भारत-जापान के प्रधानमंत्रियों के बीच शिखर वार्ता,बुलेट ट्रेन पर सहमति
– भारत में 35 अरब डालर निवेश करेगा जापान – चीन के गतिविधियों की हुई आलोचना – भारत अमेरिका की तरह जापान से भी करना चाहता है परमाणु समझौता तोक्यो: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापान के उनके समकक्ष शिंजो आबे दोनों देश के रक्षा संबंधों और सामरिक साझेदारी को और उच्च स्तर पर ले जाने […]
– भारत में 35 अरब डालर निवेश करेगा जापान
– चीन के गतिविधियों की हुई आलोचना
– भारत अमेरिका की तरह जापान से भी करना चाहता है परमाणु समझौता
तोक्यो: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापान के उनके समकक्ष शिंजो आबे दोनों देश के रक्षा संबंधों और सामरिक साझेदारी को और उच्च स्तर पर ले जाने और असैन्य परमाणु समझौते संबंधी वार्ता में गति लाने पर आज सहमत हुए. अच्छे व्यक्तिगत रिश्ते रखने वाले दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के बीच बहुत ‘लाभदायक’ और ‘अर्थपूर्ण’ विचारों का आदान प्रदान हुआ और आबे ने जापान की ओर से भारत के निजी और सार्वजनिक क्षेत्रों में अपने निवेश को दोगुना करने की घोषणा करते हुए कहा कि अगले पांच साल में उनका देश 35 अरब डालर का निवेश करेगा.
मोदी से अपने खास रिश्तों की अभिव्यक्ति के रुप में आबे शनिवार को मोदी से मिलने क्योतो गए और उनके साथ दो प्राचीन बौद्ध मंदिर भी गए. उधर मोदी ने जापान के व्यापार जगत के दिग्गजों से बातचीत के दौरान कुछ देशों के अन्य देशों की भूमि का ‘अतिक्रमण’ करने और दूसरों के समुद्री क्षेत्रों में ‘घुसने’ की भर्त्सना की. उनकी इस टिप्पणी को परोक्ष रुप से चीन पर टिप्पणी माना जा रहा है. मोदी और आबे ने शिखर वार्ता के दौरान अपनी सामरिक भागीदारी में द्विपक्षीय रक्षा संबंधों के महत्व की पुष्टि की और रक्षा उपकरणों तथा प्रौद्योगिकी में सहयोग का और अधिक विस्तार करने पर सहमत हुए.
मोदी की पांच दिवसीय जापान यात्रा के तीसरे दिन दोनों प्रधानमंत्रियों के बीच शिखर वार्ता हुई. इसमें दोनों देश यूएस-2 नभ-जल विमान भारत को बेचने संबंधी वार्ता तेज करने भी सहमत हुए. शिखर वार्ता के बाद संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में आबे ने घोषणा की कि भारत-जापान सहयोग की मिसाल के तौर पर तोक्यो भारत को वित्तीय, प्रौद्योगिकी और बुलेट ट्रेन के संचालन में सहयोग करेगा. आबे ने कहा कि जापान अपने पडोसियों से भारत को बेहतर कनेक्टिविटी भी प्रदान करवाएगा. दोनों देशों ने अपने ‘सामरिक और वैश्विक साझीदारी’ संबंधों को और उंचाई देने का निर्णय करते हुए उसे ‘विशेष सामरिक और वैश्विक साझीदारी’ नाम देने की घोषणा की.
असैन्य परमाणु सौदे के संदर्भ में जापान के प्रधानमंत्री ने कहा कि भागीदारी को मजबूत करने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि इस समझौते से संबंधित वार्ता में तेजी लाई जाए. ऐसी उम्मीद की जा रही थी कि मोदी की जापान यात्रा के दौरान इस समझौते पर सहमति बन जाएगी. बताया जाता है कि भारत अमेरिका के साथ हुए ऐतिहासिक असैन्य परमाणु समझौते की तर्ज पर जापान के साथ भी ऐसा समझौता चाहता था लेकिन समझा जाता है कि तोक्यो इसके लिए उत्सुक नहीं है. परमाणु सहयोग मुद्दे पर आबे ने कहा कि पिछले कई महीनों में इसमें ‘महत्वपूर्ण प्रगति’ हुई है. उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों ने मुद्दे को समझने के लिए आपस में बेबाक चर्चा की.
आबे ने कहा कि अगले पांच सालों में भारत में जापान की कंपनियों की उपस्थिति भी दोगुनी हो जाएगी. मोदी ने जापान के प्रधानमंत्री का धन्यवाद करते हुए कहा, ‘हम दोनों ने संबंधों को विशेष सामरिक और वैश्विक साझीदारी तक आगे बढाने का निर्णय किया है.’ उन्होंने कहा कि उनकी जापान यात्रा से दोनों देशों के संबंधों का नया युग शुरु हुआ है और दोनों के बीच भागीदारी में कोई ‘सीमा’ नहीं है. इस शिखर वार्ता में जापान ने निर्यात के लिए प्रतिबंधित भारत की अंतरिक्ष और रक्षा से जुडी छह संस्थाओं को ‘फॉरन एन्ड यूजर लिस्ट’ से हटा दिया.
मोदी ने कहा कि भारत और जापान प्राचीन मित्र हैं और उनकी यह यात्रा दोनों देशों को आपसी संबंधों का और विस्तार करने का अवसर प्रदान करेगी. उन्होंने कहा कि एशिया और विश्व में शांति तथा सुरक्षा के लिए ‘विकसित भारत और खुशहाल जापान’ महत्वपूर्ण हैं.उन्होंने कहा कि भारत और जापान दो बडे लोकतंत्र हैं और वे दोनों एशिया की तीन बडी अर्थव्यवस्थाओं में से हैं. मोदी ने कहा, यह केवल संबंधों को एक श्रेणी से निकाल कर दूसरी श्रेणी में ले जाने का मामला नहीं है. ‘हमारे संबंध केवल क्षेत्रीय आयाम वाले नहीं हैं बल्कि उनका वैश्विक प्रभाव है.’
उन्होंने कहा कि जापान के प्रधानमंत्री ने देश के समावेशी विकास के उनकी (मोदी की) सोच के अनुरुप भारत में हर क्षेत्र में सहयोग करने में सहमति जतायी है. भारत और जापान के व्यापार जगत की हस्तियों को संबोधित करते हुए मोदी ने यहां कहा, ‘दुनिया दो धाराओं में बंटी हुई है, एक विस्तारवाद की धारा है और दूसरी विकासवाद की. हमें तय करना है विश्व को विस्तारवाद के चंगुल में फंसने देना है या विकासवाद के मार्ग पर ले जा कर नयी उंचाइयों को पाने का अवसर पैदा करना है.’
उन्होंने कहा, ‘जो बुद्ध के रास्ते पर चलते हैं, जो विकासवाद में विश्वास करते हैं वे शांति और प्रगति की गारंटी लेकर आते हैं. लेकिन आज हम चारों तरफ देख रहे हैं कि 18वीं सदी की जो स्थिति थी, वो विस्तारवाद नजर आ रहा है. किसी देश में अतिक्रमण करना, कहीं समुद्र में घुस जाना, कभी किसी देश के अंदर जाकर कब्जा करना, ये विस्तारवाद कभी भी मानव जाति का कल्याण 21वी सदी में नहीं कर सकता है.’ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में आबे ने मोदी की ओर देखते हुए कहा, ‘हम आपकी मदद करेंगे.’
उन्होंने गंगा को साफ करने में सहयोग की भी पेशकश की. मोदी ने आभार प्रकट करते हुए कहा, ‘यह भारत के प्रति उनके अनुराग और सम्मान का उदाहरण है.’