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कैसे भारतीय मूल के रिचर्ड राहुल वर्मा बन गये अमेरिका के राजदार?

नयी दिल्ली : एक भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक रिचर्ड राहुल वर्मा को ओबामा ने भारत में राजदूत बनाने का फैसला किया है. हालांकि उन्हें इसके लिए अभी सीनेट की मंजूरी लेनी होगी. पर, रिचर्ड की योग्यता व विश्वसनीयता को देखते हुए इसमें दिक्कत आने की संभावना कम ही है. भारतीय मीडिया में इन दिनों […]

नयी दिल्ली : एक भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक रिचर्ड राहुल वर्मा को ओबामा ने भारत में राजदूत बनाने का फैसला किया है. हालांकि उन्हें इसके लिए अभी सीनेट की मंजूरी लेनी होगी. पर, रिचर्ड की योग्यता व विश्वसनीयता को देखते हुए इसमें दिक्कत आने की संभावना कम ही है. भारतीय मीडिया में इन दिनों रिचर्ड राहुल वर्मा चर्चा में हैं. उनकी भारत में नियुक्ति मोदी सरकार के साथ अमेरिका के बेहतर व दोस्ताना रिश्तों को बनाने की कोशिश से जोड़ कर देखा जा रहा है. मार्च में नैंसी पॉवेल के इस्तीफे के बाद से भारत में अमेरिकी राजदूत का पद खाली था. अब नयी नियुक्ति से दोनों देशों के रिश्ते में और गर्मजोशी आने की उम्मीद है. ध्यान रहे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अगले सप्ताह होने वाले अमेरिका दौरे से ठीक पहले उनकी नियुक्ति का निर्णय लिया गया है.

परिणाम देने वाली शख्सियत
दुनिया के सबसे ताकतवर देश अमेरिका ने अपने रणनीतिक साङोदार भारत में अगर किसी भारतीय मूल के व्यक्ति को ही राजदूत बनाने का फैसला लिया है, तो इसके पीछे निश्चित रूप से उसकी गहरी सोच होगी. डेमोक्रेटिक पार्टी के करीब रहे पेशे से वकील रिचर्ड को अमेरिकी प्रशासन में परिणाम देने वाले शख्स की पहचान हासिल है, जो अपने देश अमेरिका की जटिल समस्याओं को सुलझाने में अपनी पूरी ताकत झोंक देता है. उनकी इसी खूबी ने उन्हें अमेरिका के कई शीर्ष राजनेताओं का करीबी और सलाहकार की हैसियत दिलायी. उनकी काबिलीयत, मेहनत व क्षमता पर उंगली उठाना आलोचकों के लिए भी मुश्किल होता है. हालांकि रिपब्लिकन पार्टी के आलोचक मानते हैं कि डेमोक्रेट इस बहाने भारतीय मूल के अमेरिकी वोट बैंक को लुभाना चाहते हैं. पर, यह भी दिलचस्प है कि रिपब्लिकन पार्टी के राष्ट्रपति जार्ज बुश के समय ही उन्हें आतंकवाद व जनसंहार के हथियारों की रोकथाम के लिए गठित आयोग में जगह दी गयी थी और जब ओबामा सत्ता में आये तो उन्होंने भी रिचर्ड को उस आयोग में बनाये रखा. वे रक्षा विभाग की निगरानी करने वाली एजेंसी पेंटागन एजेंसी रिव्यू टीम से भी जुड़े हुए हैं. वे एक कानूनी कंपनी के सलाहाकार भी हैं और वायु सेना में काम कर चुके हैं. उन्हें उनके योगदानों के लिए कई बार सम्मानित भी किया जा चुका है.
ओबामा का भाषण लिखते थे वर्मा
रिचर्ड राहुल वर्मा राष्ट्रपति बराक ओबामा व पूर्व विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन के करीबी हैं. 2008 के चुनावों में उन्होंने ओबामा के लिए काम किया व उनके लिए भाषण तैयार किया. ओबामा की जीत में रिचर्ड के तैयार भाषणों का काफी योगदान माना जाता है. रिचर्ड अमेरिकी प्रशासन के दो सबसे महत्वपूर्ण मंत्री विदेश मंत्री (पूर्व) हिलेरी क्लिंटन व रक्षा मंत्री रॉबर्ट गेट्स के अमेरिकी संसद यानी कांग्रेस के मामलों के सलाहकार रहे हैं. वे 2002 से 2007 तक सीनेट के बहुमत के नेता हैरी रीड के वरिष्ठ राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार व विदेश मामलों के सलाहकार का भी काम कर चुके हैं. विभिन्न कमेटियों के अध्यक्ष के सलाहकार की भी वे भूमिका निभाते थे. रीड के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में उनके पास अमेरिकी प्रशासन की वैसी गोपनीय जानकारियां रहती थीं, जो शीर्ष पदों पर बैठे लोगों को मालूम होती थीं. वर्मा के व्हाइट हाउस के चीफ ऑफ स्टॉफ डेनिस मैकडोनफ, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सुजैन राइस से भीगहरे संबंध रहे हैं.
भारत-अमेरिका परमाणु करार में निभायी भूमिका
रिचर्ड राहुल वर्मा ने भारत-अमेरिका के बीच हुए असैन्य परमाणु करार में अहम भूमिका निभायी थी. उन्होंने व्हाइट हाउस में भी काम किया है. वहां उन्हें रक्षा व विदेश नीति के बीच संपर्क सूत्र की जिम्मेवारी दी गयी थी. विदेश विभाग में वे सहायक सचिव रहे हैं. उन्हें स्पीकर के ऑफिस में भी काम करने का अनुभव है.
पंजाब से रहा है ताल्लुक
रिचर्ड राहुल वर्मा का परिवार पाकिस्तान के हिस्से वाले पंजाब में रहता था, लेकिन देश के बंटवारे के बाद उनका परिवार भारत के हिस्से में आ बसा. उनके पिता को आजादी की लड़ाई में जेल भी हुई थी. 1963 में उनके पिता अमेरिका चले गये. कुछ दिनों बाद उनकी मां भी वहां चली गयीं. फिर वे वहीं बस गये. 45 वर्षीय रिचर्ड अपने माता-पिता की पांचवीं संतान हैं.

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