ढाका : विदेश सचिव एस जयशंकर दक्षेस देशों की अपनी यात्रा के क्रम में आज बांग्लादेश पहुंचे जहां उन्होंने शीर्ष नेतृत्व के साथ रचनात्मक बातचीत की और इस दौरान दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय संबंधों को नयी ऊंचाई पर ले जाने पर सहमति जतायी. जयशंकर ने अपने बांग्लादेशी समकक्ष शाहिदुल हक के साथ बातचीत और विदेश मंत्री ए एस महमूद अली से मुलाकात के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘हमारे बीच काफी सफल और रचनात्मक बातचीत हुई. हम अधिक सहयोग चाहते हैं.’
बाद में संवाददाता सम्मेलन में हक ने कहा कि जयशंकर की इस ‘सद्भावना यात्रा’ से द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और उप क्षेत्रीय संबंधों के प्रगाढ एवं व्यापक पहुलुओं में लाभ हुआ है. यह पूछे जाने पर कि क्या बातचीत में तीस्ता जल बंटावारे का मुद्दा उठा तो हक ने कहा, ‘हमने अपनी चिंताओं को दोहराया है और उनका जवाब सकारात्मक था.’
बहरहाल, उन्होंने कहा कि बांग्ला-भारत संबंध व्यापक है जिस पर संक्षिप्त यात्राओं के दौरान पूरी तरह चर्चा नहीं की जा सकती, लेकिन दोनों पक्षों ने संबंधों को नयी ऊंचाई पर ले जाने को लेकर सहमति जतायी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बांग्लादेश दौरे की संभावना के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘हम उम्मीद करते हैं कि वह जल्द बांग्लादेश का दौरा करेंगे.
परंतु मैं किसी तिथि के बारे में नहीं बता सकता.’ दक्षेस देशों के साथ भारत के संबंधों को मजबूती देने के लिए जयशंकर अपनी ‘दक्षेस यात्रा’ के इस चरण के दौरान एक दिन की यात्रा पर बांग्लादेश पहुंचे. बांग्लादेश के विदेश सचिव शाहिद उल हक ने जयशंकर का स्वागत यहां के हजरत शाहजलाल अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर किया.
जयशंकर अपनी ‘दक्षेस यात्रा’ के तहत कल ढाका से भूटान आए थे. कल वह पाकिस्तान जाएंगे और वहां से अफगानिस्तान जाएंगे. उनकी इस यात्रा की सबसे पहली घोषणा 13 फरवरी को उस समय की गयी थी, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आईसीसी क्रिकेट विश्व कप की शुरुआत से ठीक पहले दक्षेस देशों की सरकारों के प्रमुखों से बात की थी और कहा था कि वह जल्दी ही अपने नये विदेश सचिव को ‘दक्षेस यात्रा’ पर भेजेंगे.
अधिकारियों ने कहा कि ढाका, नयी दिल्ली, काठमांडो और थिंपू दक्षेस से परे दक्षेस यातायात समझौते पर भी एक समानांतर कार्य में लगे हुए हैं. दक्षेस देश पिछले साल काठमांडू में हुए सम्मेलन में यातायात समझौते पर किसी भी संधि को अंतिम रूप देने में विफल रहे. इसके बाद भारत को बांग्लादेश, नेपाल और भूटान के साथ उप-क्षेत्रीय संपर्क को आगे बढाने की प्रेरणा मिली ताकि इन देशों के बीच वाहनों का आवागमन निर्बाध रूप से हो सके.