Advertisement
इबोला से बचने की जागी आस, पहले मानव परीक्षण में टीका हुआ पास
लंदन : ऑक्सफोर्ड वैज्ञानिकों का कहना है कि पहली बार किसी मानव पर इबोला टीके के परीक्षण से यह पता चला है कि इसका इस्तेमाल सुरक्षित है और यह रोग प्रतिरोधकता को भी बढाता है. परीक्षण का नेतृत्व करने वाले और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के जेनर इंस्टीट्यूट में प्रोफेसर एडरिएन हिल ने कहा, यह टीका उम्मीद […]
लंदन : ऑक्सफोर्ड वैज्ञानिकों का कहना है कि पहली बार किसी मानव पर इबोला टीके के परीक्षण से यह पता चला है कि इसका इस्तेमाल सुरक्षित है और यह रोग प्रतिरोधकता को भी बढाता है.
परीक्षण का नेतृत्व करने वाले और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के जेनर इंस्टीट्यूट में प्रोफेसर एडरिएन हिल ने कहा, यह टीका उम्मीद के मुताबिक काफी सुरक्षित है. शोधकर्ताओं ने कहा कि परीक्षण का परिणाम इसे हालिया महामारी के प्रकोप से जूझ रहे पश्चिमी अफ्रीका में आगे के परीक्षण के लिए बिल्कुल उपयुक्त बताता है, जिसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करने की कोशिश करना है कि यह टीका इबोला से मुकाबले में सुरक्षा प्रदान करे.
इबोला की जायरे प्रजाति के खिलाफ इबोला वैक्सिन का ईजाद अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (एनआईएच) और ग्लैक्सोस्मिथक्लिन (जीएसके) द्वारा किया गया है. इबोला की जायरे प्रजाति पश्चिम अफ्रीका में फैली इबोला प्रजातियों में से एक है.
चिंपांजी एडिनोवायरस में रोग प्रतिरोधकता बढाने के लिए इसमें एकमात्र इबोला विषाणु जीन का प्रयोग होता है. चूंकि इसमें संक्रमित इबोला विषाणु सामग्री नहीं होती इसलिए यह किसी टीका प्राप्त व्यक्ति में दोबारा इबोला के लक्षण पनपने नहीं देता.
शोधकर्ताओं ने कहा कि जीएसके-एनआईएच वैक्सिन कैंडिडेट पर – अमेरिका, ब्रिटेन, माली और स्विट्जरलैंड में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा किया गया परीक्षण सुरक्षित परीक्षणों में से एक है तथा इसमें पश्चिम अफ्रीका के इबोला महामारी को लेकर तेजी से प्रतिक्रिया नजर आई.
शोध के आरंभिक परिणाम न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन (एनईजेएम) में प्रकाशित हुए, जिसमें 17 सितंबर और 18 नवंबर के बीच कम से कम 60 स्वास्थ्य स्वंयसेवकों का टीकाकरण हुआ.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement