मलाला पर हमला करने वाले 10 चरमपंथी गिरफ्तार

इस्लामाबाद : पाकिस्तानी सेना ने आज ऐलान किया कि तालिबान के उन 10 चरमपंथियों को गिरफ्तार कर लिया गया है जिन्होंने लडकियों की शिक्षा की पैरोकारी करने वाली किशोरी मलाला यूसुफजई पर साल 2012 में घातक हमला किया था, जिसमें किशोरी गंभीर रुप से घायल हो गयी थी. मलाला को अक्तूबर, 2012 में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 12, 2014 9:21 PM

इस्लामाबाद : पाकिस्तानी सेना ने आज ऐलान किया कि तालिबान के उन 10 चरमपंथियों को गिरफ्तार कर लिया गया है जिन्होंने लडकियों की शिक्षा की पैरोकारी करने वाली किशोरी मलाला यूसुफजई पर साल 2012 में घातक हमला किया था, जिसमें किशोरी गंभीर रुप से घायल हो गयी थी. मलाला को अक्तूबर, 2012 में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के आतंकवादियों ने स्वात घाटी में गोली मार दी थी. हमले में मलाला की दो सहेलियां भी घायल हुयी थीं. हमले के वक्त मलाला महज 15 साल की थीं.

मलाला पर हमले ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा और लडकियों की शिक्षा की पैरोकारी एवं उनके साहस की चौतरफा प्रशंसा हुयी. ‘इंटर सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस’ (आइएसपीआर) के महानिदेशक आसिम सलीम बाजवा ने कहा कि गिरफ्तार किए गए 10 आतंकवादियों ने खुलासा किया है कि स्कूली बच्चियों पर हमले का मास्टरमाइंड टीटीपी का स्वयंभू कमांडर मुल्ला फजलुल्ला था. समाचार पत्र ‘एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ के अनुसार बाजवा ने कहा, ‘यह खुफिया नीत अभियान था और इसमें पुलिस भी शामिल थी.’

उन्होंने कहा कि गिरफ्तार किए गए आतंकवादियों का ताल्लुक स्वात घाटी के मुख्य नगर मिनगोरा के निकट मालाकंद नामक स्थान से है. तालिबान के हमले में मलाला गंभीर रुप से घायल हुई थीं और उनको उपचार के लिए सपरिवार ब्रिटेन ले जाया गया था. फिलहाल वह ब्रिटेन के शहर बर्मिंघम में रहती हैं. यहीं पर उनका उपचार किया गया था. वह साल 2009 में पहली बार उस वक्त चर्चा में आयी थीं जब उन्होंने बीबीसी उर्दू सेवा के लिए तालिबान के तहत जिंदगी पर डायरी लिखी थी.

मलाला को साल 2013 में ‘टाइम’ पत्रिका ने दुनिया के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में शामिल किया और फिर उन्हें नोबेल के शांति पुरस्कार के लिए भी नामित किया गया. हाल ही में उनकी जीवनी प्रकाशित हुयी. पिछले साल जुलाई में उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करते हुए कहा था कि वह कभी खामोश नहीं बैठेंगी. उन्हें पिछले साल यूरोपीय संघ का प्रतिष्ठित सखारोव मानवाधिकार पुरस्कार दिया गया था.

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