर चेतावनी : 2030 तक खत्म हो जायेंगे आठ करोड़ कामकाज, बढ़ेगी थकान, कार्यक्षमता में आयेगी कमी
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आइएलओ) की एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, वैश्विक तापमान वृद्धि की वजह से होने वाली थकान और कार्यक्षमता में कमी के कारण साल 2030 तक दुनिया भर में लगभग आठ करोड़ नियमित आमदनी वाले कामकाज खत्म हो जायेंगे. रिपोर्ट में कहा गया है कि कामकाजी घंटों की लगभग 2.2 प्रतिशत संख्या का […]
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आइएलओ) की एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, वैश्विक तापमान वृद्धि की वजह से होने वाली थकान और कार्यक्षमता में कमी के कारण साल 2030 तक दुनिया भर में लगभग आठ करोड़ नियमित आमदनी वाले कामकाज खत्म हो जायेंगे. रिपोर्ट में कहा गया है कि कामकाजी घंटों की लगभग 2.2 प्रतिशत संख्या का नुकसान होगा. यह करीब आठ करोड़ नियमित कामकाजी लोगों की कुल उत्पादन क्षमता के बराबर होगा. दूसरे शब्दों में कहें तो दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं को लगभग 2400 अरब डॉलर का नुकसान होगा.
रिपोर्ट में चेतावनी देते हुए कहा गया है कि ये काफी सीमित आकलन है और इस उम्मीद पर लगाया गया है कि पृथ्वी का औसत तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा नहीं बढ़ेगा. अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की इस नयी रिपोर्ट में जलवायु, मनोवैज्ञानिक और रोजगार संबंधी आंकड़े जुटाकर उनसे वर्तमान और भविष्य में कामकाजी उत्पादन क्षमता पर राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर होने नुकसानों के बारे में अनुमान पेश किये गये हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, किसी भी कामकाज के दौरान जरूरत से ज्यादा गर्मी पड़ने से स्वास्थ्य संबंधी खतरे होते हैं, व्यक्ति की शारीरिक और मनोवैज्ञानिक कार्यक्षमता कम होती है और अंततः आमदनी से संबंधित उत्पादन कम होता है. कुछ मामलों में तो गर्मी के दौरे भी पड़ते हैं जो स्वास्थ्य के लिए बहुत गंभीर साबित हो सकते हैं.
गरीब देशों को गर्मी से अधिक नुकसान
अधिक गर्मी से होने वाला नुकसान सभी देशों में एक जैसा नहीं होगा. अत्यधिक गरीब देशों को सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ेगा. दक्षिण एशियाई देशों में लगभग 4.30 करोड़ और दक्षिण अफ्रीकी देशों में लगभग 90 लाख नियमित आमदनी वाले कामकाज का नुकसान होगा. सामाजिक ताने-बाने पर भी व्यापक असर होगा.