पेरिस: यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ईएसए) ने रविवार को पहली बार फाइली से ली गयी तस्वीरों को साझा किया है. फाइली नामक लैंडर स्पेसक्रॉफ्ट को रोजेटा स्पेसशिप के माध्यम से पहली बार किसी धूमकेतु पर उतारा गया है. यह इस बुधवार को धूमकेतु की सतह पर पहुंच गया था.
एजेंसी ने अपने रिपोर्ट में बताया कि इस उपलब्धि से लगातार धूमकेतु की सतह से तस्वीरें आ रही हैं. जिससे धूमकेतु के बारे में कई अनसुलझे सवालों का उत्तर मिल पाएगा. फाइली जैसे ही धूमकेतु की सतह पर उतरा इसने वहां कि तस्वीरें भेजना शुरु कर दिया है. तस्वीरों में धूमकेतु के सतह पर धूल के निशान दिख रहे है.
लेकिन इस तस्वीर को गौर से देखा जाए तो इसमें चमकीला ध्ब्बा फाइली है और काले रंग का धब्बा इसकी परछाई दिख रही है. यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने रोजेटा मिशन के अपने ब्लॉग पोस्ट में बताया कि ‘तस्वीर में एक दूसरे के बगल में दो मकाले रंग का धब्बा दिख रहा है. दोनों धब्बा धूल के बादलों के दायीं ओर दिख रहा है.’ फलाइट डायनेमिक्स के साइंटिस्ट ने बताया कि इस खोज को प्राप्त करने के लिए घंटों की कडी मेहनत करनी पडी है.
लैंडर स्पेसक्राफट फाइली को अपने मदरशिप रोजेटा के साथ धूमकेतु पर भेजा गया था. इसे वहां पहुचने में 10 साल का वक्त लगा है,इतने लंबे समय में रोजेटा ने सौर मंडल के चारों ओर कुल 650 करोड किलोमीटर की दूरी तय की है.
फाइली के सतह पर पहुंचने के बाद इसकी बैटरी डिसचार्ज होने की समस्या उत्पन्न हो गयी थी. इसमें लगे सोलर पैनल सूर्य की रौशनी का इस्तेमाल अपनी बैटरी को चार्ज करने में नहीं कर पा रहा था. लेकिन ईएसए ने अपने रिपोर्ट में बताया ‘फाइली ने सफलता पूर्वक अपने तय रिसर्च को पूरा कर लिया है. मैं शुक्रिया अदा करता हुं कि इसकी बैटरी इतनी चार्ज है कि 60 घंटे का काम और कर सकती है.
फिलहाल पावर की कमी के कारण फाइली को स्टैंडबाई मोड में कर दिया गया है. मिशन के मैनेजरों को आशा है कि जैसे ही यह सूर्य के नजदीक जाती है, इसकी बैटरी फिर से चार्ज हो पाएगी. रोजेटा मिशन को 1993 में अप्रूव किया गया था जिसे 2004 में लरांच किया गया. इसे धूमकेतु के रासायनिक और भैतिक रहस्यों का पता लगाने के लिए भेजा गया है.