इबोला:संयुक्त राष्ट्र ने चेताया,कहा,स्थिति सुधरने से पहले और बिगड़ेगी

संयुक्त राष्ट्र: पश्चिम अफ्रीका में तेजी से फैल रहे इबोला वायरस के प्रकोप के संदर्भ में संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि स्थिति सुधरने से पहले और अधिक बिगडेगी. इन अधिकारियों ने इबोला के कारण उत्पन्न संकट से निपटने के लिए तत्काल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कार्रवाई किए जाने का आह्वान करते […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 3, 2014 3:45 PM

संयुक्त राष्ट्र: पश्चिम अफ्रीका में तेजी से फैल रहे इबोला वायरस के प्रकोप के संदर्भ में संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि स्थिति सुधरने से पहले और अधिक बिगडेगी. इन अधिकारियों ने इबोला के कारण उत्पन्न संकट से निपटने के लिए तत्काल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कार्रवाई किए जाने का आह्वान करते हुए कहा कि इस बीमारी के बारे में गलत जानकारी के कारण, पहले से ही बिगडे हुए हालात और बदतर होंगे.

संयुक्त राष्ट्र के उप महासचिव जॉन एलियासन ने कल यहां एक उच्च स्तरीय संवाददाता सम्मेलन में कहा ‘संकट के समय भय (फियर फैक्टर) की बहुत बडी भूमिका होती है. मैं सदस्य देशों, उद्योग समुदाय और लोगों को भय के आधार पर नहीं बल्कि वैज्ञानिक प्रमाण के आधार पर निर्णय करने के लिए प्रोत्साहित करता हूं.’ यह संवाददाता सम्मेलन इबोला के अप्रत्याशित प्रसार पर विश्व निकाय की प्रतिक्रिया के बारे में जानकारी देने के लिए बुलाया गया था.

इबोला से प्रभावित देशों गिनी, लाइबेरिया, नाइजीरिया और सियरा लियोन में ह्यइबोला वायरस डिजीजह्ण (ईवीडी) के मामलों की नवीनतम संख्या 3,069 है. इस बीमारी के फैलने के बाद से अब तक 1,552 लोगों की मौत हो चुकी है. अप्रत्याशित संख्या में स्वास्थ्य कार्यकर्ता भी इस वायरस से संक्रमित हुए और उनकी मौत हो गई. विश्व स्वास्थ्य संगठन की महानिदेशक मार्ग्रेट चान ने बताया कि ईवीडी के 40 बरस के इतिहास में इस बार इबोला का प्रसार बेहद बडे पैमाने पर और भीषण रुप में हुआ है.

चान ने बताया कि प्रभावित देशों में ईवीडी को नियंत्रित करने के जितने प्रयास किए जा रहे हैं, बीमारी उससे कहीं ज्यादा तेजी से बढ रही है. उन्होंने कहा कि स्थिति सुधरने से पहले और अधिक बिगडेगी और इससे निपटने के लिए व्यापक स्तर पर तत्काल सुनियोजित, समन्वित उपायों की जरुरत है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की महानिदेशक मार्ग्रेट चान ने कहा कि इस महामारी से निपटने के लिए समुचित रचनात्मक एवं सांस्कृतिक कार्रवाई की भी जरुरत है.

चान ने कहा ‘इबोला को अब अफ्रीकी बीमारी कहा जा रहा है. यह सही नहीं है. दुनिया भर में इस बीमारी की उग्रता को लेकर बहुत ज्यादा चिंता और भय है तथा कई तरह की गलतफहमियां भी हैं.’ ईवीडी से सर्वाधिक प्रभावित तीनों देश ‘अलग-थलग’ (आइसोलेटेड) हैं और बीमारी का प्रसार रोकने के प्रयास बाधित हैं क्योंकि विश्व स्वास्थ्य संगठन मदद के लिए विमान से अपने विशेषज्ञ नहीं भेज सकता. संयुक्त राष्ट्र की अधिकारी ने बताया कि शुरुआती उपचार से मरीज के बचने की संभावना बढी है और इबोला संक्रमित करीब 50 फीसदी लोग बच गए हैं.

उन्होंने कहा कि लोगों को उन बातों के बारे में बताया जाना चाहिए जिनसे बीमारी का खतरा होता है जैसे असुरक्षित तरीके से देखभाल करना, असुरक्षित तरीके से दफनाना, घर में परिवार के बीमार सदस्यों की देखभाल आदि. उन्होंने कहा कि इबोला वैश्विक खतरा बन गया है जिससे निपटने के लिए प्रभावित देशों के साथ तत्काल एकजुटता से वैश्विक प्रयास किए जाने की जरुरत है और इनकी अगुवाई राष्ट्रीय प्राधिकारियों को करनी चाहिए.

चान ने कहा ‘हम टीकों और दवाओं पर गौर करना चाहते हैं और उन सभी उपायों की पहचान करना चाहते हैं जिनसे इबोला की रोकथाम हो सके या उसका इलाज हो सके.’ उन्होंने जोर दे कर कहा कि इबोला के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए पूरी दुनिया जिम्मेदार और जवाबदेह है. उन्होंने भागीदारों, गैर सरकारी संगठनों तथा देशों से एक साथ आगे आ कर और अधिक प्रयास करने का आग्रह किया.

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