जॉन केरी- मोदी मुलाकात: क्या हैं उम्मीदें?
नयी दिल्लीः अमेरिका के विदेश मंत्री जॉन केरी नरेंद्र मोदी की जमकर तारीफ कर रहे हैं. अमेरिका की इस राजनीतिक रणनीति के पीछे भारत के साथ बेहतर संबंध और रोजगार में आपसी सहयोग की बढोत्तरी का माना जा रहा है. इसके अलावा मोदी सितंबर में अमेरिका की यात्रा पर जाने वाले हैं. ऐसे में जॉन […]
नयी दिल्लीः अमेरिका के विदेश मंत्री जॉन केरी नरेंद्र मोदी की जमकर तारीफ कर रहे हैं. अमेरिका की इस राजनीतिक रणनीति के पीछे भारत के साथ बेहतर संबंध और रोजगार में आपसी सहयोग की बढोत्तरी का माना जा रहा है. इसके अलावा मोदी सितंबर में अमेरिका की यात्रा पर जाने वाले हैं. ऐसे में जॉन केरी की भारत यात्रा मोदी के लिए एक रोडमैप का काम करेगी.
क्यूं बदल गये मोदी के प्रति अमेरिका के विचार
नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद अमेरिका का नजरिया नरेंद्र मोदी के प्रति काफी बदल गया. चुनाव की घोषणा के बाद ही अमेरिका को अनुमान हो गया था कि मोदी की लोकप्रियता जीत में बदल सकती है. इसलिए अपने तात्कालिक राजनायिक नैंसी के जरिये रिश्ते सुधारने की कोशिश की. चुनाव के बाद मोदी को मिली अप्रत्याशित जीत के बाद देश के सबसे ताकतवार राष्ट्रपति बराक ओबामा ने मोदी को फोन पर बधाई देने के साथ- साथ अमेरिका आने का न्योता दे दिया. जॉन केरी मोदी की जिस सोच के आज कायल है जिसकी जमकर तारीफ की गयी. उसी व्यक्ति की अप्रवासी भारतीयों को संबोधन करने से रोक दिया गया था. मोदी कई सालों तक अमेरिका के वीजा से वंचित रहे. अमेरिका के बदले स्वभाव का एक सबसे बड़ा कारण यह भी माना जा रहा है कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का प्रतिनिधि आज अपने विचार और विकास के दम पर अमेरिका को झुकाने में भी सफल रहा.
जॉ़न केरी को भारत से क्या है उम्मीदें
विदेश मंत्री जॉन केरी भारत से बेहतर संबंध के साथ- साथ व्यापारिक और शैक्षणिक तौर पर भी दोनों देशों के बीच के रिश्ते को मजबूत करना चाहते हैं. उनके भाषण में व्यापारिक रिश्तों को और मजबूत करने की बात साफ तौर पर समझी जा सकती है. इतना ही नहीं जॉन केरी ने निजी पूंजी के तरीकों को भी बेहतर बताया है. भारत एक बड़े बाजार की संभावनाओं से भरा पड़ा है. अमेरिका अपने निवेश और व्यापार के जरिये आर्थिक स्थिति को मजबूती देने की भी योजना रखता है.
व्यापार की बेहतर संभावनाएं
भारत और अमेरिका के बीच व्यापार को लेकर बेहतर संभावनाएं है. आयात और निर्यात को और बेहतर करन से दोनों देशों की अर्थव्यवस्था में खासा सुधार होगा. अमेरिका भारत से कई तरह के सामनों का आयात करता है लेकिन उसके व्यापारिक संबंध दुसरे देशों से भी बहुत बेहतर बने हुए है. दूसरी तरफ भारत भी अपने व्यापारिक रिश्तों पर विशेष ध्यान देता है. भारत अमेरिका से अपने व्यापार को और बेहतर करने की दिशा में कदम उठा सकता है. दूसरी ओर अमेरिका भी अपने व्यापारिक लाभ को लेकर सजह है. अमेरिका अपने जरूरतों के आधार पर आयात में वृद्धि कर सकता है भारत भी अमेरिका से निर्यात में छूट की मांग कर सकता है. विशेषज्ञों के अनुसार दोनों देशों का यह प्रयास होगा कि दोनों एक दूसरे के व्यापार सूची की प्रथामिकताओं में शामिल हो जाएं
दूरगामी होंगे परिणाम
विदेश मंत्री जॉन केरी और मोदी की मुलाकात का परिणाम सितंबर के बाद देखने को मिल सकता है. सभंव है कि जॉन केरी की मुलाकात के बाद मोदी की बराक ओबामा से होने वाली निर्णायक साबित होगी.