पत्रकारों के लिए भी पाकिस्तान है सबसे खतरनाक देश
ब्रूसेल्स: दुनियाभर में पत्रकारों की मृत्यु दर में इस साल बढ़ोतरी हुई है. पिछले साल की तुलना में वर्ष 2014 में हत्या, बम ब्लास्ट और गोलीबारी में मरने वाले पत्रकारों की संख्या 105 से बढ़कर 118 हो गयी है. इसका सर्वेक्षण अंतरराष्ट्रीय फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट (आइएफजे) नामक एक प्रेस संस्था ने किया है. आइएफजे के […]
ब्रूसेल्स: दुनियाभर में पत्रकारों की मृत्यु दर में इस साल बढ़ोतरी हुई है. पिछले साल की तुलना में वर्ष 2014 में हत्या, बम ब्लास्ट और गोलीबारी में मरने वाले पत्रकारों की संख्या 105 से बढ़कर 118 हो गयी है. इसका सर्वेक्षण अंतरराष्ट्रीय फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट (आइएफजे) नामक एक प्रेस संस्था ने किया है.
आइएफजे के मुताबिक करीब 17 पत्रकारों की मौत काम के दौरान प्राकृतिक आपदाओं में फंस जाने के कारण हुई. ब्रूसेल्स बेस्ड आईएफजे ने बताया कि इस साल पाकिस्तान पत्रकारों के लिए सबसे खतरानाक स्थान सावित हुआ. फील्ड में रिर्पोटिंग के दौरान अलग-अलग कारणों से पाकिस्तान में करीब 14 पत्रकारों की मौत हो गयी.
पाकिस्तान के बाद दूसरा स्थान सीरिया का रहा, जहां इस साल 12 पत्रकारों की मौत हुई. इसके बाद अफगानिस्तान और फिलिस्तीन में नौ और यूक्रेन, इराक में आठ-आठ पत्रकारों की मौत हो गयी. अमेरिकी पत्रकार जेम्स फोले और स्टीवन स्टोलॉफ की मौत कट्टर इस्लामी संगठन आईएस ने कर दी थी. इसने दोनों पत्रकारों को रिर्पोटिंग के दौरान अगवा कर सिर धर से अलग कर दिया. बाद में इस कृत्य का वीडियो यू-ट्यूब पर भी अपलोड कर दिया.
आईएफजे के अध्यक्ष जिम बाउमेला ने कह कि सरकार को पत्रकारों की सुरक्षा के लिए सख्त कदम उठाना चाहिए ताकि मीडिया संगठन युद्ध क्षेत्रों की पत्रकारिता निडर होकर कर सके. इन क्षेत्रों में पत्रकारों की असुरक्षा के वजह से युद्ध क्षेत्रों की पत्रकारिता बुरी तरह से प्रभावित हो रही है.