भारत विरोधी गतिविधियों की इजाजत अपनी जमीं पर नहीं देगा म्यामां: सेन
नेपीतॉ: म्यामां के राष्ट्रपति यू थिन सेन ने सोमवार को भारत को आश्वस्त किया कि उनका देश अपनी धरती का इस्तेमाल ऐसे किसी भी कार्य के लिए नहीं होने देगा जो कि भारत के हितों के प्रतिकूल हो. थिन सेन ने यह बात विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से कही जब उन्होंने यहां उनसे मुलाकात की. […]
नेपीतॉ: म्यामां के राष्ट्रपति यू थिन सेन ने सोमवार को भारत को आश्वस्त किया कि उनका देश अपनी धरती का इस्तेमाल ऐसे किसी भी कार्य के लिए नहीं होने देगा जो कि भारत के हितों के प्रतिकूल हो. थिन सेन ने यह बात विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से कही जब उन्होंने यहां उनसे मुलाकात की. इस मुलाकात के दौरान सुषमा ने कुछ पूर्वोत्तर उग्रवादी संगठनों के म्यामां में शरण लेने का मुद्दा उठाया था.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने कहा, ‘राष्ट्रपति (सेन) ने स्पष्ट तौर पर कहा कि म्यामां अपनी धरती का इस्तेमाल ऐसे किसी भी काम के लिए नहीं होने देगा जो कि भारत के हितों के प्रतिकूल हो.’ गत मार्च में भारत और म्यामां ने दोनों पडोसी देशों के सुरक्षा बलों के बीच गुप्तचर सूचना साझा करना सुविधाजनक बनाने के लिए एक करार पत्र पर हस्ताक्षर किये थे और अकबरुद्दीन ने कहा कि मुख्य जोर अब उसे क्रियान्वित करने पर था.
सेन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नीत सरकार के पडोसी देशों के साथ संबंध सुधारने के लिए किये जाने वाले प्रयासों को लेकर भी प्रसन्नता जतायी और सुषमा को बताया कि म्यामां भारत के साथ संबंधों में महत्वपूर्ण सुधार चाहता है. दोनों पक्षों ने दोनों देशों के बीच सम्पर्क सुधारने की जरुरत को रेखांकित किया.
उन्होंने सहयोग के नये क्षेत्रों का पता लगाने के लिए एक संयुक्त सलाहकार समिति गठित करने पर भी चर्चा की.सुषमा ने संयुक्त सलाहकार समिति में केंद्रीय मंत्रियों के अलावा मुख्यमंत्रियों की भी भागीदारी का सुझाव दिया.
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने म्यामां के विदेश मंत्री यू वुन्ना माउंग ल्विन के साथ विभिन्न मुद्दों पर बातचीत की जिसमें व्यापार में सहयोग, सीमा सहयोग और आधारभूत ढांचा विकास शामिल था. सुषमा आसियान विदेश मंत्रियों की बैठक, पूर्वी एशिया सम्मेलन और आसियान क्षेत्रीय मंच की बैठक में हिस्सा लेने के लिए यहां गत आठ अगस्त को पहुंची थीं.
उन्होंने 11 देशों के विदेश मंत्रियों के साथ द्विपक्षीय बैठकें की जिसमें जापान, आस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया, इंडोनेशिया और थाईलैंड के विदेश मंत्री शामिल थे.