अमेरिकी कंपनियों के सीईओ से मिलेंगे मोदी, कहेंगे ”Come make in india”
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे का आज चौथा दिन है. आज नरेंद्र मोदी अमेरिका में कई कंपनियों के सीईओ से मिलने वाले हैं. मोदी की इस मुलाकात को इस नजरिये से देखा जा रहा है कि वे अपने कार्यक्रम मेक इन इंडिया को प्रमोट करने के लिए यह कंपनियों के सीईओ से मिल […]
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे का आज चौथा दिन है. आज नरेंद्र मोदी अमेरिका में कई कंपनियों के सीईओ से मिलने वाले हैं. मोदी की इस मुलाकात को इस नजरिये से देखा जा रहा है कि वे अपने कार्यक्रम मेक इन इंडिया को प्रमोट करने के लिए यह कंपनियों के सीईओ से मिल रहे हैं.
भारत की अर्थव्यवस्था में सुधार करना चाहते हैं मोदी
अमेरिका दौरा शुरू करने से पहले नरेंद्र मोदी ने मेक इन इंडिया कार्यक्रम लांच किया. इस कार्यक्रम को लांच करने का उद्देश्य यह है कि वे देश की बदहाल अर्थव्यवस्था में सुधार लाना चाहते हैं. वे चाहते हैं विदेशी निवेशक भारत आयें और मोदी का मेक इन इंडिया कार्यक्रम सफल हो जाये. कार्यक्रम के लांच के दौरान सरकार की ओर से यह कहा गया है कि निवेशकों को तमाम सुविधाएं दी जायेंगी, ताकि उन्हें किसी तरह की असुविधा न हो.
अमेरिकी उद्योग जगत को विश्वास में लेना प्राथमिकता
आज जब नरेंद्र मोदी अमेरिका कंपनियों के सीईओ से मिलेंगे, तो उनका उद्देश्य इनके मन में भारत के प्रति विश्वास जगाना होगा. वे यह कोशिश करेंगे कि इनके मन में भारत को लेकर जो भ्रम है, वह मिटे और यह कंपनियां भारत में निवेश को लेकर इच्छुक हो जायें.
इन कंपनियों के सीईओ से मिलेंगे नरेंद्र मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज अमेरिका की 11 कंपनियों के सीईओ से मिलनेवाले हैं और हर सीईओ के साथ वे 15-20 मिनट बितायेंगे. नरेंद्र मोदी से मिलने वाले सीईओ में शामिल हैं. डब्ल्यू जेम्स चेयरमैन ऑफ बोिइंग लॉरेंस, अमेरिकी मल्टीनेशनल कंपनी ब्लैक रॉक के सीईओ, जिनी रोमेटी सीईओ आईबीएम, जेफरी आर इमेल्ट सीईओ जेनरल इलेक्ट्रीक इत्यादि.
बेरोजगारों को मिलेगा रोजगार
नरेंद्र मोदी का मेक इन इंडिया कार्यक्रम अगर सफल होता है, तो निश्चित तौर पर देश में रोजगार का सृजन होगा और बेरोजगारी की समस्या पर कुछ तो लगाम कसेगी.
उद्योग जगत में है उत्साह
मेक इन इंडिया कार्यक्रम के लांच के दौरान उद्योगपतियों ने जो उत्साह दिखाया, उससे ऐसा लगता है कि एक नयी शुरुआत हो चुकी है और उद्योग जगत यह सोच रहा है कि सरकार उनके लिए कुछ करेगी. उन्हें ऐसा महसूस हो रहा है कि अब उन्हें काम करने का उचित माहौल मिलेगा.