इस्लामाबाद: भारत हमेशा से पाकिस्तान की तरफ से अलगाववादियों के साथ बातचीत और बढ़ते संबंध को लेकर विरोध में खड़ा रहा है. नरेंद्र मोदी सरकार ने इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाते हुए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के भारत दौरे के वक्त कश्मीरी अलगाववादियों से मिलने पर रोक लगा दी थी.
लेकिन अब भारत के विरोध को नजरअंदाज करते हुए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने आज कहा कि पाकिस्तान भारत के साथ शांति-वार्ता शुरु करने से पहले कश्मीरी अलगाववादियों को विश्वास में लेने के लिए उनसे बात करेगा.शरीफ ने पाक अधिकृत कश्मीर की राजधानी मुजफ्फराबाद में कश्मीर परिषद को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘यह हमारा मूल विश्वास है कि कश्मीर मुद्दा बातचीत के जरिये हल होना चाहिए. मेरी सरकार ने भारत के साथ वार्ता शुरु की लेकिन उन्होंने विदेश सचिवों के बीच प्रस्तावित वार्ता रद्द कर दी.’’
उन्होंने कहा, ‘‘भारत के साथ बातचीत शुरु करने से पहले, मैंने कश्मीरी नेताओं के साथ विचार विमर्श करने का फैसला किया है.’’ शरीफ ने यह बयान ऐसे समय दिया है जब नेपाल में अगले सप्ताह दक्षेस सम्मेलन होना है जिसमें वह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल होंगे.शरीफ ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से कश्मीर मुद्दे के समाधान पर वार्ता शुरु करने के लिए भारत पर दबाव बनाने में अपनी भूमिका निभाने के लिए कहा.
शरीफ ने कहा कि पाकिस्तानी सेना ने नियंत्रण रेखा पर सीमापार से हाल में भारतीय सैनिकों द्वारा बिना उकसावे के की गई गोलीबारी का कड़ा जवाब दिया. उन्होंने कहा कि भारत की गोलीबारी ने विश्वास बहाल करने के उपायों को नुकसान पहुंचाया.शरीफ ने कहा कि उनकी सरकार सितंबर से संयुक्त राष्ट्र महासभा सहित हर मंच पर कश्मीर के मुद्दे को सक्रियता से उठा रही है. उन्होंने इस मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चुप्पी पर चिंता जताई और उनसे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों तथा कश्मीर की जनता की महत्वाकांक्षाओं के अनुसार समस्या के हल की दिशा में पहल करने का अनुरोध किया.