पार्टी आलाकमान का पद छोड़ने को तैयार राजपक्षे
कोलंबो: श्रीलंका के राष्ट्रपति चुनाव में मिली करारी शिकस्त के बाद महिंद्रा राजपक्षे पार्टी सदस्यों की मांग के आगे झुकते हुए ‘श्रीलंका फ्रीडम पार्टी’ की बागडोर देश के नये राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना को सौंपने को राजी हो गए हैं. सिरीसेना श्रीलंका फ्रीडम पार्टी के महासचिव थे, लेकिन चुनाव से पहले राजपक्षे ने उन्हें पार्टी से […]
कोलंबो: श्रीलंका के राष्ट्रपति चुनाव में मिली करारी शिकस्त के बाद महिंद्रा राजपक्षे पार्टी सदस्यों की मांग के आगे झुकते हुए ‘श्रीलंका फ्रीडम पार्टी’ की बागडोर देश के नये राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना को सौंपने को राजी हो गए हैं.
सिरीसेना श्रीलंका फ्रीडम पार्टी के महासचिव थे, लेकिन चुनाव से पहले राजपक्षे ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया था क्योंकि उन्होंने चुनाव में राजपक्षे को चुनौती देने के लिए नवंबर में तत्कालीन सत्तारुढ गठबंधन को छोड दिया था.सिरीसेना ने आठ जनवरी के चुनाव में राजपक्षे को अपदस्थ कर दिया और उनके दशक भर लंबे कार्यकाल को समाप्त कर दिया.
चुनाव जीतने के बाद सिरीसेना ने दावा किया कि पार्टी नेतृत्व, यहां तक कि राजपक्षे के वफादार ने भी शुरु में उनका समर्थन करने से इनकार करते हुए पार्टी में टूट होने की चेतावनी दी थी.पार्टी सूत्रों ने बताया कि अपनी पार्टी के कुछ सदस्यों की मांग के आगे झुकते हुए पूर्व राष्ट्रपति महिंद्रा राजपक्षे पार्टी की कमान नये राष्ट्रपति सिरीसेना को सौंपने को राजी हो गए हैं.
वहीं, इससे जुडी एक अन्य घटना के तहत महिंद्रा के भाई बासिल राजपक्षे ने पार्टी के राष्ट्रीय संगठनकर्ता के अपने पद से इस्तीफा दे दिया है.एक बयान में बताया गया है कि बासिल ने राष्ट्रपति चुनाव में अपने भाई की हार की पूरी जिम्मेदारी ली है.उन्होंने तत्कालीन गठबंधन यूपीएफए के चुनाव प्रचार का नेतृत्व किया था. अपने भाई के चुनाव हारने के बाद बासिल ने फौरन कोलंबो छोड़ दिया था. समझा जा रहा है कि वह अमेरिका की एक निजी यात्रा पर हैं.
महिंद्रा के 2005 से पिछले हफ्ते तक के कार्यकाल के दौरान बासिल उनके एक कद्दावर राजनीतिक सलाहकार थे.वह आर्थिक विकास मामलों के मंत्री भी थे. चुनाव में मिली हार के बाद से महिंदा को मुश्किल वक्त का सामना करना पड रहा है क्योंकि उनकी पार्टी के कई सदस्यों ने सिरीसेना से हाथ मिला लिया है.