श्रीलंका चुनाव में लगभग 70 प्रतिशत मतदान, राजपक्षे के सामने बड़ी चुनौती
कोलंबो: श्रीलंका में आज भारी संख्या में लोगों ने राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान में हिस्सा लिया. निवर्तमान राष्ट्रपति महिंद्रा राजपक्षे अपने दूसरे कार्यकाल के लिए विपक्षी दलों के उम्मीदवार मैत्रीपाला सिरीसेना की चुनौती का सामना कर रहे हैं. आज तमिल और मुस्लिम इलाकों में असाधारण रुप से भारी मतदान हुआ. चुनाव अधिकारियों ने पहले […]
कोलंबो: श्रीलंका में आज भारी संख्या में लोगों ने राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान में हिस्सा लिया. निवर्तमान राष्ट्रपति महिंद्रा राजपक्षे अपने दूसरे कार्यकाल के लिए विपक्षी दलों के उम्मीदवार मैत्रीपाला सिरीसेना की चुनौती का सामना कर रहे हैं. आज तमिल और मुस्लिम इलाकों में असाधारण रुप से भारी मतदान हुआ.
चुनाव अधिकारियों ने पहले सात घंटे में अधिकतर जगहों पर 65-70 प्रतिशत से अधिक मतदान होने का अनुमान लगाया है.
हिंसा की कोई बडी खबर नहीं है लेकिन निजी निगरानी समूह ‘कैम्पेन फॉर फ्री एंड फेयर इलेक्शंस’ (काफे) ने कहा कि कुछ मतदाताओं को मतदान करने से रोका गया. मतदान स्थानीय समयानुसार शाम चार बजे खत्म हुआ. चुनाव आयुक्त महिन्दा देशप्रिया ने कहा, ‘‘हमें आज रात 10 बजे तक डाक मतों के शुरुआती परिणाम आने की उम्मीद है.’’
देश के 2.1 करोड की आबादी में से करीब 1.54 करोड लोगों के पास मताधिकार है. चुनाव के लिए करीब 1,076 मतदान केंद्रों की स्थापना की गयी है. कुल 19 उम्मीदवार मैदान में हैं लेकिन मुख्य लडाई राजपक्षे और उनके मंत्रिमंडल के पूर्व सदस्य मैत्रीपाला सिरीसेना के बीच है. मतदान के दौरान देश भर में मतदान केंद्रों के बाहर लंबी कतारें देखी गईं.
काफे के एक अधिकारी कीर्ति तेनाकून ने कहा, ‘‘हर जगह भारी मतदान हुआ है.’’राजपक्षे ने मतदान करते हुए कहा कि उन्हें सत्ता में वापसी का पूरा यकीन है.उन्होंने दक्षिणी श्रीलंका के अपने निर्वाचन क्षेत्र हंबनटोटा में संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमें बडी जीत मिलेगी. यह पूरी तरह साफ है. कल से हम अपना घोषणापत्र लागू करना शुरु कर देंगे.’’
श्रीलंका के तमिल बहुल उत्तरी प्रांत में तमिलों ने धमकियों की परवाह किए बगैर अपने प्रभुत्व वाले इलाकों में भारी संख्या में मतदान किया.जाफना, किलिनोच्चि और मुल्लईथिवू में 50 प्रतिशत से अधिक मतदान दर्ज किया गया.
कुछ मुस्लिम बहुल इलाकों में मस्जिदों में लगे लाउडस्पीकर से मुसलमानों को मतदान करने के लिए उत्साहित किया गया.
तमिल नेशनल एलायंस (टीएनए) के तमिल सांसद ई श्रवणभवन ने कहा, ‘‘लोग मतदान को लेकर उत्साहित हैं, मतदान केंद्र खुलने से पहले ही सैकडों लोग कतारों में खडे थे.’’तेनाकून ने कहा कि उत्तर पश्चिमी प्रांत के मुस्लिम बहुल पुत्तलाम जिले में मतदाताओं में खूब उत्साह दिखा.
उन्होंने कहा, ‘‘1,200 मतदाताओं के लिए बनाए गए मतदान केंद्र में पहले ही घंटे 800 मतदाता वोट डाल चुके थे.’’लिट्टे के खिलाफ राजपक्षे के सैन्य अभियान से आक्रोशित तमिलों के उनके विपक्षी उम्मीदवार सिरीसेना के पक्ष में मतदान करने की उम्मीद है.
विपक्ष ने चुनाव की निगरानी करने वाले अंतरराष्ट्रीय समूहों से सेना द्वारा तमिलों को मतदान से रोकने के लिए साजिश रचने की शिकायत की थी.निगरानीकर्ताओं ने कहा कि जाफना प्रायद्वीप के प्वाइंट पेड्रो के अलवाई में स्थित एक मतदान केंद्र के पास एक खाली घर में एक हथगोला फेंका गया. किसी के हताहत होने की खबर नहीं है.
साथ ही उत्तरी वावुनिया जिले के नेलूक्कुलामा में एक मतदान केंद्र के पास भी एक हथगोला विस्फोट हुआ. पुलिस ने एक व्यक्ति के घायल होने की बात कही है.चुनाव अधिकारियों ने कहा कि दक्षिणी श्रीलंका के मुख्य शहरों के अधिकतर इलाकों में 50 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ. कैंडी जिले में दोपहर 12 बजे तक सबसे अधिक 60 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया जबकि राजधानी कोलंबो में 50 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ.
राजपक्षे और उनके परिवार ने हंबनटोटा में जबकि उनके विपक्षी सिरीसेना ने उत्तर मध्य प्रांत के पोलोन्नारुवा में मतदान किया.राजपक्षे ने छह साल के तीसरे कार्यकाल की आस में तय समय से दो साल पहले ही चुनाव कराने का फैसला किया था.इस दिग्गज नेता के लिए तब मुश्किलें बढ गयीं जब पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सिरीसेना (63) ने चुनाव के ऐलान के एक दिन बाद ही उनका साथ छोड दिया और मुकाबले में उतर गए. इस घटनाक्रम के बाद, चुनाव से अपने लिए कुछ ज्यादा की उम्मीद नहीं कर रहे विपक्ष में भी मानों जान आ गयी.
राष्ट्रपति और उनके प्रतिद्वंद्वी दोनों बहुसंख्यक सिंहली बौद्ध समुदाय से आते हैं. ऐसे में यह ज्यादा महत्वपूर्ण होगा कि अल्पसंख्यक तमिल और मुस्लिम किसे वोट देते हैं.
करीब एक दशक तक राजपक्षे देश के निर्विवाद नेता रहे. लेकिन, श्रीलंका सिंहली बहुसंख्यक और तमिल अल्पसंख्यक समूहों के बीच बंटा हुआ है.तमिलों की शिकायत है कि उत्तरी इलाके में श्रीलंकाई फौज की अभी भी भारी मौजूदगी है और स्थानीय स्तर पर राजनीतिक स्वायत्तता नहीं है.बडे तमिल राजनीतिक समूहों ने सिरीसेना की उम्मीदवारी की हिमायत की है. हालिया वर्षों में कुछ कट्टरपंथी बौद्ध समूहों के सामने आने से हिंसा के कारण चिंतित मुस्लिम पार्टियां भी विपक्ष से जुड गयी हैं.
विपक्षी दल राजपक्षे पर भाई-भतीजावाद, कुशासन, भ्रष्टाचार और निरंकुश शासन का आरोप लगा रहे हैं.सिरीसेना की उम्मीदवारी का मुख्य विपक्षी यूनाइटेड नेशनल पार्टी तथा एक और महत्वपूर्ण समूह जेएचयू या बुद्धिस्ट मोंक पार्टी ने समर्थन किया है.