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SYDNEY HOSTAGE CRISIS : 17 घंटे बाद बंधक बने दो भारतीय समेत सभी मुक्त, 3 की मौत

सिडनी : सिडनी के लिंट चॉकलेट कैफे में बंधक बने दो भारतीय आइटी विशेषज्ञ विश्वकांत अंकीरेड्डी व पुष्पेंदु घोष समेत सभी 40 लोगों को 17 घंटे बाद मुक्त करा लिया गया. 35 वर्षीय अंकीरेड्डी आंध्र प्रदेश में गुंटूर के रहनेवाले हैं, जो पिछले सात साल से ऑस्ट्रेलिया में काम कर रहे थे. इंफोसिस के बेंगलुरु […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 15, 2014 7:48 AM
सिडनी : सिडनी के लिंट चॉकलेट कैफे में बंधक बने दो भारतीय आइटी विशेषज्ञ विश्वकांत अंकीरेड्डी व पुष्पेंदु घोष समेत सभी 40 लोगों को 17 घंटे बाद मुक्त करा लिया गया. 35 वर्षीय अंकीरेड्डी आंध्र प्रदेश में गुंटूर के रहनेवाले हैं, जो पिछले सात साल से ऑस्ट्रेलिया में काम कर रहे थे. इंफोसिस के बेंगलुरु स्थित मुख्यालय ने बताया था कि बंधकों में उसका कम से कम एक कर्मचारी शामिल है. कैफे में पुलिसकर्मियों के प्रवेश करते ही जोरदार धमाके सुनाई दिये और उसके कुछ ही देर बार न्यू साउथ वेल्स पुलिस ने ट्वीट किया, ‘अभियान पूरा हुआ, सिडनी बंधन से मुक्त हुआ.’ अभियान में दो व्यक्ति मारे गये, जिनमें बंदूकधारी और एक बंधक शामिल हैं. तीन अन्य गंभीर रूप से घायल हो गये. बंदूकधारी की पहचान ईरान के हैरोन मोनिस (50) के तौर पर की गयी है, जिसने ऑस्ट्रेलिया में राजनीतिक शरण हासिल की थी.

कैफे में बंदूकधारी की गतिविधियां स्थानीय समय के अनुसार सुबह नौ बजे शुरू हुईं और रात दो बजे खत्म हुई. बम का पता लगाने के लिए पहले रोबोट भेजा गया. फिर पुलिस का अभियान शुरू हुआ. अंकी रेड्डी सहित पांच से छह बंधक भागते हुए कैफे से बाहर आते दिखे. एक रोती हुई महिला को अधिकारी ले जाते दिखे. कम से कम दो व्यक्ति स्ट्रेचर पर बाहर लाये गये. इससे पहले घटना को देखते हुए सिडनी स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास को बंद कर दिया गया और सुरक्षा उपाय के मद्देनजर इसे खाली करा लिया गया. सिडनी में भारत के महावाणिज्य दूत संजय सुधीर ने बताया कि भारतीय वाणिज्य दूतावास लिंट कैफे से 400 मीटर की दूरी पर स्थित है. सेंट्रल बिजनेस डिस्ट्रिक्ट इलाके में एसबीआइ, बैंक ऑफ बड़ौदा और भारतीय पर्यटन कार्यालय सहित कई भारतीय प्रतिष्ठान हैं, जिन्हें बंद कर दिया गया.

बंदूकधारी के पूर्व वकील ने बंधक बनानेवाले हैरोन मोनिस को अलग- थलग रहनेवाला व्यक्ति बताया है, जो अकेले इस घटना को अंजाम दे रहा था. यह बंदूकधारी 1996 में शरणार्थी के तौर पर ऑस्ट्रेलिया आया था. वह अफगानिस्तान में अपनी जान गंवानेवाले ऑस्ट्रेलियाई सैनिकों के परिवारों को चिट्ठियां लिख कर चर्चा में आया, जिन्हें वह हत्यारे कहा करता था.
पिछले साल नवंबर में उस पर अपनी पूर्व पत्नी की हत्या में शामिल होने का आरोप लगा, जिसे उसके आवासीय परिसर में चाकू घोंप कर मौत के घाट उतार दिया गया था. मार्च में उस पर एक युवती के यौन शोषण और अभद्र हमला करने का आरोप लगा. पुलिस ने आरोप लगाया है कि मोनिस स्वयंभू ‘तांत्रिक’ था और वेंटवर्थविल में स्टेशन स्ट्रीट परिसरों में सक्रिय रहता था. आरोप है कि वह स्थानीय अखबारों में विज्ञापन देकर लोगों को ‘आध्यात्मिक सलाह’ देने की पेशकश करता था. उसका दावा था कि वह ज्योतिष, अंकशास्त्र, ध्यान और काले जादू का माहिर है.
बंधक बने भारतीय विश्वकांत सिडनी व्यावसायिक जिले के बीचोबीच स्थित मार्टिन प्लेस के लिंट चॉकलेट कैफे में था, जब बंदूकधारी ने कैफे में प्रवेश किया और वहां मौजूद लोगों को बंधक बना लिया. हालांकि भारतीय क्रिकेट टीम फिलहाल ब्रिस्बेन में है और वह स्थान सिडनी से करीब 700 किलोमीटर के फासले पर है, लेकिन यहां के संकट को देखते हुए वहां भारतीय टीम की सुरक्षा कड़ी कर दी गयी है. ऑस्ट्रेलियाई अधिकारियों ने भारत सरकार को बताया है कि भारतीय टीम की सुरक्षा बढ़ा दी गयी है.
न्यूसाउथ वेल्स के इस राजधानी शहर में लोगों को बंधक बनाये जाने के बारे में सूचना मिलते ही अधिकारियों ने निकटवर्ती सड़कों को सील कर दिया. आसपास की इमारतों को खाली करा लिया और रेल सेवाएं निलंबित कर दी. पुलिस ने क्रिसमस से ऐन पहले हुई इस घटना से निपटने के लिए टॉस्क फोर्स पायनियर को सक्रिय कर दिया, जिसका इस्तेमाल आतंकवाद से जुड़ी घटनाओं में किया जाता है.
शहर के बीचोबीच स्थित मार्टिन प्लेस एक व्यस्त इलाका है, जो संसदीय, कानूनी और खुदरा परिसरों को जोड़ता है. सिडनी ओपेरा हाउस, स्टेट लाइब्रेरी, अमेरिकी वाणिज्य दूतावास और तमाम अदालतें यहीं हैं, जिन्हें घटना के बाद खाली करा लिया गया था. रिपोर्ट के मुताबिक, टेलीविजन फुटेज में यह दिख रहा है कि कैफे की खिड़की पर हाथ टिकाये लोग काला झंडा लिये खड़े हैं, जिस पर अरबी लिपि शहादा में मसजिद में रोज पढ़ी जानेवाली नमाज का मजमून लिखा है.

प्रदर्शित झंडा ‘इसलामिक स्टेट’ का नहीं है. सरकार का कहना है कि यह झंडा जिहादी समूहों द्वारा प्रयोग किये जानेवाले झंडों जैसा दिख रहा है. काले झंडे पर लिखा है ‘अल्लाह के अलावा और कोई खुदा नहीं है, मोहम्मद उनके दूत हैं.’ इससे पहले न्यूज चैनलों ने कहा था कि बंदूकधारी ने ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री टोनी एबॉट से बात करने और इसलामिक स्टेट (आइएस) का झंडा देने की मांग की है.


बंधकों में थे दो भारतीय, दोनों सुरक्षित
बंधक बनाये गये लोगों में दो भारतीय थे. इनके नाम पुष्पेंद्र घोष और विश्वनाथ अंकिरेड्डी हैं. आंध्रप्रदेश के गुंटूर के रहनेवाले अंकिरेड्डी इंफोसिस में काम करते हैं. इधर, सिडनी में भारत के महावाणिज्य दूत संजय सुधीर ने कहा, ‘दिन में 12 बजे कार्यालय को बंद कर हमारे अधिकारियों को सुरक्षित जगहों पर जाने के लिए कहा गया. इधर, नयी दिल्ली में विदेश मंत्रलय के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने बताया कि सिडनी में भारतीय वाणिज्य दूतावास स्थानीय प्रशासन के संपर्क में है. वाणिज्य दूतावास के सभी कर्मचारी सुरक्षित हैं.
झंडा आइएस का नहीं
टीवी फुटेज में दिख रहा है कि कैफे की खिड़की पर हाथ टिकाये लोग काला झंडा लिये खड़े हैं. इस पर अरबी लिपि शहादा में लिखा है, ‘अल्लाह के अलावा और कोई खुदा नहीं है, मोहम्मद उनके दूत हैं.’ प्रदर्शित झंडा ‘इसलामिक स्टेट’ का नहीं है.
1978 के बाद देखा ऐसा संकट

ऑस्ट्रेलिया ने 1978 के बाद पहली बार ऐसा संकट देखा है. तब होटल हिल्टन में हुई बमबारी में दो लोगों की मौत हो गयी थी. सभी बैंकों के कार्यालय बंद करवा दिये गये थे. लोगों को घरों से निकलने से मना कर दिया गया था.

बंदूकधारी की हुई पहचान
50 वर्ष का यह शख्स अलग-थलग रहनेवाला व्यक्ति बताया जाता है
1996 में शरणार्थी के तौर पर ऑस्ट्रेलिया आया था
अफगानिस्तान में अपनी जान गंवानेवाले ऑस्ट्रेलियाई सैनिकों के परिवारों को चिट्ठियां लिख कर चर्चा में आया, जिन्हें वह हत्यारे कहा करता था
नवंबर, 2013 में उस पर अपनी पूर्व पत्नी की चाकू घोंप कर हत्या करने का आरोप लगा
मार्च में एक युवती के यौन शोषण और उस पर अभद्र हमला करने का आरोप लगा
पुलिस का आरोप है कि मोनिस स्वयंभू ‘तांत्रिक’ था और वेंटवर्थविल में स्टेशन स्ट्रीट परिसरों में सक्रिय रहता था
स्थानीय अखबारों में विज्ञापन देकर लोगों को ‘आध्यात्मिक सलाह’ देने की पेशकश करता था

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