मिस्र में मुस्लिम ब्रदरहुड के प्रमुख की गिरफ्तारी के हुक्म

मिस्रः मिस्र में अभियोजन कार्यालय ने मुस्लिम ब्रदरहुड के नेता मोहम्मद बदी के ख़िलाफ़ गिरफ़्तारी वारंट जारी किया है.बदी पर सोमवार को सेना के बैरक के पास प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़काने का आरोप लगाया गया है. वहां प्रदर्शनकारियों पर सुरक्षा बलों की गोलीबारी में 50 से ज़्यादा लोग मारे गए थे. मृतकों में ज़्यादातर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 11, 2013 7:19 AM

मिस्रः मिस्र में अभियोजन कार्यालय ने मुस्लिम ब्रदरहुड के नेता मोहम्मद बदी के ख़िलाफ़ गिरफ़्तारी वारंट जारी किया है.बदी पर सोमवार को सेना के बैरक के पास प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़काने का आरोप लगाया गया है. वहां प्रदर्शनकारियों पर सुरक्षा बलों की गोलीबारी में 50 से ज़्यादा लोग मारे गए थे. मृतकों में ज़्यादातर अपदस्थ राष्ट्रपति मोहम्मद मुर्सी के समर्थक थे.

ब्रदरहुड ने आरोप लगाया है कि सेना ने शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे लोगों पर हमला किया. लेकिन पुलिस और सेना का कहना है कि उन्होंने आत्मरक्षा में कार्रवाई की.

इस बीच पूर्व वित्त मंत्री हाज़िम अल-बेब्लावी को प्रधानमंत्री बनाए जाने के बाद से मिस्र में राजनीतिक हलचल और तेज़ हो गई है.

मुस्लिम ब्रदरहुड ने बीबीसी को बताया है कि अगर देश में हाज़िम अल-बेब्लावी के नेतृत्व में सरकार बनी तो मुस्लिम ब्रदरहुड के नेता उसमें शामिल नहीं होंगे.

ब्रदरहुड ने कहा है कि वो मोहम्मद मुर्सी की राष्ट्रपति पद पर वापसी से कम किसी बात पर राज़ी नहीं होंगे. मुर्सी के समर्थक उन्हें सत्ता से हटाए जाने के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं.

ब्रदरहुड का विरोध

काहिरा में रहने वाले मुस्लिम ब्रदरहुड के एक समर्थक तामीर अल-नशीर ने कहा, “हाज़िम अल बेब्लावी पूर्व राष्ट्रपति होस्नी मुबारक की सरकार से जुड़े रहे हैं और इस बार उन्हें एक कठपुतली प्रधानमंत्री के तौर पर चुना गया है. हम सैन्य तख्तापलट का समर्थन नहीं करते हैं और ये सब सैन्य तख्तापलट की ही वजह से हो रहा है. बेब्लावी को कोई मंत्रालय किसी को देने का अधिकार ही नहीं बनता.”

मिस्र में घटनाक्रम तेज़ी से बदल रहा है.

बेब्लावी ने बीबीसी की अरबी सेवा को बताया कि वह अनुभव और क्षमता के आधार पर अपने मंत्रियों का चुनाव करेंगे.

लेकिन उन्होंने कहा कि यह बताना उनके लिए कठिन होगा कि कब तक सरकार के गठन का काम पूरा कर लेंगे.

इस बीच मिस्र के रक्षा मंत्री ने सख़्त चेतावनी देते हुए कहा है कि इस बदलाव के मुश्किल दौर में किसी को भी व्यवधान डालने की इजाज़त नहीं दी जा सकती.

टेलीविज़न पर दिए भाषण में रक्षा मंत्री अब्देल फ़तह अल-सीसी ने कहा, “देश का भविष्य बहुत महत्वपूर्ण है. सेना और मिस्र की जनता दोनों ही इस कठिन और जटिल समय में कोई रूकावट या बाधा बर्दाश्त नहीं करेंगे.”

राष्ट्रपति मोहम्मद मुर्सी को सेना द्वारा अपदस्थ किए जाने और संवैधानिक अदालत के प्रधान न्यायाधीश अदली मंसूर को अंतरिम नेता चुने जाने के लगभग एक सप्ताह बाद मिस्र के रक्षा मंत्री का ये बयान आया है.

"हम मिस्र प्रशासन की प्रतिक्रिया और स्थिति को संभालने के प्रयासों का विश्लेषण कर रहे हैं. राष्ट्रपति मुर्सी को सत्ता से हटाए जाने और नेतृत्व में परिवर्तन के लिए पिछले हफ़्ते हुए गतिविधियों को समझने और किसी निर्णय पर पहुँचने में हम पूरा और जऱूरी वक्त लेंगे. राष्ट्रपति मुर्सी को सत्ता से हटाए जाने को लेकर हम अब भी गंभीर रूप से चिंतित हैं. जो मैंने कल कहा, और कल से पहले कहा है वह आज भी सच है. हम समझते हैं कि सहायता कार्यक्रमों में तत्काल बदलाव करना संयुक्त राज्य अमरीका के हितों में नहीं है."

जे कार्नी, प्रवक्ता व्हाइट हाऊस

व्हाइट हाउस के प्रवक्ता जे कार्नी ने मिस्र में मनमाने ढंग से हो रही गिरफ़्तारियों के प्रति अमरीकी विरोध को दोहाराया. जब उनसे पूछा गया कि क्या अमरीका मिस्र में हुए सत्ता परिवर्तन को सैन्य तख़्तापलट मानता है तो उन्होंने कहा कि अमरीका अभी इस नाजुक स्थिति में मिस्र की सेना की प्रतिक्रिया का आँकलन कर रहा है.

सत्ता हस्तांतरण

2011 में हुई क्रांति के बाद से ही मिस्र में हालात अस्थिर बने हुए हैं

मिस्र के अंतरिम राष्ट्रपति अदली मंसूर ने पूर्व वित्त मंत्री हाज़िम अल-बेब्लावी को प्रधानमंत्री नियुक्त कर अपनी स्थिति मज़बूत करने की कोशिश की है.

अंतरिम राष्ट्रपति मंसूर ने उदारवादी छवि के नेता मोहम्मद अल-बारादेई को विदेश मामलों की ज़िम्मेदारी के साथ उपराष्ट्रपति नियुक्त किया है. उन्होंने एक अस्थाई संविधान जारी किया है और अगले साल की शुरुआत में सत्ता के हस्तांतरण के लिए एक समय सारिणी भी जारी की है.

इस बीच मोहम्मद मुर्सी को हटाए जाने का कुछ खाड़ी देशों ने स्वागत किया है. संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब ने नई सरकार को अपना समर्थन जताने के लिए बड़ी वित्तीय मदद की घोषणा की है.

बीबीसीसाभार

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