वाशिंगटन: लगभग 12 साल तक अमेरिका नरेंद्र मोदी को वीजा देने से इनकार करता रहा. लोकसभा चुनाव में मिली अप्रत्याशित जीत के बाद ही अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने मोदी को निमंत्रण दिया था. अब अमेरिका नरेंद्र को अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्त सत्र को संबोधन के लिए बुलाने की तैयारी कर रहा है.
अमेरिका के शीर्ष चार सीनेटरों ने सीनेट में एक प्रस्ताव रखा है जिसमें कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्त सत्र को संबोधित करने के लिए बुलाया जाए.मार्क वार्नर, जॉन कोर्निन, टिम कैने और जिम रिश ने एक प्रस्ताव पेश है जिसमें स्थिरता, लोकतंत्र और आर्थिक खुशहाली बढाने के लिए अमेरिका और भारत के बीच की रणनीतिक साझेदारी को बेहतर बनाने पर जोर दिया गया है.
वार्नर और कोर्निन भारत समर्थक सांसदों के मंच के सह-अध्यक्ष हैं. जबकि कैनी इसके सदस्य हैं.प्रस्ताव में ओबामा प्रशासन से आह्वान किया गया है कि वह भारत में जल्द ही राजदूत नामित करे और भारत के साथ अपने संबंधों की स्पष्ट रणनीतिक योजना बनाए.प्रस्ताव में प्रगति के लिए मिलकर काम करने के महत्व को रेखांकित किया गया है जिससे रक्षा, व्यापार, क्षेत्रीय सहयोग, रक्षा, कौशल विकास, बुनियादी ढांचा और उर्जा समेत दोनों देशों को सभी क्षेत्रों में फायदा होगा.
वार्नर ने कहा, ‘‘ भारत की नयी सरकार के तहत हमने अमेरिकी-भारत के रिश्तों में पहले ही प्रगति देखी हैं, जिसमें पेंटागन की ओर से रक्षा कारोबार एवं प्रौद्योगिकी पहल के नेतृत्व के लिए फ्रेंक केनडॉल को नामित करना, रक्षा और बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा हटाना, अमेरिका-भारत कम्युनिटी कॉलेज पर नया बल देना और इस हफ्ते दिल्ली में अमेरिकी-भारत रणनीतिक संवाद का आयोजन शामिल है.’’
2002 में हुए गुजरात दंगो के बाद नरेंद्र मोदी को अमेरिका ने वीजा नहीं दिया. अब मोदी भारत के प्रधानमंत्री के रुप में सितंबर में अमेरिका के दौरे पर जाने की तैयारी कर रहे हैं. दूसरी ओर अमेरिका भी उन्हें कई मौको पर निमंत्रण दे रहा है. ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि क्या अब अमेरिका के लिए मोदी के दंगों के दाग धुल गये.