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चीन यात्रा संपन्न कर सुषमा स्वदेश रवाना, चीन-भारत के बीच पर्यटन पर रहेगा जोर

बीजिंग : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मई में प्रस्तावित चीन यात्रा की तैयारियों का जायजा लेने के बाद विदेश मंत्री सुषमा स्वराज अपनी चार दिवसीय चीन यात्रा संपन्न कर आज स्वदेश रवाना हो गयीं. विदेश मंत्री ने अपनी इस यात्रा के दौरान चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की और अपने चीनी समकक्ष के साथ […]

बीजिंग : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मई में प्रस्तावित चीन यात्रा की तैयारियों का जायजा लेने के बाद विदेश मंत्री सुषमा स्वराज अपनी चार दिवसीय चीन यात्रा संपन्न कर आज स्वदेश रवाना हो गयीं. विदेश मंत्री ने अपनी इस यात्रा के दौरान चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की और अपने चीनी समकक्ष के साथ प्रधानमंत्री मोदी की आगामी यात्रा की तैयारियों पर चर्चा की. वह आज सुबह अपने पहले चीन दौरे को संपन्न कर विदेश सचिव एस जयशंकर के साथ स्वदेश रवाना हो गयीं. चीन यात्रा के दौरान सुषमा स्वराज ने राष्ट्रपति शी से मुलाकात की जिन्होंने चीन भारत संबंधों में पूर्ण भरोसा जाहिर करते हुए नए साल में संबंधों में नई प्रगति की उम्मीद जतायी.
शी ने सुषमा से कहा, मेरा चीन-भारत संबंधों में पूर्ण भरोसा है और मेरा मानना है कि इस नए साल में इन द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढाने में नई प्रगति हासिल होगी. सत्तारुढ कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव का भी पदभार संभालने वाले 61 वर्षीय चीनी राष्ट्रपति ने भारतीय नेतृत्व के प्रति अपनी शुभकामनाएं भी दीं. सुषमा स्वराज ने अपने चीनी समकक्ष वांग यि के साथ महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की और संबंधों के विकास के लिए सीमा पर शांति और समरसता को पहली जरुरत बताया.
शीर्ष चीनी नेतृत्व से वार्ता करने के अलावा सुषमा ने रुस, भारत और चीन के (रिक) विदेश मंत्रियों की बैठक में भी हिस्सा लिया, जिसमें तीनों देशों के बीच आतंकवाद से लडने के लिए एक व्यापक समझ कायम हुई.
कई चीनी विश्लेषकों ने चीन-भारत सीमा से जुडी समस्या को सुलझाने के लिए धैर्य और सावधानी बरतने की अपील की है लेकिन इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि चीन को अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर भारत के संशयों के निवारण के लिए इस अवसर का लाभ लेना चाहिए.
बीजिंग विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर चेन फेंग्जुन ने चीन की वृहद सिल्क रोड और मरीटाईम सिल्क रोड परियोजनाओं पर भारत की चिंताओं के संदर्भ में कहा, भारत को अभी भी चीन की वन बेल्ट, वन रोड वाली पहल को लेकर चिंताएं हैं. इन परियोजनाओं के लिए राष्ट्रपति शी ने 40 अरब डॉलर का आवंटन किया है.
स्वराज ने कहा है कि भारत आंख मूंदकर समर्थन नहीं देगा बल्कि जहां सहक्रियाएं मिलेंगी वहां सहयोग करेगा. चेन ने कहा, दक्षिण एशिया में, खासतौर पर श्रीलंका और बांग्लादेश जैसे देशों में भारत के व्यापक प्रभाव को देखते हुए चीन के लिए यह समझदारी होगी कि वह मोदी की यात्रा के दौरान इन संशयों का निवारण करे और भारत को दर्शाए कि यह पहल वास्तव में दोनों के लाभ के लिए है.
रुस और चीन ने संयुक्त राष्ट्र में महती भूमिका की भारत की आकांक्षाओं का समर्थन करने के साथ ही 21 सदस्यीय एशिया प्रशांत आर्थिक सहयोग (एपेक) और शंघाई सहयोग संगठन में उसे शामिल किए जाने का भी समर्थन किया.
उन्होंने भारत में अधिक चीनी पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए ‘विजिट ऑफ इंडिया’ कार्यक्रम का भी उद्घाटन किया. सरकारी आंकडों के अनुसार करीब दस करोड चीनी पर्यटक विदेश यात्रा पर जाते हैं और भारत इनमें से अधिकतर को अपने यहां आकर्षित करना चाहता है. इस समारोह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चीन की जनता के नाम एक विशेष वीडियो संदेश दिया और कहा कि दोनों देशों के बीच ‘घनिष्ठ रिश्ता’ है. उन्होंने चीनी लोगों को बडी संख्या में भारत यात्रा के लिए आमंत्रित किया.
स्वराज ने चीनी निवेशकों से मुलाकात की और भारतीय समुदाय के सदस्यों से बातचीत की. उन्होंने कहा कि उनकी यात्रा का मकसद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की यात्रा का प्रबंध करना था जो भाजपा सरकार के सत्ता में एक साल पूरा होने से पूर्व होगी.
अधिकारियों का कहना है कि राष्ट्रपति शी द्वारा प्रधानमंत्री मोदी को अपने पैतृक प्रांत शंघाई तथा ऐतिहासिक शहर चियान ले जाने की संभावना है जिसके भारत के साथ प्राचीन बौद्ध संबंध हैं.
सुषमा की यात्रा के बाद भारत और चीन के विशेष प्रतिनिधि सीमा विवाद को सुलझाने के लिए 18वें दौर की वार्ता करेंगे. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल नयी दिल्ली में होने वाली इस वार्ता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई करेंगे.

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