हक्कानी कमांडरों की सूचना देने वालों को 3 करोड डॉलर का इनाम देगा अमेरिका

वाशिंगटन: अमेरिका ने पाकिस्तान आधारित आतंकवादी समूह हक्कानी नेटवर्क के शीर्ष पांच कमांडरों का अता-पता बताने पर 3 करोड डॉलर का इनाम घोषित किया है. इस आतंकवादी समूह पर भारतीय मिशन समेत अफगानिस्तान में अनेक हमले करने के आरोप हैं. हक्कानी नेटवर्क तालिबान से जुडा समूह है. अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2012 में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 21, 2014 3:29 PM

वाशिंगटन: अमेरिका ने पाकिस्तान आधारित आतंकवादी समूह हक्कानी नेटवर्क के शीर्ष पांच कमांडरों का अता-पता बताने पर 3 करोड डॉलर का इनाम घोषित किया है. इस आतंकवादी समूह पर भारतीय मिशन समेत अफगानिस्तान में अनेक हमले करने के आरोप हैं. हक्कानी नेटवर्क तालिबान से जुडा समूह है. अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2012 में इसे आतंकवादी नेटवर्क घोषित किया था.

अमेरिका के ‘न्याय कार्यक्रम के लिए पुरस्कार’ के तहत अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने इस इनाम की घोषणा की है जिसके तहत अजीज हक्कानी, खलील अल-रहमान हक्कानी, याहया हक्कानी और अब्दुल रउफ जाकिर के बारे में पता बताने वालों को 50-50 लाख डॉलर की इनामी राशि दी जाएगी. अमेरिकी विदेश मंत्रालय के बयान के मुताबिक, समूह के नेता सिराजुद्दीन हक्कानी के बारे में सूचना देने वाले को 1 करोड डॉलर का इनाम दिया जाएगा. उस पर पहले 50 लाख डॉलर की इनामी राशि घोषित थी.

बयान में बताया गया है कि सिराजुद्दीन हक्कानी नेटवर्क के संस्थापक जलालुद्दीन का बेटा है. उसने स्वीकार किया था कि उसने जनवरी 2008 में काबुल के सेरेना होटल में हुए हमले की साजिश रची थी. इस हमले में एक अमेरिकी नागरिक और पांच अन्य लोगों की मृत्यु हो गई थी। सरकार ने वर्ष 2008 में उसे ‘विशेष नामित आतंकवादी’ घोषित किया था. अजीज हक्कानी सिराजुद्दीन का भाई है. वह आईएसएएफ और अफगान बलों पर हुए कई सीमा पार हमलों की साजिश रचने, उन्हें कार्यान्वित करने में शरीक रहा है.

आतंकवादी समूह का वरिष्ठ सदस्य खलील अल-रहमान, सिराजुद्दीन का चाचा है. वह तालिबान के लिए धन उगाही का कार्य करता है. उसके आतंकवादी समूह अलकायदा से भी संबंध रहे हैं. याहया हक्कानी भी सिराजुद्दीन का करीबी रिश्तेदार है. वह समूह के अभियान, वित्त और प्रचार संबंधी गतिविधियों से नजदीकी से जुडा है.

वरिष्ठतम नेताओं की गैर मौजूदगी में उसने समूह प्रमुख की जिम्मेदारी संभाली है. अब्दुल रउफ जाकिर समूह के आत्मघाती अभियान का प्रमुख है. वह समूह के हथियार प्रशिक्षण कार्यक्रम की भी देखरेख करता है. काबुल में भारतीय दूतावास पर दो बार (2008 और 2009 में) हमले हुए जिनमें 75 लोगों की मौत हो गई. इसके लिए हक्कानी नेटवर्क को जिम्मेदार माना गया.

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