इडेनबरा : स्कॉटलैंड की जनता ने स्पष्ट जनादेश से यह प्रस्ताव खारिज कर दिया कि वह ग्रेट ब्रिटेन से अलग होगा. वह 307 साल पुराने ब्रिटेन से अपने रिश्ते को बनाये रखेगा. स्कॉटलैंड की 2001926 मतदाताओं ने ग्रेट ब्रिटेन का हिस्सा बने रहने में सहमति जतायी, जबकि 1617989 लोगों ने अलग देश बनाने के पक्ष में मतदान किया. 32 में से 28 निकायों ने ब्रिटेन के साथ रहने पर ही सहमति जतायी. वहीं, आजादी के पक्ष में सबसे ज्यादा मत वहां के सबसे बड़े शहर ग्लासगो में पड़े.
स्कॉटलैंड की जनता के इस ऐतिहासिक जनमत संग्रह में आजादी के खिलाफ बहुमत ने राय जतायी. अब क्या करेगी ब्रिटेन सरकार ब्रिटेन की सरकार को स्कॉटलैंड की 1999 में गठित संसद को और अधिक अधिकार व स्वायत्ता देनी होगी. इस मुद्दे पर वहां की तीन बड़ी राजनीतिक पार्टियों कंजरवेटिव पार्टी, लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी और विपक्षी लेबर पार्टी तैयार हो गयी हैं.
जनमत संग्रह के प्रचार अभियान के दौरान इन दलों ने वादा किया था कि अगर बहुमत आजादी के खिलाफ रहा तो भी स्कॉटलैंड को ज्यादा अधिकार दिये जायेंगे. स्कॉटलैंड के सांसद व पूर्व प्रधानमंत्री गॉर्डन ब्राउन के बदलाव प्रस्ताव को ग्रेट ब्रिटेन की सभी पार्टियों को अपना समर्थन दिया है. ग्रेट ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड केमरन ने कहा कि इस तरह के प्रस्तावों पर आधारित एक विधेयक का प्रारूप अगले साल जनवरी तक बना जायेगा. उन्होंने स्कॉटलैंड को टैक्स, कल्याणकारी योजनाओं व खर्चो के संबंध में अधिकार अधिकार देने की प्रक्रिया की निगरानी की भी व्यवस्था कर दी है.
उम्मीद है कि 25 जनवरी 2015 तक नये स्कॉटलैंड कानून का प्रारूप प्रकाशित कर दिया जायेगा. ब्रिटेन में मई 2015 में चुनाव होना है और उम्मीद है कि इस विधेयक को नयी संसद ही पारित कर सकेगी. वर्तमान में स्कॉटलैंड को खर्च व विकास के लिए पैसे आबादी के अनुपात में मिलते हैं, लेकिन वह और अधिक कर कर जुटाने का अधिकार चाहता है. अब यह तय है कि ब्रिटेन को स्कॉटलैंड को अधिक अधिकार व बजट देना होगा. इससे वेल्स व आयरलैंड में भी इस तरह के जनमत संग्रह की मांग उठ सकती है. जिसके माध्यम से वे अधिक स्वायत्ता व आर्थिक हित साध सकते हैं.
क्यों कराना पड़ा जनमत
स्कॉटलैंड में सक्रिय राजनीतिक पार्टी स्कॉटिश नेशनल पार्टी (एसएनपी) ने स्कॉटिश जनता में उप राष्ट्रीयता का भाव जगाया था. उसके नवंबर में पर्थ में होने वाले सम्मेलन पर भी लोगों की नजरें टिकी रहेंगी. लेकिन वहां की ज्यादातर जनता मानती है कि वे स्कॉटिश हैं, उतने ही ब्रिटिश भी और जितने ब्रिटिश हैं, उतने ही स्कॉटिश भी. स्कॉटलैंड की जनता से वहां की सरकार के प्रमुख (जिसे वहां फस्र्ट मिनिस्टर कहते हैं) एलेक्स सेलमंड ने एकजुटता बनाने की अपील करते हुए ब्रिटिश सरकार से और अधिकार देने की मांग की है. एलेक्स सेलमंड ही स्कॉटिश नेशनल पार्टी के नेता हैं. उन्होंने अलग होने के पक्ष में यस अभियान चलाया था, जिसके तहत अलग राष्ट्र के रूप स्कॉटलैंड की मांग पर जोर दिया गया. विेषकों का इस फैसले के संबंध में कहना है कि स्कॉटिश जनता को लगा कि शायद ब्रिटेन से अलग होना उन्हें महंगा पड़ सकता है.
महत्वपूर्ण योगदान
एलिस्टेयर डार्लिग बेटर टुगेदर नाम से एकजुटता के लिए अभियान चलाया था, जिसमें उन्होंने विभाजन की बजाय सकारात्मक बदलाव को चुनने की अपील लोगों से की थी. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड केमरन ने भी राष्ट्रीय एकता का आह्वान किया था और वे स्वयं इस प्रक्रिया के बाद स्कॉटलैंड पहुंच कर इस मोर्चे को संभाल चुके थे. उन्होंने इस कार्य के लिए ब्रिटिश संसद के प्रधानमंत्री के प्रश्नकाल को भी स्थगित कर दिया.