मूल स्थान पर ही खत्म हो इबोला : बान की-मून

संयुक्त राष्ट्र : संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की-मून ने इबोला के प्रकोप की प्रतिक्रिया में यात्रा प्रतिबंधों और देशों द्वारा सीमाएं बंद कर दिए जाने की आलोचना की है. उन्होंने देशों से हडबडी वाला माहौल न पैदा करने की अपील करते हुए कहा है, कि ‘‘इबोला को रोकने का एकमात्र तरीका उसे उसके मूल […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 29, 2014 11:31 AM

संयुक्त राष्ट्र : संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की-मून ने इबोला के प्रकोप की प्रतिक्रिया में यात्रा प्रतिबंधों और देशों द्वारा सीमाएं बंद कर दिए जाने की आलोचना की है. उन्होंने देशों से हडबडी वाला माहौल न पैदा करने की अपील करते हुए कहा है, कि ‘‘इबोला को रोकने का एकमात्र तरीका उसे उसके मूल स्थान पर ही खत्म करना है.’’

बान ने अफ्रीकी संघ आयोग के अध्यक्ष नकोसाजाना द्लामिनी-जुमा और विश्व बैंक के अध्यक्ष जिम योग किम के साथ इथियोपिया की राजधानी अदीस अबाबा में संवाददाताओं से कहा, ‘‘इबोला के प्रकोप पर पूरा ध्यान दिए जाने की जरुरत है. हालांकि शांत रहना भी बेहद जरुरी है. हमें घबराहट फैलाए बिना आपात स्थिति की समझ पैदा करनी चाहिए.’’ इन तीनों ने यहां इस बात पर चर्चा की है कि किस तरह तीनों संगठन पश्चिमी अफ्रीका में इबोला महामारी को फैलने से रोक सकते हैं.

कुछ देशों द्वारा लगाए गए यात्र प्रतिबंधों या सीमा बंद किए जाने की ओर इशारा करते हुए बान ने कहा कि इस तरह के उपायों से ‘‘इबोला प्रभावित देश अलग-थलग ही पडेंगे और हमारे सहायता प्रयास बाधित होंगे. इबोला को रोकने का एकमात्र तरीका इसे इसके मूल स्थान पर ही उसे खत्म कर देना है.’’ इससे पहले बान ने इबोला प्रभावित देशों से लौट रहे यात्रियों पर लगाए जाने वाले प्रतिबंधों पर चिंता जाहिर करते हुए कहा था कि ‘अलग-थलग करना’ वैज्ञानिक साक्ष्यों पर आधारित होना चाहिए. उन्होंने कहा कि जिन लोगों में संक्रमण फैल गया है, उनकी ‘‘मदद दी जानी चाहिए, प्रताडना नहीं.’’ प्रतिबंधों से उन स्वास्थ्यकर्मियों का काम प्रभावित होगा, जो इस बीमारी का प्रकोप इसके मूल स्नेत देशों में रोकने के लिए काम कर रहे हैं.

बान ने एकबार फिर दोहराया कि किसी देश को इबोला से बचाने का सबसे बढिया तरीका यही है कि इस बीमारी को इसके मूल स्नेत यानी पश्चिमी अफ्रीका में ही रोक दिया जाए. उन्होंने कहा, ‘‘इसके लिए अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्यकर्मियों के पर्याप्त सहयोग की जरुरत है और उनके इस सहयोग के बदले हमारी जिम्मेदारी उनकी देखभाल की है.’’

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने कहा कि बिना वैज्ञानिक आधार के ‘अलग-थलग कर देने’ से प्रयासों में रुकावट आएगी और इससे उन स्वास्थ्यकर्मियों की मजबूत प्रतिबद्धता भी कमजोर पडेगी, जो अपनी मर्जी से वहां लोगों के पास जाने और उनकी मदद के लिए तैयार हैं. जब सहायता कर्मी या चिकित्सा कर्मचारी पश्चिमी अफ्रीका में इबोला के मरीजों का इलाज करके अपने देशों को लौटते हैं तो उनके आवागमन पर उनकी सरकारों द्वारा कई प्रतिबंध लगाए जाते रहे हैं ताकि वायरस फैल न जाए.

न्यू यार्क में, जब एक डाक्टर गिनी से इबोला के मरीजों का इलाज करके लौटा तो उसमें वायरस पाया गया. तब राज्य सरकार ने इबोला से प्रभावित पश्चिमी अफ्रीकी देशों से लौटने वाले यात्रियों को अनिवार्य रुप से 21 दिन अलग-थलग रखने की नीति लागू कर दी. न्यू यार्क के गवर्नर एंड्रयू क्यूमो को स्वास्थ्य विशेषज्ञों की ओर से आलोचनाओं का सामना करना पडा था और फिर प्रतिबंधों में ढील देनी पडी थी.

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