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प्रणब मुखर्जी की वियतनाम के राष्ट्रपति से बातचीत, सात समझौतों पर हस्ताक्षर

हनोई:राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की चार दिवसीय वियतनाम यात्रा का आज दूसरा दिन है. राष्ट्रपति ने यहां वियतनाम के राष्ट्रपति त्रुओंग तान सांग के साथ बातचीत की. राष्ट्रपति मुखर्जी की यात्रा के दौरान भारत और वियतनाम ने आज यहां 7 समझौतों पर हस्ताक्षर किये. इन समझौतों में रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण तेल क्षेत्र में सहयोग बढाने […]

हनोई:राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की चार दिवसीय वियतनाम यात्रा का आज दूसरा दिन है. राष्ट्रपति ने यहां वियतनाम के राष्ट्रपति त्रुओंग तान सांग के साथ बातचीत की. राष्ट्रपति मुखर्जी की यात्रा के दौरान भारत और वियतनाम ने आज यहां 7 समझौतों पर हस्ताक्षर किये.

इन समझौतों में रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण तेल क्षेत्र में सहयोग बढाने तथा वियतनाम को प्रतिरक्षा उपकरणों की खरीद के लिए 10 करोड डालर की सहायता के समझौते भी शामिल है.

दोनों देशों ने दक्षिणी चीन सागर क्षेत्र में जहाजों के आवागमन की स्वतंत्रता को सुनिश्चित किये जाने का आह्वान किया, जिसको लेकर चीन नाखुश हो सकता है क्योंकि वह उस क्षेत्र पर अपना दावा करता है.

दोनों देशों ने रणनीतिक भागीदारी के आधार पर द्विपक्षीय संबंधों को सशक्त और गहरा बनाने का फैसला किया है. दोनों पक्षों ने इसके लिए राजनैतिक, प्रतिरक्षा और सुरक्षा, आर्थिक, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, संस्कृति और जनता के बीच संपर्क, तकनीक सहयोग और बहुपक्षीय एवं क्षेत्रीय स्तर पर सहयोग पर विशेष ध्यान देने का फैसला किया है.

चीन को परिष्कृत रुप से दिये गये संदेश में भारत और वियतनाम ने कहा कि दक्षिण चीन सागर क्षेत्र में जहाजों की आवाजाही की स्वतंत्रता किसी भी तरह से अवरद्ध नहीं की जानी चाहिए. दोनों ने संबंद्ध पक्षों से इस संबंध में संयम बरतने की अपील की है. गौरतलब है कि भारत और वियतनाम ने 2007 में अपने संबंधों को रणनीतिक संबंध का रुप दिया.

दोनों राष्ट्रपतियों की इस बैठक के बाद जारी संयुक्त घोषणा पत्र में कहा गया है कि दोनों नेताओं ने एशिया में शांति, स्थिरता, आर्थिक वृद्धि और समृद्धि के लिए काम करने की अपनी इच्छा और संकल्प दोहराया.

बयान में कहा गया है कि दोनों देश पूर्वी सागर-दक्षिणी चीन सागर में नौवहन की स्वतंत्रता के मुद्दे पर आपसी सहमति जतायी है. दोनों नेताओं ने सभी संबंद्ध पक्षों से इस मामले में सयंम बरतने, बल प्रयोग से बचने और विवादों का निस्तारण समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र संधि सहित अंतरराष्ट्रीय कानूनों के सिद्धान्तों के आधार पर शांतिपूर्ण तरीके से किये जाने का आह्वान किया.

चीन दक्षिण सागर क्षेत्र पर अपने आधिपत्य का दावा करता है, जिसको लेकर वियतनाम और फिलीपीन्स सहित अन्य सीमावर्ती देशों को आपत्ति है. दोनों पक्षों ने संबंद्ध पक्षों से अपील की है कि वे दक्षिण चीन सागर के मामले में संबंद्ध पक्षों के लिए 2002 में जारी आचार संहिता को लागू करने के प्रति सामूहिक प्रतिबद्धता दिखायें.

घोषणा पत्र में कहा गया है कि संबंद्ध पक्षों को दक्षिण चीन सागर में सर्वसम्मति से आचार संहिता के लिए बनाने का प्रयास करना चाहिए. दोनों नेताओं ने समुद्री मार्गो और नौवहन की सुरक्षा, जल दस्युओं से निपटने और तलाशी तथा बचाव कार्य में सहयोग की भी अपील की.

भारत और वियतनाम अपनी सामरिक भागीदारी के ढांचे के तहत आपस में निकट संवाद जारी रखने पर सहमत हुये हैं. इस संबंध में खासकर संयुक्त आयोग की बैठकों, विदेश मंत्रलयों के बीच परामर्श और रणनीतिक वार्ता, सुरक्षा संबंधी द्विपक्षीय वार्ता और वार्ता की अन्य व्यवस्थाओं का उल्लेख किया गया.

राष्ट्रपति की इस यात्रा में भारत और वियतनाम के बीच प्रतिनिधि स्तर की बातचीत के बाद दोनों राष्ट्रपतियों की उपस्थिति में सातों समझौतों पर हस्ताक्षर किये गये. इस अवसर पर दोनों सरकारों के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे.

इन समझौतों में भारतीय पेट्रोलियम कंपनी ओएनजीसी विदेश लिमिटेड (ओवीएल) का वियतनाम ऑयल के बीच आशय-पत्र (एलआआई) पर हस्ताक्षर के अलावा वियतनाम और भारत के एक्जिम बैंक के बीच डालर में रिण सहायता का समझौता, सीमा शुल्क व्यवस्था के मामले में एक दूसरे के बीच सहयोग का समझौता,

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