नयी दिल्ली: नाइजीरिया में भारतीय डाक्टरों को इबोला के इलाज के लिए मजबूर किया जा रहा है. एक प्राइवेट नर्सिंग होम में पांच भारतीय डाक्टरों की टीम ने आरोप लगाया है कि भारतीय मूल का होने के कारण वहां उन्हें ‘इबोला’ जैसे खतरनाक वायरस से निपटने के लिए बिना सुरक्षा किट के ही क्षेत्र में भेज दिया जा रहा है. डाक्टरों ने भारतीय सरकार से गुजारिश की है कि उन्हें वहां से निकाला जाये या फिर सुरक्षा किट मुहैया कराया जाये जिससे वे इस वायरस से बच सकें.
डाक्टरों ने कहा है कि ‘हम भारतीय डाक्टर हैं और ‘इबोला’ प्रभावित नाइजीरिया में फंसे हुए हैं और हमारा अस्पताल हमें वापस नहीं जाने देना चाहता है. यहांतक कि हमारे पासपोर्ट जब्त कर लिये गये हैं. हम सभी भारत सरकार से अपील करते हैं कि हमें हमारा पासपोर्ट दिलाकर वापस भारत बुलाया जाये.भारत वापस बुलाये जाने की अपील करने वाले डाक्टर्स भारतीय हैं और इस अभी नाइजीरिया की राजधानी अबूजा के एक प्राइवेट अस्पताल में कार्यरत हैं.
उल्लेखनीय है कि नाइजीरिया में भी खतरनाक ‘इबोला’ वायरस का कहर शुरू हो गया है. दक्षिणी अफ्रिका में अबतक ‘इबोला’ वायरस से एक हजार से ज्यादा जानें जा चुकी हैं और यह काफी तेजी से फैल रहा है.
‘इबोला’ वायरस मानव शरीर से निकलने वाले तरल के माध्यम से फैलता है और संपर्क में आने वालों को अपनी चपेट में ले लेता है. इसके इलाज के लिए अमेरिका सहित अन्य देशों ने अफ्रिका को सहायता देने की बात कही है.
जहांतक भारतीय डाक्टरों की बात है, अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि डाक्टर अपनी जिम्मेवारी से भाग रहे हैं और कांट्रेक्ट के हिसाब से सभी का पासपोर्ट अस्पताल में जमा है. जबकि डाक्टरों का आरोप है कि वे अपनी जिम्मेवारी से नहीं भाग रहे लेकिन बिना सुरक्षा किट के उन्हें ‘इबोला’ वायरस से प्रभावित मरीजों के इलाज के लिए मजबूर किया जा रहा है.
इस बीच भारत में रह रहे इन डाक्टरों की परिजनों ने भी सरकार से मदद की गुहार लगायी है. सरकारी सुत्रों ने बताया है कि सरकार भी डाक्टरों को वापस बुलाने के लिए पहल करेगी. नाइजीरिया अफ्रिका महाद्वीप का चौथा ऐसा देश है जहां ‘इबोला’ वायरस ने पैर फैलाना शुरू कर दिया है. यहां अबतक दस ‘इबोला’ वायरस से पीडितों की पहचान हुई है.