इसलामाबाद: पाकिस्तान में मौजूदा राजनीतिक संकट और गहरा गया है. खबर है कि विपक्षी नेता इमरान खान एवं मौलाना ताहिर उल कादरी की अगुवाई वाले प्रदर्शनकारियों तथा सरकार के बीच बातचीत रुक गई. इधर प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने संसद का घेराव कर रहे प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कार्रवाई से इंकार किया है.
राजनीतिक संकट के समाधान की संभावना उस समय काफी धूमिल हो गई जब पाकिस्तान अवामी तहरीक :पीएटी: के प्रमुख कादरी ने भी सरकार के वार्ताकारों के दल के साथ बातचीत से इंकार कर दिया. पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के नेता इमरान ने नरम रुख अख्तियार करने के बाद फिर कडा रुख अपना लिया और बातचीत को निलंबित कर दिया. उन्होंने कहा कि उनकी लडाई अंजाम तक पहुंचने तक जारी रहेगी.इधर सूत्रों के हवाले से खबर है कि इमरान कोई बड़ा एलान कर सकते हैं.
प्रधानमंत्री शरीफ ने वरिष्ठ पत्रकारों के साथ मुलाकात के दौरान कहा कि अगर सरकार इमरान और कादरी की मांगों को स्वीकार कर लेती है तो देश कई गंभीर चुनौतियों से घिर जाएगा. शरीफ ने कहा, संसद में 12 राजनीति दलों में से 11 सरकार का समर्थन कर रही हैं. हम जनादेश को स्वीकार करते हैं. हम धरना कर रहे लोगों के खिलाफ बल प्रयोग के बारे में सोच भी नहीं सकते. हम बातचीत के लिए तैयार हैं. पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया कि जिसमें संसद को घेरकर प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों को बाहर करने का आदेश जारी करने की मांग की गई थी.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह एक प्रशासनिक मामला है और इससे कानून के मुताबिक निपटाया जाना चाहिए. कादरी के हजारों समर्थक इमरान के समर्थकों के साथ मिलकर प्रदर्शन कर रहे हैं. ये लोग रेड जोन में एक क्षेत्र तक पहुंच चुके हैं. इस क्षेत्र में संसद भवन, प्रधानमंत्री आवास, राष्ट्रपति आवास, उच्चतम न्यायालय, दूतावास समेत कई महत्वपूर्ण सरकारी इमारतें हैं.
कादरी की पार्टी के नेताओं ने कल सरकार के प्रतिनिधियों के साथ मुलाकात की थी, लेकिन कोई नई बातचीत नहीं हुई. इमरान ने अपने पहले के रुख में थोडा नरमी दिखाई थी और उनकी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के नेताओं के एक दल ने सरकारी प्रतिनिधियों के साथ चर्चा की थी. पाकिस्तानी की शीर्ष अदालत के इस रुख से उत्साहित इमरान ने सरकार के खिलाफ अपना रुख फिर से सख्त कर लिया और कहा कि प्रधानमंत्री के इस्तीफा देने तक वह सरकार के साथ कोई बातचीत नहीं करेंगे.
इमरान ने संसद के समक्ष अपने समर्थकों से कहा कि वे सविनय अवज्ञा आंदोलन को सभी प्रांतों में ले जाएं. उन्होंने कहा, प्रदर्शन करना हमारा लोकतांत्रिक अधिकार है. मैं सुप्रीम कोर्ट से आग्रह करता हूं कि यहां से कंटेनर हटाए जाएं ताकि जनजीवन सामान्य हो सके.
इमरान ने कहा, सरकार के साथ बातचीत खत्म हो चुकी है. यह बातचीत कैसे आगे बढ सकती है जब हम पहले प्रधानमंत्री नवाज शरीफ का इस्तीफा चाहते हैं. अपने जमाने के मशहूर क्रिकेटर रहे इमरान अपने समर्थकों से इस्लामाबाद में जमा होने का आह्वान करते हुए कहा कि वह आखिरी गेंद तक लडेंगे. तहरीक-ए-इंसाफ ने ट्वीट किया, हम सरकार की समिति के साथ बातचीत को निलंबित करते हैं. उनका रवैया बातचीत के आह्वान से बिल्कुल उलट है.
पार्टी के नेता शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि इस फैसले के बारे में पंजाब के गवर्नर चौधरी मुहम्मद सरवर को अवगत करा दिया गया है और यह फैसला किया गया क्योंकि सरकार के कदम उसके बातचीत के आह्वान से उलट हैं. कुरैशी ने कहा, पुलिस ने तहरीक-ए-इंसाफ के कार्यकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई शुरु कर दी है तथा फिर से इस्लामाबाद में सडकों को बंद करना आरंभ कर दिया है. उनका यह बयान उस वक्त आया जब सरकार का एक दल एक स्थानीय होटल में तहरीक-ए-इंसाफ के नेताओं के साथ बातचीत के लिए पहुंचा. सरकार और कादरी की पाकिस्तान आवामी तहरीक के बीच बातचीत के पहले चरण से भी कोई प्रगति नहीं हो सकी क्योंकि कादरी के प्रतिनिधियों ने शरीफ के इस्तीफे की मांग की.
बैठक के एक गुप्त सूत्र ने कहा कि दोनों पक्षों ने कादरी के कथित इंकलाबी एजेंडे पर चर्चा की और सरकार ने सामाजिक-आर्थिक प्रगति एवं चुनाव सुधारों से जुडे उनके बिंदुओं पर गौर करने का वादा किया. पीएटी सरकार की समिति के साथ समझौता वार्ताओं के दौरान अपनी मुख्य मांगों में से एक पर कायम रही. यह मांग थी कि मॉडल टाउन की घटना के लिए जो लोग भी जिम्मेदार हैं, उनके खिलाफ मामला दर्ज किया जाए.
धार्मिक नेता कादरी ने पहले वार्ताओं के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था लेकिन जब सेना ने यह स्पष्ट कर दिया कि उसकी ओर से मध्यस्थता की कोई संभावना ही नहीं है, तो कादरी ने जल्दी ही इसे स्वीकार कर लिया. उधर, एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में पाकिस्तान के गृह मंत्री चौधरी निसार अली खान ने आज इस्लामाबाद के पुलिस महानिरीक्षक आफताब चीमा को उनके पद से हटा दिया. खालिद खटक को उनके स्थान पर तैनात किया गया है. निसार अली खान ने कहा कि चीमा को हटाया गया क्योंकि उन्होंने प्रदर्शनकारियों पर लाठी चार्ज करने का आदेश देने से इंकार किया था.