कोलंबो : भारत ने अपने मछुआरों के मानवीय मुद्दे को श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के समक्ष उठाया, जिन्होंने अपनी इस टिप्पणी से विवाद छेड दिया है कि यदि ये लोग श्रीलंकाई जल क्षेत्र में घुसे तो उन्हें गोली मारी जा सकती है. अगले हफ्ते प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की श्रीलंका यात्रा से पहले अपनी दो दिवसीय यात्रा के तहत यहां पहुंची विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने श्रीलंकाई प्रधानमंत्री को यह भी स्पष्ट कर दिया कि इतालवी नाविकों और भारतीय मछुआरों के बीच के मुद्दों में कोई तुलना नहीं होगी.
सुषमा ने श्रीलंका के प्रधानमंत्री के साथ अपनी चर्चा में भारतीय मछुआरों से जुडा मुद्दा उठाया. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने विक्रमसिंघे की टिप्पणी के कुछ घंटे बाद संवाददाताओं को बताया, ‘उन्होंने (सुषमा ने) हमारा यह विचार स्पष्ट किया कि मछुआरों का विषय एक मानवीय मुद्दा है.’ विक्रमसिंघे की एक तमिल चैनल को दिए साक्षात्कार के बाद विवाद छिड गया था.
उन्होंने आरोप लगाया कि भारतीय मछुआरे उत्तरी लंका के मछुआरों की आजीविका छीन रहे हैं. उन्होंने कहा था, ‘यदि कोई मेरे घर में जबरन घुसने की कोशिश करेगा, तो मैं गोली मार सकता हूं. यदि वह मारा जाता है. तो कानून हमें ऐसा करने की इजाजत देता है.’ विक्रमसिंघे ने गिरफ्तार किये गये इतालवी नाविकों के मुद्दे पर कहा था कि यदि भारत इटली के साथ मैत्री वाला संबंध रखता है तो उसे इटली के साथ भी उसी तरह की दरियादिली दिखानी चाहिए जैसा कि आप हमे दिखाना चाहते हैं.
इन दोनों चीजों को जोडे जाने की लंका की कोशिश पर अकबरुद्दीन ने कहा, ‘बिल्कुल नहीं, ये दोनों अलग-अलग मुद्दे हैं.’ उन्होंने स्पष्ट किया कि अलग-अलग पहलू हैं, यहां तक कि कोई मानवीय या कानूनी संदर्भ में देखे. विश्लेषकों ने यहां बताया कि भारतीय मछुआरों का मुद्दा तमिल नेशनल अलायंस की सुषमा के साथ वार्ता में उठा. यह पहला मौका है जब टीएनए ने भारत सरकार के साथ मछुआरा मुद्दा उठाया है.