प एशिया वार्ताओं को दोबारा शुरु करने की अमेरिकी घोषणा

येरुशलम : इस्राइली कैबिनेट द्वारा घातक हमलों के दोषी 104 फलस्तीनी कैदियों को छोड़ने पर सहमति जताने पर अमेरिका ने वर्षों से अवरुद्ध इस्राइली-फलस्तीनी वार्ताओं को दोबारा शुरु करने की घोषणा की है.कई माह तक अवरुद्ध कूटनीति के बाद कल इन दोनों पक्षों में प्रत्यक्ष संपर्क बहाली ने अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन कैरी को उनकी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 29, 2013 11:22 AM

येरुशलम : इस्राइली कैबिनेट द्वारा घातक हमलों के दोषी 104 फलस्तीनी कैदियों को छोड़ने पर सहमति जताने पर अमेरिका ने वर्षों से अवरुद्ध इस्राइली-फलस्तीनी वार्ताओं को दोबारा शुरु करने की घोषणा की है.कई माह तक अवरुद्ध कूटनीति के बाद कल इन दोनों पक्षों में प्रत्यक्ष संपर्क बहाली ने अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन कैरी को उनकी पहली बड़ी उपलब्धि दी है.

अमेरिका ने कहा कि प्रारंभिक वार्ताएं आज शुरु हो जाएंगी लेकिन उसने यह स्पष्ट नहीं किया कि क्या ये वर्ष 2008 में अवरुद्ध हो चुकीं शांति वार्ताओं की औपचारिक पुनर्बहाली करेंगे?वार्ता की मेज पर वापसी के बावजूद कोई भी पक्ष आशावादी नहीं दिखा. दोनों ने ही हिंसा से अवरुद्ध हुए 20 सालों तक के समझौतों के सफल न होने के लिए एक दूसरे को दोषी ठहराया.

कल इस्राइली कैबिनेट ने 104 फलस्तीनी कैदियों की रिहाई को सहमति देने के लिए मतदान किया. दो सदस्यों की अनुपस्थिति में इस प्रस्ताव के पक्ष में 13 और विरोध में 7 वोट पड़े. फलस्तीनी कैदियों की रिहाई शांति वार्ता शुरु करने के लिए कैरी की ओर से शुरु की गई संधि का एक मुख्य हिस्सा है.

विदेश मंत्रलय ने कहा कि कैरी ने इस्राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और फलस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास को कैबिनेट मतदान के बारे में फोन किया और उन्हें अपने-अपने दल वाशिंगटन भेजने के लिए कहा.

विदेश मंत्रलय की प्रवक्ता जेन पेसाकी ने कहा कि ये दल आज और कल मुलाकात करेंगे ताकि आने वाले महीनों के लिए समझौतों की प्रक्रिया की योजना बनाई जा सके.निर्णायक शांति संधि पर वार्ताएं छह से नौ माह तक चलनी हैं.उग्र-राष्ट्रवादियों की ओर से जताए जा रहे कड़े विरोध से निपटने के लिए नेतन्याहू ने अपने मंत्रिमंडल को कहा, इस समय राजनैतिक प्रक्रिया को दोबारा शुरु करना इस्राइल के लिए अहम है. साथ ही उन्होंने कहा कि किसी भी संधि को मंजूरी राष्ट्रीय जनमत संग्रह के बाद ही दी जाएगी.

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