ईरान: रुहानी ने की प्रतिबंध हटाने की अपील
ईरान के राष्ट्रपति हसन रुहानी ने पश्चिमी देशों से अपील की है कि वे ईरान पर लगाए गए प्रतिबंध वापस ले लें. संसद के उद्धाटन सत्र में भाषण देते हुए रुहानी ने इन देशों से ईरान को इज़्ज़त देने की भी बात कही. उन्होंने कहा, “यदि आप सम्यक प्रतिक्रिया चाहते हैं तो आपको प्रतिबंधों की […]
ईरान के राष्ट्रपति हसन रुहानी ने पश्चिमी देशों से अपील की है कि वे ईरान पर लगाए गए प्रतिबंध वापस ले लें.
संसद के उद्धाटन सत्र में भाषण देते हुए रुहानी ने इन देशों से ईरान को इज़्ज़त देने की भी बात कही.
उन्होंने कहा, “यदि आप सम्यक प्रतिक्रिया चाहते हैं तो आपको प्रतिबंधों की भाषा नहीं बोलनी चाहिए, आपको इज़्ज़त की भाषा बोलनी चाहिए.”
उनके इस बयान परसंसदमें मौजूद सभी सांसद हँस पड़े.
"यदि आप सम्यक प्रतिक्रिया चाहते हैं तो आपको प्रतिबंधों की भाषा नहीं बोलनी चाहिए, आपको इज़्ज़त की भाषा बोलनी चाहिए."
हसन रुहानी, ईरान के राष्ट्रपति
चौंसठ वर्षीय रुहानी ने उदारवादी नेता और संयुक्त राष्ट्र में ईरान के पूर्व दूत जावेद ज़ारिफ़ को विदेश मंत्री मनोनीत किया है.
इस बीच अमरीका ने कहा है कि यदि ईरान गंभीरता दिखाता है तो उसे सहयोगी बनाने में खुशी होगी.
व्हाइट हाउस के मुताबिक ईरान को अपने अंतरराष्ट्रीय दायित्व को समझना चाहिए और अपनेपरमाणु कार्यक्रमपर अंतरराष्ट्रीय जगत की चिंताओं को ध्यान में रखना चाहिए.
रूहानी ईरान के पूर्व परमाणु वार्ताकार रह चुके हैं और तीन दशक तक उन्होंने राजनयिक के रूप में अपनी भूमिका निभाई है.
उदारवादी छवि
अपने पूर्ववर्ती राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद की तुलना में ज़्यादा उदारवादी रुख के चलते उन्हें सुधारवादी लोगों का भरपूर समर्थन में मिला और चुनाव में उन्होंने महत्वपूर्ण जीत हासिल की.
अपने भाषण में रुहानी ने संसद में कहा, “जिन्होंने भी चुनाव में मतदान किया है, चाहे उन्होंने मेरे पक्ष में किया हो या फिर विरोध में, वे सभी ईरान के नागरिक हैं और उन सबके पास नागरिकों के सभी अधिकार हैं.”
उन्होंने देश कीअर्थव्यवस्थाको भी सुधारने को अपनी प्राथमिकता बताई. ईरान में महँगाई दर इस समय चालीस प्रतिशत तक पहुंच गई है.
ज़्यादातर जानकारों का कहना है कि महमूद अहमदीनेजाद के कार्यकाल में देश की अर्थव्यवस्था का प्रबंधन बहुत ही खराब रहा.
इसके अलावा ईरान पर लगे आर्थिक प्रतिबंधों ने अर्थव्यवस्था को और कमजोर कर दिया.
वैसे रूहानी भले ही राष्ट्रपति हैं, लेकिन अभी भी नीतिगत मुद्दों पर आखिरी फ़ैसला सर्वोच्च नेता आयतुल्ला अली खेमेनेई ही करते हैं.
बीबीसी