लंदन : वैश्विक मानवाधिकार संस्था ‘एमनेस्टी इंटरनेशनल’ ने पाकिस्तान को आड़े हाथों लिया और कहा ईशनिंदा के आरोपी इसाई दंपति की हत्या के जिम्मेदार लोगों को वह न्याय के कटघरे में खडा करे. एमनेस्टी इंटरनेशनल के एशिया प्रशांत क्षेत्र में उप निदेशक डेविड ग्रिफिथ्स ने कहा, इस घटना के लिए जिम्मेदार लोगों को न्याय के कटघरे में लाना चाहिए और पाकिस्तानी प्रशासन को जोखिम से घिरे अल्पसंख्यक समुदाय की जरुरी सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि भीड के साथ मिलकर हत्या करने की यह निंदनीय घटना हिंसा के उस खतरे का हालिया रुप है, जिसका सामना पाकिस्तान में ईशनिंदा का आरोप लगने के बाद किसी को भी करना पड सकता है. जबकि धार्मिक अल्पसंख्यकों की स्थिति वहां बेहद सोचनीय है. गौरतलब है कि इसाई दंपति को कल पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में गुस्साए मुस्लिमों के समूह ने बुरी तरह पीटा था और फिर जिंदा जला दिया था. इस दंपति पर आरोप था कि उन्होंने कुरान का अपमान किया है.
इस भयावह अपराध की सूचना लाहौर से 50 किलोमीटर दूर कसूर जिले के कोट राधा किशन स्थित गांव से मिली. ग्रिफिथ्स ने कहा, इस तरह की हिंसा पाकिस्तान के दमनकारी ईशनिंदा कानूनों से भडकती है और इसके कारण धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए भय का माहौल और गहराता है. ईशनिंदा का आरोप मात्र ही एक व्यक्ति और उसके पूरे समुदाय को खतरे में डालने के लिए काफी है. ग्रिफिथ्स ने कहा, इस मामले में, एक भीड न्यायाधीश भी बन गयी और सजा देने वाला जल्लाद भी.
ईशनिंदा के कानून अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानूनों एवं मानकों का उल्लंघन करते हैं. इनके दुरुपयोग को प्रभावी ढंग से रोकने के लिए और फिर इन्हें रद्द कर देने के विचार के साथ, इनमें तत्काल सुधार लाया जाना चाहिए. एमनेस्टी ने कहा कि धर्म के नाम पर होने वाली हिंसा से निपटने में सरकार की निरंतर विफलता ने यही संदेश गया है कि कोई भी व्यक्ति क्रूरतम अपराध कर सकता है और फिर उन्हें धार्मिक भावनाओं के संरक्षण की आड में बचकर निकल सकता है.
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की सरकार ने कथित तौर पर एक समिति गठित की है, जो इन हत्याओं की त्वरित जांच करेगी. इसके साथ ही सरकार ने प्रांत में इसाई पडोस की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त पुलिस सुरक्षा के आदेश दिए हैं. ग्रिफिथ्स ने कहा, स्थानीय सरकार की प्रतिक्रिया प्रोत्साहक है लेकिन यह देखना बाकी है कि जांच में निकलकर क्या आता है?